Sri Lanka की सत्ता पर Rajapaksa Family का कब्जा, PM, President से लेकर Finance Minister तक सभी सगे भाई
श्री लंका की सत्ता पर राजपक्षे परिवार की पकड़ और मजबूत हो गई है. परिवार के सबसे छोटे भाई बासिल राजपक्षे को वित्त मंत्री बनाया गया है. बाकी भाइयों में गोटाबया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) देश के राष्ट्रपति हैं, चमल राजपक्षे कृषि मंत्री हैं और महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री.
कोलंबो: श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksa) के सबसे छोटे भाई बासिल राजपक्षे के वित्त मंत्री के पद की शपथ लेने के साथ ही सरकार में राजपक्षे परिवार की पकड़ और मजबूत हो गई है. 70 साल के बासिल राजपक्षे (Basil Rajapaksa) परिवार के ऐसे पांचवे सदस्य बन गए हैं, जो कैबिनेट में शामिल हैं. बाकी भाइयों में गोटाबया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) इस समय देश के राष्ट्रपति हैं, चमल राजपक्षे कृषि मंत्री हैं और महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री.
PM का बेटा भी सरकार का हिस्सा
70 वर्षीय बासिल राजपक्षे (Basil Rajapaksa) को आर्थिक नीति तथा योजना क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बता दें कि प्रधानमंत्री महिंदा के बड़े बेटे नमल खेल मंत्री हैं और उनका भतीजा निपुना रानावाका भी सरकार में शामिल है. बासिल को 2010 से 2015 तक महिंदा राजपक्षे प्रशासन का बौद्विक आधार स्तंभ माना जाता था. उनके पास अमेरिका और श्रीलंका की दोहरी नागरिकता है. गोटबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) के वर्तमान प्रशासन के तहत बासिल ने आर्थिक प्रबंधन से लेकर पर्यावरण तक सभी प्रमुख कार्यबलों का नेतृत्व भी किया है.
‘Mr Ten Percent’ भी है नाम
श्रीलंका के वित्त मंत्री बनने वाले बासिल राजपक्षे को मिस्टर 10 परसेंट के नाम से भी पहचान जाता है. विकीलीक्स ने 2007 में खुलासा किया था कि रिश्वखोरी की आदत के चलते बासिल राजपक्षे को अमेरिका ‘मिस्टर टेन परसेंट’ के नाम से संबोधित करता है. बासिल ने कथित तौर पर सरकारी अनुबंधों में कमीशन लिया था. हालांकि, बासिल राजपक्षे ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा था कि उन्होंने कोई रिश्वत नहीं ली.
Gotabaya ने आसान की भाई की राह
बासिल राजपक्षे पर सरकारी खजाने से लाखों डॉलर की हेराफेरी का भी आरोप था, लेकिन जांच में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. बासिल के 2020 में हुए संसदीय चुनाव में खड़े पर रोक लगाई गई थी, इसके बावजूद उन्हें निर्वाचित सांसदों की राष्ट्रीय सूची के माध्यम से संसद में प्रवेश दिया गया. राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे ने अपने भाई की राह में आने वालीं सभी बाधाओं को हटा दिया था.