Pakistan Saudi Arabia: पाकिस्तान है कि मानता नहीं और बार-बार कश्मीर का जाप करता रहता है. अब देखिए ना वैसे तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शहरीफ अपनी सऊदी यात्रा पर पहुंचे थे लेकिन उन्होंने वहां भी कश्मीर राग अलाप दिया. लेकिन जो हुआ वो उनके लिए बुरे सपने से कम नहीं है. असल में हुआ यह कि सऊदी अरब  के प्रिंस के सामने शहबाज ने कश्मीर का मुद्दा उठाया तो उन्हें बहुत ज्यादा भाव नहीं मिला. इस मुलाकात के बाद साझा बयान आया कि सऊदी और पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे सहित अन्य लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बातचीत के महत्व को रेखांकित किया है.


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इसका साफ मतलब है कि सऊदी ने कश्मीर मुद्दे पर अपनी कोई राय नहीं रखी और इस मुद्दे को मामला भारत और पाकिस्तान के बीच ही छोड़ दिया गया. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी शासक प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच सात अप्रैल को मक्का के अल-सफा पैलेस में आधिकारिक बैठक हुई है. इस बैठक के अगले दिन संयुक्त बयान जारी किया गया है,


सऊदी ने नहीं पूरी की पाक की चाहत
संयुक्त बयान के अनुसार, उनकी चर्चा सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच भाईचारे वाले संबंधों को मजबूत करने तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के रास्ते तलाशने पर केंद्रित रही. बयान में कहा गया कि उन्होंने कश्मीर सहित क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की. इसमें कहा गया कि दोनों पक्षों ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों, विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर विवाद को हल करने के लिए पाकिस्तान और भारत के बीच बातचीत के महत्व पर जोर दिया.


आखिर क्यों नहीं मिल रहा सऊदी का साथ
अब इसे समझना चाहिए कि आखिर क्यों सऊदी कश्मीर मामले पर पाकिस्तान का साथ नहीं दे रहा है. यह बात सही है कि सऊदी अरब पाकिस्तान और भारत दोनों का मित्र देश है. लेकिन पिछले काफी समय से कश्मीर के मसले पर सऊदी अरब के सुर बदले नजर आए हैं. यहां तक कि जब 370 को हटाने वाला मामला सामने आया तो सऊदी ने इसे भारत का आंतरिक मामला कह दिया. इस पर पाकिस्तान को बड़ी मिर्ची लगी थी. पिछले कुछ सालों में भारत और सऊदी की मित्रता में काफी गर्मजोशी भी दिखाई दी है. 


पीएम मोदी और प्रिंस सलमान की केमिस्ट्री से दुनिया चकित रह गई है. हालांकि सऊदी अरब ने पिछली कई सालों से यह भी जताने की कोशिश की है कि वो कश्मीर को लेकर किसी भी गुट में नहीं है और उसका अपना राष्ट्रीय हित सबसे महत्वपूर्ण है. एक तरह से यह भारत के लिए सही है क्योंकि भारत का हमेशा से ही पक्ष यही रहा है कि कश्मीर उसका आंतरिक मसला है.