Trending News: चीन में चल रहे समर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के दौरान महिलाओं की 100 मीटर दौड़ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में कोई रिकॉर्ड बनते या टूटते हुए नहीं दिख रहा है, लेकिन इस क्लिप में सोमालिया की एक एथलीट के प्रदर्शन को लेकर चर्चा हो रही है, जिसने अपनी रेस 21 सेकंड में पूरी की. इस वीडियो पर बवाल मचा है. नेटिजंस इसमें दिख रही धावक के प्रदर्शन और पूरी चयन प्रकिया पर सवाल उठा रहे हैं. इस रनर का नाम नसरा अबुकर अली बताया जा रहा है.


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खेल मंत्री से मांगा इस्तीफा


आपको बताते चलें कि वीडियो पोस्ट करने वाली यूजर एल्हाम गेरार्ड ने इस अप्रशिक्षित एथलीट को एक हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम में भेजने के लिए सोमालिया के युवा और खेल मंत्रालय की आलोचना की है. एल्हाम ने अपनी पोस्ट में लिखा कि युवा एवं खेल मंत्रालय के जिम्मेदार लोगों को फौरन पद छोड़ देना चाहिए. एक नाकाम सरकार को इस तरह से देखना निराशाजनक है. वे लोग रेस में सोमालिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक अप्रशिक्षित लड़की का चयन कैसे कर सकते हैं? यह वास्तव में चौंकाने वाला है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारे देश पर खराब असर डालता है.'  एल्हाम की पोस्ट ट्विटर पर हाथोहाथ वायरल हुई. 


आप भी देखिए वीडियो


1 मिनट 10 सेकेंड के वीडियो में 6 महिला धावक खड़ी है. रेडी, स्टेडी एंड गो यानी बजर बजते ही सभी एथलीट भागने लगती हैं. लेकिन सोमालिया की जिस एथलीट पर सवाल उठाए जा रहे हैं. उसके फेस एक्सप्रेशन और बॉडी लैंग्वेज देखकर लोगों को यह नहीं लग रहा है कि वो इंटरनेशनल मंच पर अपने देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार हैं. वह फिट नहीं दिख रही हैं. बाकी एथलीट उसे पीछे छोड़ देते हैं. खेल प्रेमियों ने अलग-अलग माध्यमों के जरिए सोमालिया की सरकार की जमकर आलोचना करते हुए क्या कुछ कहा? ये जानने से पहले आप भी देखिए वीडियो.



नेपोटिज्म का आरोप


एक सोशल मीडिया यूजर ने लिखा ब्रिटेन, 'यूरोप और अमेरिका के करदाता अफ्रीकी नेताओं को धन मुहैया कराते हैं, जिनमें से कुछ तानाशाह या भ्रष्ट हैं. सोमालिया इस बात का उदाहरण है कि भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार कैसे पनप सकता है, जैसा कि सोमालिया एथलेटिक्स फेडरेशन के उपाध्यक्ष द्वारा 5 साल तक प्रशिक्षण लेने वाली एक अन्य लड़की की जगह अपनी भतीजी को चुनने से पता चलता है.


पश्चिमी देशों की फंडिग पर सवाल


आपको बताते चलें कि संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ अमेरिका और यूरोप के कई देश अफ्रीका महाद्वीप के देशों की दशा सुधारने के नाम पर हर साल करोड़ों डॉलर का फंड देते हैं. ऐसे में इस खिलाड़ी की खराब परफॉर्मेंस के बाद इंटरनेट पर अफ्रीकी देशों को दी जा रही सहायता के नाम पर होने वाली फंडिग के सही इस्तेमाल पर सवाल उठ रहे हैं.


इस घटनाक्रम को लेकर एक यूजर ने लिखा, 'सवाल ये है कि पश्चिमी देश इन हालातों के बावजूद कब तक उन्हें सहायता देना जारी रखेंगे. हमें गलत लोगों तक पहुंच रहा मदद रोकने की वकालत करनी चाहिए. फंडिंग के बजाय खिलाड़ियों की क्षमता बढ़ाने के साथ लोगों के स्किल डेलवपमेंट पर फोकस करना चाहिए. एक भूखे शख्स को मछली उपलब्ध कराने के बजाए उसे मछली पकड़ना सिखाना ज्यादा बेहतर रहता है. हमारा तर्क है कि नाकारा नेताओं को अनिश्चित काल तक मदद देने और उनका समर्थन करने के बजाय अफ्रीका महाद्वीप में आत्मनिर्भरता और प्रगति विकसित करने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए. टूटी हुई सरकारों को सहारा देने के बजाय स्थानीय आबादी को सशक्त बनाना चाहिए.'