दक्षिण चीन सागर में हालात अब भी उलझे हुए हैं, OBOR पर हमारी नजर: वियतनाम
पिछले साल नवंबर में चीन एवं आसियान के 10 सदस्य देशों ने एक आचार संहिता के लिए अगस्त में अपने विदेश मंत्रियों की ओर से स्वीकार की गई रूपरेखा का औपचारिक समर्थन किया था ताकि दक्षिण चीन सागर में सीमा क्षेत्रों के मसले से निपटा जा सके.
नई दिल्ली: वियतनाम के राजदूत तोन सिन्ह थान्ह ने मंगलवार (27 फरवरी) को कहा कि दक्षिण चीन सागर में हालात ‘‘अब भी उलझे हुए’’ हैं, लेकिन सकारात्मक पहलू यह है कि चीन एवं दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संगठन (आसियान) ने आचार संहिता पर बातचीत शुरू करने की प्रतिबद्धता जाहिर की है ताकि सीमा क्षेत्र के दावों से निपटा जा सके. तोन ने कहा कि वियतनाम ‘‘अपने पड़ोसियों, खासकर चीन जैसे बड़े पड़ोसियों, को अहमियत देता है.’’ इस मुद्दे पर एक सवाल के जवाब में तोन ने पत्रकारों को बताया, ‘‘वहां के (दक्षिण चीन सागर के) हालात अब भी उलझे हुए हैं. वहां का घटनाक्रम सकारात्मक है, खासकर आचार संहिता को लेकर, जिसे चीन एवं आसियान दोनों ने मंजूरी दी है. उन्होंने आचार संहिता की बातचीत शुरू करने को लेकर प्रतिबद्धता जाहिर की है.’’
पिछले साल नवंबर में चीन एवं आसियान के 10 सदस्य देशों ने एक आचार संहिता के लिए अगस्त में अपने विदेश मंत्रियों की ओर से स्वीकार की गई रूपरेखा का औपचारिक समर्थन किया था ताकि दक्षिण चीन सागर में सीमा क्षेत्रों के मसले से निपटा जा सके. हाइड्रोकार्बन के मामले में समृद्ध दक्षिण चीन सागर में चीन, ताईवान, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रूनेई और वियतनाम की जल सीमाएं एक-दूसरे से मिलती हैं. तोन ने कहा कि वियतनाम और चीन के आर्थिक संबंध काफी मजबूत हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस मुद्दे को उलझाना नहीं चाहिए.’’
चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वियतनाम इस परियोजना का अध्ययन कर रहा है और इस पर नजर रख रहा है. ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल के हिस्से के तौर पर चलाई जा रही चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) परियोजना पाक अधिकृत कश्मीर से गुजरती है. भारत ने ‘वन बेल्ट वन रोड’ पहल पर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं.
वियतनाम के राष्ट्रपति तीन दिवसीय यात्रा पर 2 मार्च को भारत आयेंगे
वियतनाम के राष्ट्रपति त्रान दाई क्वांग तीन दिन की यात्रा पर 2 मार्च को भारत पहुंच रहे हैं. उनकी इस यात्रा के दौरान भारत का मुख्य एजेंडा दोनों देशों के बीच रक्षा और व्यापारिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करना होगा. विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, राष्ट्रपति क्वांग की यात्रा के दौरान भारत और वियतनाम के समग्र सामरिक संबंधों को और गहरा बनाने तथा द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों पर चर्चा होगी.
राष्ट्रपति क्वांग के साथ एक प्रतिनिधिमंडल भी आ रहा है जिसमें वहां के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री फाम बिन मिन्ह के अलावा कई मंत्री भी शामिल होंगे. इनके साथ एक कारोबारी शिष्टमंडल भी आ रहा है. दोनों देशों के बीच ऊर्जा, कृषि, पोत परिवहन सहित अनेक क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत बनाने पर चर्चा होने की संभावना है.