Quran Burning Cases in Sweden and Denmark: दुनिया में बढ़ रहे इस्लामिक कट्टरपंथी हमलों से यूरोपीय देश खासे चिंतित है. उन देशों की सरकारें भले ही इस पर औपचारिक प्रतिक्रियाएं नहीं दे रही हैं लेकिन वहां की जनता कट्टरपंथियों के खिलाफ भड़की हुई है. यही वजह है कि स्वीडन और डेनमार्क में बार-बार कुरान जलाने की घटनाएं सामने आ रही हैं. स्वीडन में जून में ईद के मौके पर भी कुरान को जलाया गया था. जिस पर तमाम मुस्लिम देश भड़क गए थे. तब स्वीडन ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताते हुए कार्रवाई से इनकार कर दिया था. हालांकि अब कुछ ऐसा हो गया कि स्वीडन की सरकार दहशत में आ गई है और अपने नागरिकों से धार्मिक पुस्तकें न जलाने की अपील कर रही है. 


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दूसरे देशों से बिगड़ रहे संबंध


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कुरान जलाने (Quran Burning Cases) की वजह से मुस्लिम देशों से खराब हो रहे संबंधों ने दोनों देशों की सरकारों को इस मुद्दे पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. इसके साथ ही दोनों देशों (Sweden and Denmark) को प्रतिक्रियास्वरूप आतंकी हमले का डर भी सता रहा है. वे अब ऐसे तरीके तलाश रहे हैं, जिससे लोगों का अभिव्यक्ति का अधिकार भी बना रह सके और धार्मिक प्रतीकों की बेकद्री भी न हो. 


दोनों देशों के पीएम ने जताई चिंता


रिपोर्ट के मुताबिक स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने इस मुद्दे पर डेनमार्क (Sweden and Denmark) के पीएम से बात गहरी बातचीत की. दोनों नेताओं ने इस मुद्दे पर सहमति जताई कि इस तरह की घटनाओं (Quran Burning Cases) से हालात बिगड़ रहे हैं, जिसे कंट्रोल करने के लिए कुछ मजबूत उपाय करने की तुरंत जरूरत है. डेनमार्क के पीएम ने कहा कि कुरान जलाने की घटनाओं से दुनिया में दोनों देशों की छवि खराब हो रही है. 


आतंकी हमले का सता रहा डर


बताते चलें कि हाल में इराक से आए ईसाई शरणार्थी सलवान मोमिका ने स्वीडन में कुरान जलाकर (Quran Burning Cases) अपने समुदाय के साथ हुए शोषण पर विरोध जताया था. डेनमार्क और स्वीडन दुनिया के सबसे लिबरल देशों में से एक कहे जाते हैं, जहां पर अभिव्यक्ति की आजादी को खास महत्व दिया जाता है. हालांकि अब एक्सपर्टों का कहना कि बार-बार कुरान जलाए जाने की घटनाएं दोनों देशों (Sweden and Denmark) पर आतंकी हमले के खतरे को बढ़ा रही है. इसलिए ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जाना चाहिए.