BRICS: इस तरह घट जाएगा अमेरिका का दबदबा, ब्रिक्स में पुतिन ने पेश किया खास प्लान
BRICS Summit 2023: दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग से अमेरिका के खिलाफ बड़ी आवाज उठी है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अब हमें व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम करने की जरूरत है तो वहीं ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डी सिल्वा ने कहा कि वैश्विक उपनिवेशवाद के खिलाफ आवाज को और मुखर करने का समय आ चुका है.
BRICS Summit 2023 News: दक्षिण अफ्रीका के जोहोनिसबर्ग में ब्रिक्स देशों की बैठक हो रही है. सभी सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद है. यह बैठक कई वजहों से महत्वपूर्ण है. लेकिन अमेरिका प्रसंग पर चर्चा होने की उम्मीद है. वैश्विक स्तर पर व्यापारिक लेन देन अमेरिकी डॉलर में सामान्य तौर पर होता है. लेकिन अब ब्रिक्स देशों में यह आवाज उठ रही है कि डॉलर की जगह लेन देन के दूसरे विकल्पों पर गंभीरता से आगे बढ़ने की जरूरत है. रूस और अमेरिका के बीच या चीन और अमेरिका के बीच तनातनी के दौर का अपना इतिहास रहा है. इन सबके बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डी डॉलराइजेशन पर जो दिया है.
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि हमें ब्रिक्स देशों के बीच व्यापार को और बढ़ावा देने की जरूरत है इसके साथ ही हमें लेन देने के लिए गैर डॉलर विकल्प पर भी विचार करने की आवश्यकता है. सभी सदस्य देश समानता, साझेदारी और एक दूसरे के सम्मान को बरकरार रखते हुए आगे बढ़ सकते हैं. बता दें कि इस बैठक में पुतिन सशरीर मौजूद नहीं हैं. क्योंकि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने यूक्रेन में बच्चों के प्रति अपराध मामले में समन है. पुतिन ने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा समय में अमेरिकी डॉलर अपनी प्रासंगिकता खो रहा है. दुनिया भर में डॉलर के खिलाफ मुहिम तेज हुई और हम इसका फायदा उठाते हुए नई व्यवस्था बनाने में आगे बढ़ सकते हैं.
पुतिन ने कहा रूस, चीन, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं. इस समय वैश्विक स्तर पर जीडीपी में भागीदारी 26 फीसद के स्तर पर पहुंच चुकी है. अगर परचेजिंग पावर पैरिटी में पहले ही ग्रुप 7 के देशों से आगे हैं. इस समय जहां ब्रिक्स देशों की पीपीपी 31 फीसद है वहीं जी-7 की पीपीपी 30 फीसद है. इसके साथ ही ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डी सिल्वा ने कहा कि ब्रिक्स कॉमन करेंसी का मकसद नेशन करेंसी रिजीम को बदलना नहीं है. वो इस बात की वकालत करते हैं कि ब्रिक्स देशों की भी अपनी साझा करेंसी होनी चाहिए. हम वैश्विक उपनिवेशवाद का समर्थन नहीं कर सकते.