Saudi Arabia and China Relation: सऊदी अरब के राजा सलमान के निमंत्रण पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 7 से 10 दिसंबर तक सऊदी अरब की राजधानी रियाद में आयोजित प्रथम चीन-अरब देश शिखर सम्मेलन और चीन-खाड़ी सहयोग परिषद शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और सऊदी अरब की राजकीय यात्रा करेंगे. यह साल 2016 से 6 साल बाद राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सऊदी अरब की दूसरी यात्रा है. उल्लेखनीय बात यह है कि यह नए चीन की स्थापना (1 अक्तूबर, वर्ष 1949) के बाद से चीन और अरब देशों के बीच सबसे बड़ी और उच्चतम स्तर की राजनयिक कार्रवाई है.


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मौजूदा यात्रा के दौरान प्रथम चीन-अरब देश शिखर सम्मेलन आयोजित होगा. इस शिखर सम्मेलन के आयोजन को सऊदी अरब ने प्रस्तावित किया था. मार्च 2021 में अरब देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद की 155वीं बैठक में चीन के साथ संबंध को मजबूत करने का निर्णय जारी किया गया. इसमें एक महत्वपूर्ण विषयवस्तु सऊदी अरब द्वारा प्रथम चीन-अरब देश शिखर सम्मेलन का आयोजन करना है. चीन ने संबंधित प्रस्ताव के प्रति तुरंत सकारात्मक प्रतिक्रिया दी.


सभी क्षेत्रों में, अरब दुनिया में चीन की सकारात्मक धारणा और मूल्यांकन निश्चित रूप से पहले स्थान पर है. अधिकांश अरब देश चीन को एक सकारात्मक और रचनात्मक शक्ति के रूप में मानते हैं और चीन के बारे में उनकी समझ आम लोगों की कल्पना से परे है. इसके पीछे चीन और अरब दोनों जातीय समूहों के बीच हजारों वर्षों से संघर्ष बिना ऐतिहासिक आदान-प्रदान है. दुनिया के प्रमुख देशों में चीन एकमात्र ऐसा देश है, जिसका सभी अरब देशों के साथ कोई टकराव नहीं है.


दोनों पक्षों के बीच व्यापार की मात्रा में 44 प्रतिशत की वृद्धि


मौजूदा यात्रा के दौरान पहले चीन-अरब देश शिखर सम्मेलन के अलावा, चीन-खाड़ी सहयोग परिषद शिखर सम्मेलन भी उल्लेखनीय है. चीन लंबे समय तक खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार रहा है. साल 2021 में दोनों पक्षों के बीच व्यापार की मात्रा में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई. यह चीन और अरब देशों के बीच ज्यादा से ज्यादा गहरे सहयोग का प्रतीक भी है. इस वर्ष पहली तीन तिमाहियों में चीन और अरब देशों के बीच व्यापार की मात्रा 319.295 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गई, जिसमें वर्ष 2021 की समान अवधि की तुलना में 35.28 प्रतिशत का इजाफा हुआ, जो 2021 के पूरे वर्ष के स्तर के करीब है.


वर्तमान में चीन अमेरिका का स्थान लेकर दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा आयातक बन गया है, जबकि अरब देश चीन के कच्चे तेल के आयात का सबसे बड़ा स्रोत हैं. चीन के ऊर्जा आयात में सऊदी अरब पहले स्थान पर है, इस देश के आयातित ऊर्जा चीन के कुल आयातित ऊर्जा में एक-छठा हिस्सा रहा है. 30 साल पहले, अरब देश चीन से विकसित थे, लेकिन 30 सालों के बाद चीन में जमीन आसमान का परिवर्तन हुआ. इस तरह अरब देशों को चीन के प्रति बड़ी रुचि है. वे जानना चाहते हैं कि इतने कम समय में चीन ने बिल्कुल नया रूप क्यों धारण कर लिया.


मध्य पूर्व में उथल-पुथल का मूल कारण विकास में निहित है, और अंतत: इससे बाहर निकलने का रास्ता विकास पर निर्भर करता है. विकास लोगों के जीवन और सम्मान से संबंधित है. लंबे समय में चीन मुख्य रूप से आर्थिक सहयोग के माध्यम से अरब देशों के मामलों में भाग लेता है और अर्थव्यवस्था एवं जीवन स्तर में सुधार करके दोनों पक्षों के विकास को बढ़ावा देता है. आज, बेल्ट एंड रोड की यात्रा के साथ-साथ, चीन और अरब देश सभ्यताओं के बीच आपसी सीख की नई कहानी लिख रहे हैं. 


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