Popularity of Yog in Syria: पिछले 12 साल से भीषण गृह युद्ध से जूझ रहे सीरिया में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग घायल हो चुके हैं. इसके बावजूद अब तक वहां शांति के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. लेकिन अब भारत का एक शहर वहां पर शांति-सौहार्द की बयार बहाने में अहम भूमिका निभा रहा है. यह शहर और कोई नहीं बल्कि योग नगरी के रूप में दुनिया में प्रसिद्ध ऋषिकेश है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

लगातार युद्ध से उकता गए हैं लोग


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले करीब एक दशक से लगातार युद्ध देखते और झेलते आ रहे सीरिया (Popularity of Yog in Syria) के लोग अब इस स्थिति से उकता गए हैं. वे कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं. वे अब इस मेंटल ट्रॉमा से निकलकर सामान्य जिंदगी गुजारना चाहते हैं लेकिन उन्हें इसका कोई रास्ता नहीं दिख रहा था. 


ऋषिकेश पहुंचकर सीखी योग की बारीकियां


अपने देश में जारी आतंक भरे माहौल से निकलने के लिए लोग (Popularity of Yog in Syria) दुनिया के विभिन्न देशों में शरण ले रहे हैं. इसी गृह युद्ध के दौरान एक सीरियाई व्यक्ति माजेन ईसा ने योग ध्यान के बारे में सुना. इसकी खूबियां जानने के बाद उन्होंने योग का अध्ययन करने के लिए हिमालय की तलहटी में भारतीय शहर ऋषिकेश की यात्रा का फैसला किया. वहां पहुंचकर उन्होंने योग गुरुओं से योग की बारीकियां सीखीं. वहां से लौटने के बाद उन्होंने सीरिया में एक योग केंद्र की स्थापना की.


सीरिया में जगह-जगह खुले योग केंद्र 


ब्रिटिश पत्रिका द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक खूबखराबे से परेशान हो चुके सीरिया (Popularity of Yog in Syria) के लोगों को जल्द ही योग पसंद आने लगा. शारीरिक-मानसिक समस्याओं से निजात पाने के लिए सीरिया में जगह-जगह लोगों ने इसे सीखा और विभिन्न शहरों में योग ध्यान केंद्र शुरू किए. अब आलम ये है कि स्टेडियम, खेल के मैदान, जंगल या पार्कों में लोगों को योग का अभ्यास करते सहज देखा जा सकता है.


राष्ट्रपति बशर अल असद भी हुए मुरीद


रिपोर्ट के अनुसार सीरिया के लोग (Popularity of Yog in Syria) गृह युद्ध की वजह से पैदा हुए तनाव से निपटने के लिए योग को साधन के रूप में अपना रहे हैं. इसकी लोकप्रियता देख सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद भी इस योग आंदोलन के प्रबल समर्थक बन गए हैं. वे इस आंदोलन के प्रचार-प्रसार में अहम योगदान दे रहे हैं. इस आंदोलन की वजह से वहां पर गृहयुद्ध की आंच धीमी पड़ रही है, जिससे देश में शांति स्थापना की उम्मीद जगने लगी है.