चीन को बड़ा झटका, सोमालीलैंड ने किया ताइवान से समझौता; बैकफुट पर `ड्रैगन`
चीन ताइवान को मान्यता नहीं देता, सोमालीलैंड का ताइवान से कूटनीतिक रिश्ता चीन के लिए मुसीबत है. सोमालीलैंड के पास हिन्द महासागर में चीन का इकलौता सैन्य बेस है.
नई दिल्ली: अफ्रीका के स्वघोषित आजाद देश सोमालीलैंड ने चीन को बड़ा झटका दिया है. 'हॉर्न ऑफ अफ्रीका' इलाके के इस देश के पास ही चीन का इकलौता सैन्य बेस है. लेकिन अब सोमालीलैंड ने ताइवान के साथ समझौता करके चीन को बैकफुट पर ला दिया है. सोमालीलैंड की सीमा पर मौजूद जिबूती में कई देशों के बेस हैं और यहीं हिन्द महासागर में चीन का इकलौता सैन्य बेस है. चीन ने इस इलाके में 2017 में अपना बेस बनाया था और वहां से चीन स्वेज नहर से लेकर हिन्द महासागर तक नजर रख सकता है.
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने सोमालीलैंड के साथ समझौते का जिक्र करते हुए कहा है कि ये दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्ते के लिए किया गया है. ताइवान के मुताबिक वो सोमालीलैंड में अपना प्रतिनिधि दफ्तर बनाएगा. इसके अलावा, ताइवान ने दावा किया है कि दोनों देश स्वतंत्रता और लोकतंत्र के प्रति लगाव और मूल्यों को साझा करते हैं.सोमालीलैंड के विदेश मंत्री यासीन हागी महमूद खुद इस समझौते के लिए ताइवान गए थे. ताइवान के राष्ट्रपति और सोमालीलैंड के राष्ट्रपति ने इस समझौते पर खुशी जताई है.
बता दें कि सोमालीलैंड उत्तरी पश्चिमी सोमालिया का हिस्सा है, लेकिन अब खुदमुख्तार देश होने का दावा करता है. हालांकि दुनिया में अभी इसे मान्यता नहीं मिली है. सिर्फ कुछ देशों ने मसलन दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, जिबूती और स्वीडेन जैसे देशों के इससे रिश्ते हैं.
अफ्रीकी देशों में अभी तक सिर्फ एस्वातीनी के ही ताइवान से कूटनीतिक रिश्ते हैं. बुर्किना फासो ने 2018 में ताइवान से रिश्ते तोड़ लिए थे. ताइवान के 15 देशों से औपचारिक रिश्ते हैं और सभी देशों से अच्छे संबंध हैं. ताइवान के पासपोर्ट को दुनिया के 150 से ज्यादा देश मान्यता देते हैं. इसके अलाावा ताइवान के लोगों को वीजा में भी छूट मिली हुई है. ताइवान के करीब 20 मिलियन लोग हर साल विदेशी यात्रा करते हैं.