Russia Ukraine War: रूस को घुटने टेकने पर यूक्रेन ने किया मजबूर! जानिए कैसे पहुंच गया इस जीत के कगार पर
Ukraine Invasion: रूस-यूक्रेन युद्द (Russia Ukraine War) का एक साल पूरा होने वाला है. इस बीच यूक्रेन ने एक सबसे बड़े मोर्चे पर सर्वशक्तिमान पुतिन (Vladimir Putin) को कड़ी टक्कर देते हुए मानो रूस (Russia) को बैकफुट पर ढकेलने के लिए मजबूर कर दिया है.
Ukraine wins propaganda war: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बीच जारी जंग के बावजूद इंटरनेट की शानदार कनेक्टिविटी, कुछ पत्रकारों और एक करिश्माई नेता ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि यूक्रेन अब रूस (Russia) के खिलाफ प्रचार युद्ध (propaganda war) में पूरी तरह से भारी पड़ रहा है. बमों की चपेट में आने से बचने के लिये बनाए गए बंकरों से दूर अपने घरों के शौचालयों में जब आप कीव में मिसाइलों और ड्रोन से बरस रही मौत का सामना करे रहे हैं, तो शायद आपको यह बात (यूक्रेन प्रचार युद्ध में जीत रहा है) सही ना लगे. हालांकि ये मानने में अब किसी को भी गुरेज नहीं होगा कि यूक्रेन युद्ध (Ukraine War) आज के इस डिजिटल युग की पहली वास्तविक जंग है.
मानव इतिहास का सबसे बड़ा ‘मीडिया युद्ध’
युद्ध में रोजाना सैनिकों और आम नागरिकों की जान जा रही है और इसके साथ ही लड़ा जा रहा है मानव इतिहास का सबसे बड़ा ‘मीडिया युद्ध’. किसी भी युद्ध की तरह प्रचार (प्रोपगैंडा) एक प्रमुख घटक है. दुनिया भर के स्वतंत्र मीडिया ने जहां ज्यादातर घटनाओं की सटीक रिपोर्टिंग की है, वहीं यूक्रेनी पत्रकारों के लिए 24 फरवरी, 2022 वह दिन था जब ‘प्रचार’ (प्रोपगैंडा) अपशब्द नहीं रह गया. वास्तव में, यूक्रेन में मीडिया अब किसी न किसी रूप में प्रचार तंत्र का हिस्सा हैं क्योंकि वे यूक्रेन की जीत के लिए काम करते हैं.
साल भर पहले रूसी मीडिया ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आक्रमण को यूक्रेन को ‘पश्चिमी प्रभाव से मुक्त’ करने के लये 'विशेष सैन्य अभियान' के रूप में पेश किया था. इस दौरान रूसी मीडिया ने यूक्रेन को एक हमलावर के रूप में दिखाया, भले ही सीमा पर हजारों रूसी सैनिकों का जमावड़ा था.
पहले रूस ने बनाई बढ़त
जब हमला हुआ तो रूसी मीडिया ने असैन्य लक्ष्यों, अस्पतालों पर बमबारी या असैन्य आबादी के खिलाफ अत्याचार की सूचना नहीं दी. उसने आक्रमण के लक्ष्यों को छिपाने और युद्ध तथा परिणामी वैश्विक खाद्य संकट के लिए जिम्मेदारी को यूक्रेन और पश्चिम पर डालने की कोशिश की.
ऐसा लगता है कि अधिकांश रूसी आबादी ने इस नजरिये को स्वीकार किया और पुतिन का समर्थन किया.
पश्चिमी देशों ने मारी बाजी
पश्चिम में अधिकांश प्रमुख मीडिया संस्थानों द्वारा यूक्रेन के लोगों की पीड़ा और उनके साहस के बारे में रिपोर्टिंग हुई जिसकी पश्चिमी देशों की आबादी अनदेखी नहीं कर सकी. पश्चिमी पत्रकारों का शुक्रिया कि दुनिया ने बुचा में नागरिकों के नरसंहार जैसे रूसी युद्ध अपराधों के साक्ष्य देखे. मीडिया में आई इन खबरों ने रूस द्वारा हमले को न्यायोचित ठहराने के लिये इस्तेमाल किए गए 'डीनाजीफिकेशन' (द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जर्मन और ऑस्ट्रियाई सामाजिक व सांस्कृतिक प्रभाव से छुटकारा पाने की कवायद) और 'विसैन्यीकरण' के नारों की हवा निकालने में मदद की.
मास्को की सबसे बड़ी चूक
मॉस्को इस बात को ध्यान में रखने में विफल रहा कि यूक्रेन की लगभग 80% आबादी इंटरनेट से जुड़ी हुई है. आधी से ज्यादा आबादी के पास स्मार्टफोन है. रूसी प्रचार तंत्र के पास उन हजारों वीडियो का कोई जवाब नहीं था जो आम लोगों ने वास्तविक हालात दिखाते हुए बनाए थे.
