यूक्रेन से जारी जंग के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सर्गेई शोइगु को रक्षा मंत्री पद से हटा दिया है. आंद्रेई बेलौसोव को रूस का नया रक्षा मंत्री बनाया गया है. रूसी राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यालय क्रेमलिन की ओर से कहा गया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए आंद्रेई बेलौसोव को नया रक्षा मंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा है. पूर्व उप प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ आंद्रेई बेलौसोव पिछले दो साल से यूक्रेन से जंग लड़ने में अहम भूमिका निभा रह हैं.


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रविवार को क्रेमलिन की ओर से कहा गया कि पुतिन चाहते हैं कि 2012 से रक्षा मंत्री और लंबे समय से सहयोगी रहे सर्गेई शोइगु रूस की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के सचिव बनें. साथ ही रूसी सैन्य-औद्योगिक परिसर की जिम्मेदारी भी संभालें. शोइगु, निकोलाई पेत्रुशेव की जगह लेंगे. पुतिन के मंत्रिमंडल में यह बदलाव निश्चित रूप से बाकी सांसदों द्वारा अनुमोदित किए जाने बाकी हैं. फरवरी 2022 से यूक्रेन से जारी जंग के बीच रूसी मंत्रिमंडल में यह बदलाव बहुत ही महत्वपूर्ण है.


तकनीकी रूप से और मजबूत हुए शोइगु


सर्गेई शोइगु को भले ही रक्षा मंत्री पद से हटाया गया है लेकिन तकनीकी रूप से देखा जाए तो शोइगु को उस पद की जिम्मेदारी दी गई है जो रक्षा मंत्रालय से बड़ी मानी जाती है. शोइगु रूस के जनरल स्टाफ के प्रमुख वालेरी गेरासिमोव और जंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पद डायरेक्टर के पद पर बने रहेंगे. क्रेमलिन की ओर से यह भी कहा गया है कि देश के अनुभवी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव अपने पद पर बने रहेंगे.


हालांकि, रूस से जंग के बीच युद्धक्षेत्र के विशेषज्ञ के बजाय एक आर्थिक विशेषज्ञ को देश के रक्षा मंत्री बनाया जाना एक आश्चर्य की बात है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव का कहना है कि मंत्रिमंडल में यह बदलाव इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि क्योंकि देश 1980 के दशक के मध्य में हुए सोवियत संघ जैसी स्थिति में प्रवेश कर रहा था. सोवियत संघ के समय रूस का सैन्य और कानून प्रवर्तन अधिकारियों का खर्च राज्य के कुल खर्च का लगभग 7.4 प्रतिशत था.


पेसकोव ने आगे कहा कि सैन्य और कानून प्रवर्तन के क्षेत्र में खर्च को देश के सभी हितों के अनुरूप सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि राष्ट्रपति पुतिन एक आर्थिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को रक्षा मंत्री बनाना चाहते थे. हालांकि, शोइगु के सहयोगी और उप रक्षा मंत्री पर राज्य अभियोजकों द्वारा रिश्वित लेने के आरोप लगाए जाने के बाद पुतिन के इस कदम को रक्षा खर्च को और अधिक जांच के अधीन करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.