Russia America News in Hindi: पुतिन ने एक गेम प्लान बनाया है और उस ब्लूप्रिंट का सिर्फ और सिर्फ एक ही मकसद है अमेरिका की बर्बादी. पुतिन ने बाइडेन को ऐसा संदेश दिया है जिसके जरिए ये स्पष्ट कर दिया है कि ट्रेलर ऐसा है कि तो फिर पिक्चर कैसी होगी. रूस की परमाणु पनडुब्बी कजान अमेरिका के बहुत करीब क्यूबा में पहुंच गई है. रूस ने तेवर दिखाए तो अमेरिका ने भी अपने इरादे जता दिए हैं. अमेरिका ने स्टेल्थ बॉम्बर की तस्वीरें जारी की हैं.


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सबसे बड़ी बात ये है कि रूस की ये परमाणु पनडुब्बी अमेरिका से सिर्फ 150 किलोमीटर की दूरी पर है. G7 की बैठक से ठीक पहले पुतिन का ये बवंडर क्या रंग दिखाएगा इसपर अब पूरी दुनिया की नज़र है. G7 की बैठक में विश्व नेताओं का इटली पहुंचने का सिलसिला जारी है. वही G7 जो एक बड़ा ग्लोबल पॉलिसी फोरम है. इसमें शामिल सातों देश मिलकर पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर चर्चा करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी इस समिट में हिस्सा ले रहे हैं. और भारत भी अपनी बात विश्व मंच पर रखेगा. लेकिन इससे ठीक पहले व्लादिमीर पुतिन ने जो किया है उससे एक बड़ी हलचल फैल गई है.


क्यूबा पहुंची रूसी पनडुब्बी


रूस की परमाणु पनडुब्बी कजान अमेरिका के दरवाजे पर मौजूद क्यूबा में पहुंची है. रूस के युद्धक जहाज फ्रिगेट एडमिरल गोर्शकोव के नेतृत्व में रूसी युद्धक जहाजों का बेड़ा युद्धाभ्यास के लिए क्यूबा के बंदरगाह पर पहुंचा है, जो यहां 5 दिनों तक रहेगा. इसमें रूस की परमाणु पनडुब्बी कजान भी शामिल है. रूसी परमाणु पनडुब्बी कजान गाइडेड मिसाइल से लैस है. बेड़े की अगुवाई कर रहे एडमिरल गोर्शकोव को रूस के सबसे आधनिक युद्धपोत में गिना जाता है. रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, गोर्शकोव कैलिबर मिसाइल के साथ ही हाइपरसोनिक मिसाइल जिरकान से भी लैस है.


तो क्या हैं पुतिन के इरादे?


हालांकि, क्यूबा का दावा है कि परमाणु पनडुब्बी कजान समेत बेड़े के जहाज पर परमाणु हथियार नहीं हैं. क्यूबा के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि किसी भी जहाज पर परमाणु हथियार नहीं है, इसलिए इनके देश में रुकने से क्षेत्र को कोई खतरा नहीं है. इन दावों के बावजूद रूसी जहाजों का अमेरिकी जलक्षेत्र से महज कुछ किमी की दूरी से गुजरना महत्वपूर्ण है. खासतौर पर जब पुतिन ने धमकी दी है कि वे अपने शक्तिशाली हथियारों को उन देशों और क्षेत्रों में तैनात करेंगे जहां से पश्चिमी देशों को निशाना बनाया जा सके.


वहीं एक और बड़ा घटनाक्रम ये हुआ है कि रूस ने अपने सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज में डॉलर और यूरो में ट्रेडिंग बंद करने का फैसला लिया है. अब कोई भी डॉलर और यूरो का इस्तेमाल करते हुए मॉस्को स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग नहीं कर पाएगा. रूस पर लगाए गए ताजा प्रतिबंधों के बाद ये फैसला लिया गया है.


अमेरिका ने की स्टेल्थ बॉम्बर की तैनाती


नॉर्वे से क्यूबा तक पहुंचने के दौरान रूसी बेड़े पर नाटो के अमेरिकी समुद्री गश्ती और टोही विमान पी-8 पोसाइडन के जरिए नजर रखी जा रही थी. वहीं अमेरिका ने ये तस्वीरें जारी करके अपनी मंशा भी जाहिर कर दी है. स्टेल्थ बॉम्बर की तैनाती से अमेरिका ने पुतिन को सावधान कह दिया है.


रूस और क्यूबा ने पहले घोषणा की थी कि पुतिन के जहाज 12 से 17 जून तक क्यूबा के जलक्षेत्र में रहेंगे. जहाजों के वेनेजुएला में बंदरगाह पर आने की भी उम्मीद है. अमेरिका ने रूसी युद्धपोत की मौजूदगी को नोट तो कर लिया है लेकिन अभी तक इसे खतरा या चिंता वाली बात नहीं बताया है. लेकिन एक बात तय है कि इस पूरी कार्रवाई को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की धमकी के तौर पर देखा जा रहा है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के यूक्रेन को रूस के अंदर हमला करने के लिए अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति दिए जाने से भड़के हुए हैं.


अमेरिका ने कहा है, कि वो रूसी पनडुब्बी और जहाजों की काफी करीब से निगरानी करेगा और इस बात को जानने की कोशिश करेगी, कि क्या रूसी पनडुब्बी या जहाजों से अमेरिका को कोई खतरा तो नहीं है. इस दौरान अमेरिकी नौसेना भी युद्धाभ्यास से स्थल के पास मौजूद होकर करीब से निगरानी करने की कोशिश में है. हालांकि, अमेरिकी अधिकारी ये भी कह रहे हैं कि कि रूस की इन गतिविधियों से अमेरिका को कोई खतरा नहीं है. 


पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी चेतावनी


लेकिन, रूस ने उस वक्त पनडुब्बी और जहाजों को अमेरिका के इलाके में भेजा है, जब पुतिन ने साफ साफ शब्दों में चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका और पश्चिम यूक्रेन को हथियार देकर रूस को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखते हैं तो ये उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी होगी, क्योंकि ऐसी स्थिति में रूस अपने परमाणु हथियारों को तैयार रखेगा और किसी को रूस की इन बातों को हल्के में नहीं लेना चाहिए.


50वें G7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पहुंच रहे विश्व नेताओं का स्वागत इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मिलोनी अपुलिया इलाके कें बोर्गो इग्नाजिया के रिसॉर्ट में कर रही हैं. हालांकि नजरें प्रधानमंत्री मोदी पर इसलिए होंगी क्योंकि PM मोदी इस समिट में तो हिस्सा ले रहे हैं लेकिन 
15 और 16 जून को स्विटजरलैंड में होने वाली पीस समिट में हिस्सा नहीं लेंगे और G7 की बैठक के बाद ही स्वदेश लौट आएंगे. पीएम मोदी को भी बर्गेनस्टॉक के रिसॉर्ट शहर में इस पीस समिट में शामिल होने का न्योता दिया गया है लेकिन PM मोदी इस शिखर वार्ता में हिस्सा नहीं लेंगे. 


अब आप समझिए की स्विटजरलैंड में 15 और 16 जून को होने वाली पीस समिट के पीछे माजरा क्या है. दरअसल रूस और यूक्रेन के बीच हो रही जंग को अब करीब 28 महीने पूरे होने वाले हैं. इसी जंग को खत्म करने के लिए स्विटजरलैंड में यूक्रेन पीस समिट का आयोजन किया गया है. लेकिन रूस ने इस पीस समिट में शामिल होने से साफ इंकार कर दिया है. दरअसल, रूस ने यूक्रेन पीस समिट के आयोजक स्विटजरलैंड पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि वो अब निष्पक्ष देश नहीं रहा, रूस ने कहा कि स्विटजरलैंड यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंधों को लागू कर अपनी साख खो चुका है.


यूक्रेन युद्ध पर भारत ने फिर उठाया कूटनीतिक कदम


यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पीएम मोदी को फोन कर लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई दी थी. इस दौरान उन्होंने पीएम से पीस समिट में भारत के शामिल होने की अपील की थी. ऐसे में सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी ने इस समिट में शामिल नहीं होने के फैसले से पश्चिमी देशों और अमेरिका को ये संदेश दे दिया है कि भारत की दोस्ती रूस के साथ अपनी जगह पर है और वो रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन नहीं करता है? 


भारत ने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की अब तक सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं की है. पीएम मोदी दोनों पक्षों से शत्रुता को खत्म करने और समाधान ढूंढने के लिए बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान कर चुके हैं. हांलाकि प्रधानमंत्री मोदी पुतिन को साफ तौर पर ये कह चुके हैं कि ये युद्ध का युग नहीं है. रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने भी प्रधानमंत्री मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत के लिए बधाई दी थी और ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दीं.


दोनों नेताओं ने सभी क्षेत्रों में भारत-रूस विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने पर सहमति व्यक्त की. प्रधानमंत्री ने 2024 के दौरान रूस द्वारा ब्रिक्स की अध्यक्षता जारी रखने के लिए राष्ट्रपति पुतिन को अपनी शुभकामनाएं दीं थी.


शांति वार्ता में शामिल होगा भारतीय प्रतिनिधिमंडल


पिछले साल दिसंबर में जब विदेश मंत्री जयशंकर रूस गए थे तब उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को प्रधानमंत्री मोदी का खत भी सौंपा था. इस खत में पीएम मोदी ने हाल के सालों में दोनों देशों के बीच बढ़े सहयोग और प्रगति को लेकर खुशी जाहिर की है. तब रूस ने भी कहा था कि भारत हमारा सबसे महत्वपूर्ण साझेदार है. इस दौरान रूस ने कहा कि भारत की विदेश नीति सिर्फ रूस के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए उदाहरण है.


अब तक 160 से ज्यादा देशों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा गया है. स्विटजरलैंड की राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड ने कहा कि उन्हें इसे लेकर कोई निराशा नहीं है कि कई देशों ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया है. अभी भी करीब 90 देशों के प्रतिनिधि इस समिट में शामिल होंगे. अब तक की जानकारी के मुताबिक फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज आदि शामिल हो सकते हैं.


स्विटजरलैंड की राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड ने कहा है कि रूस के इनकार करने के बावजूद समिट का आयोजन होगा. राष्ट्रपति एमहर्ड ने कहा कि यह कोई दुष्प्रचार का मंच नहीं है, बल्कि उनका उद्देश्य शांति लाना है. जाहिर है PM मोदी और पुतिन की दोस्ती दुनिया के सामने जग जाहिर है और पीस समिट में नहीं जाकर पीएम मोदी ने एक संदेश तो दे ही दिया है, हांलाकि विदेश मंत्रालय से भारत की तरफ से प्रतिनिधि इस समिट में ज़रूर शामिल होगा.