स्नेक द्वीप पर यूक्रेनी सीमा रक्षकों द्वारा एक रूसी युद्धपोत को खुले तौर पर चुनौती देना हो या रूसी सेना से घिरे भूमिगत ठिकाने में फंसे मारियुपोल के रक्षक हों जो बाहर निकाले जाने की प्रतीक्षा कर रहे थे, उन्होंने यूक्रेनी और विदेशी पत्रकारों को कई साक्षात्कार दिए. या राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की हों जिन्होंने अपने मोबाइल पर यूक्रेनवासियों के लिए प्रसिद्ध संदेश रिकॉर्ड किया. उन्होंने उन खबरों का खंडन किया कि वह आक्रमण के शुरुआती दिनों में ही देश छोड़कर भाग गए थे या आत्मसमर्पण कर दिया था.
यूक्रेन जीत रहा है ‘Media War’
यूक्रेन युद्ध की पहली बरसी से ठीक पहले ये साफ हो चुका है कि यूक्रेन मीडिया युद्ध जीत रहा है. जेलेंस्की इस संकट में नायक बनकर उभरे. उनके संवाद कौशल व मीडिया पृष्ठभूमि ने भी इसमें मदद की. जंग छिड़ने के पहले दिन 24 फरवरी, 2022 को उन्होंने रूसी सैनिकों को बताया, 'जब तुम हमपर हमला करोगे, तो हमारे चेहरे देखोगे हमारी पीठ नहीं. हमारे चेहरे सामने होंगे.'
जेलेंस्की ने बनाई नई पहचान
फिर तो उन्होंने एक के बाद एक कई वीडियो संदेश जारी किए जो जेलेंस्की की पहचान बन गया. वह जल्द ही पश्चिम को यह समझाने में कामयाब रहे कि यह संघर्ष ‘हमारे’ या ‘उनके’ अस्तित्व का है और यूक्रेन के लोग ‘हमारे’ अस्तित्व के लिये लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा, 'हम अंत तक डटे रहेंगे. हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. यदि रूस को जीतने की अनुमति दी जाती है, तो वह छोटे राष्ट्रों को आक्रामक रूप से धमकाने वाले बड़े राष्ट्रों को मौन स्वीकृति होगी. इससे नियमों पर आधारित विश्व व्यवस्था नष्ट हो जाएगी.'
यूरोप का भविष्य यूक्रेन के साथ!
पूर्व अभिनेता व हास्य कलाकार जेलेंस्की ने अपनी नेतृत्व क्षमता से काफी लोगों को आश्चर्यचकित किया. ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों में सांसदों ने खड़े होकर उनका स्वागत किया और सम्मान के रूप में उनका भाषण 'यूक्रेन के लिए युद्धक विमान- आजादी के पंख' हैं, खड़े रहकर सुना.
जेलेंस्की शेष यूरोप को भी यह समझाने में सफल रहे कि उसका भविष्य भी यूक्रेन के साथ है. रूस के हमले से पहले हालांकि ऐसा मानने वालों की संख्या कम ही थी.
‘पर्सन ऑफ 2022'
पहली बार दुनिया की निगाहें यूक्रेन पर केंद्रित हैं. 2022 में, 'यूक्रेन' गूगल समाचार (Google News) पर सबसे अधिक खोजा जाने वाला शब्द था. ‘द इकोनॉमिस्ट’ के अनुसार यूक्रेन वर्ष का राष्ट्र था. जेलेंस्की और 'यूक्रेन की भावना' को टाइम पत्रिका द्वारा ‘पर्सन ऑफ 2022' के रूप में मान्यता दी गई थी.
यूक्रेन ने जीती लड़ाई, रूस ने टेके घुटने!
लोकतांत्रिक व्यवस्था के रूप में यूक्रेन में सबकुछ बिल्कुल ठीक हो ऐसा भी नहीं है. सरकार भ्रष्टाचार, घोटालों से संबंधित एक के बाद एक होने वाले इस्तीफों से प्रभावित थी. यूक्रेन के खोजी पत्रकारों ने भ्रष्टाचार से लड़ने में मदद की है और अधिकारियों की प्रतिक्रिया स्पष्ट, निर्णायक व अनुदार थी.
लोग दूसरे विश्वयुद्ध से यह देखते आए हैं कि हमलावरों और इतिहास के सही पक्ष वालों दोनों का अपना प्रचार तंत्र होता है. यूक्रेन के पत्रकारों ने राष्ट्रीय आपातकाल की प्रतिक्रियास्वरूप निष्पक्षता से आंशिक रूप से समझौता किया, लेकिन युद्ध के एक लंबे चरण में आगे बढ़ने के साथ नई चुनौतियां सामने आएंगी. आपातकाल की स्थिति के तहत, यूक्रेनी पत्रकार अब मीडिया की स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के बीच संतुलन खोजने की कोशिश कर रहे हैं.
(एजेंसी इनपुट पीटीआई के साथ)
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