Mohammad Yunus: 26 सितंबर को अमेरिका के व्हाइट हाउस में क्लिंटन फाउंडेशन के एक आयोजन में मोहम्मद यूनुस ने महफूज आलम पर गंभीर आरोप लगाए. यूनुस ने महफूज आलम को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ साजिश रचने का मास्टरमाइंड बताया. लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती. महफूज आलम अब भारत विरोधी साजिशों में भी सक्रिय नजर आ रहे हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक पोस्ट की, जिसमें लिखा..


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"ईस्ट पाकिस्तान बनाने के पीछे हिंदुओं का हाथ था."
"पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम को बांग्लादेश के साथ मिलाना चाहिए."
"1975 में जो हुआ था, वह 2024 में दोहराना होगा."


कट्टरपंथियों का नया एजेंडा


महफूज आलम जैसे बयानों से बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाने का ट्रेंड और तेज हो गया है. कट्टरपंथियों के इस नैरेटिव के पीछे असल मकसद बांग्लादेश में अराजकता बनाए रखना है. पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा को बांग्लादेश का हिस्सा बनाने की बात क्यों उठाई गई? इसका जवाब है, "कथित क्रांति की आड़ में अराजकता को बरकरार रखना."


तख्तापलट के बाद से हालात खराब


5 अगस्त को बांग्लादेश में हुई हिंसा के जरिए प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को गिरा दिया गया. मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर सत्ता संभाली, लेकिन 4 महीने बीतने के बावजूद उनके "प्रशासनिक सुधारों" का कोई ठोस असर नहीं दिखा. जब भी सुधारों पर सवाल उठाए जाते हैं, तो यूनुस और उनके सहयोगी बयानबाजी के जरिए मुद्दों को भटकाने की कोशिश करते हैं.


अराजकता बढ़ाने की साजिशें


बांग्लादेश में हालात को और बिगाड़ने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है. बांग्लादेश में पाकिस्तानी एजेंसियों को खुली छूट दी गई है. हिंदू धर्मगुरुओं को जेल में डाला जा रहा है. इन साजिशों का मकसद है चुनाव को टालना और बांग्लादेश में अस्थिरता फैलाना.


चुनाव टालने की कोशिश


मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम प्रधानमंत्री बनते वक्त कहा था कि प्रशासनिक सुधार लागू करने के 6 महीनों के भीतर चुनाव कराए जाएंगे. लेकिन अब चुनाव 2026 तक टालने की बात कही जा रही है. साथ ही, पड़ोसी देशों के खिलाफ भड़काऊ बयान देकर बांग्लादेश में अंदरूनी और बाहरी अराजकता पैदा करने की कोशिश की जा रही है.


क्या यूनुस की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं?


मोहम्मद यूनुस और उनके सहयोगियों पर आरोप है कि उन्होंने "क्रांति" का सपना दिखाकर सत्ता हासिल की, लेकिन अब चुनाव कराने से बचने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेवा कहते हैं, "मोहम्मद यूनुस और उनका गैंग बांग्लादेश को धोखा दे रहे हैं. उन्होंने क्रांति का सपना दिखाया, लेकिन अब उनका असली मकसद सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखना है."


क्या बांग्लादेश में लोकतंत्र खतरे में है?


मोहम्मद यूनुस की सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. प्रशासनिक सुधारों के वादे से लेकर चुनाव कराने तक, हर मुद्दे पर उनकी नीयत पर शक किया जा रहा है. यूनुस और उनके सहयोगियों की रणनीतियों से बांग्लादेश में न केवल आंतरिक स्थिरता खतरे में है, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ संबंध भी बिगड़ सकते हैं.