America In South China Sea: पिछले कुछ सालों में दक्षिण चीन सागर दुनिया के नक्शे पर तनाव का तीसरा केंद्र बन रहा है. यूक्रेन और मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण चीन सागर और आसपास के देशों के क्षेत्रों में टकराव बढ़ रहा है. चीन यहां के नब्बे प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पर अपना दावा करता है. आरोप है कि इस क्षेत्र में कई कृत्रिम द्वीपों का निर्माण किया है. चीन ने इन द्वीपों पर सैन्य ठिकाने भी स्थापित किए हैं, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. इसको लेकर एक बार फिर से खिसियाए अमेरिका ने अपनी चिंता जाहिर की है.


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असल में अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमांड के प्रमुख एडमिरल जॉन एक्विलिनो ने मंगलवार को कहा है कि दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीप के समीप फिलीपींस के बलों के प्रति चीन के आक्रामक रवैये को लेकर वह 'बेहद चिंतित' हैं. उनका बयान ऐसे समय में आया है जब चीनी तटरक्षकों की फिलीपीन के गश्ती जहाजों के साथ द्वीपीय देश के कब्जे वाले ‘सेकंड थॉमस शोल’ के समीप लगातार भिड़ंत होती है.


लगातार आक्रामक हो रहा चीन..
यह बात सही भी है क्योंकि पिछले महीने चीन के एक जहाज ने फिलीपीन के एक छोटे जहाज को टक्कर मार दी थी, जिससे उसके कई नाविक घायल हो गये थे, वहीं चीन के दो तटरक्षक पोतों ने फिलीपीन के एक पोत की विंडस्क्रीन पर तेज धार वाली पानी की बौछार का भी इस्तेमाल किया था. इसके अलावा यह पूछे जाने पर कि क्या स्प्रैटली द्वीप समूह की जलमग्न चट्टान उनके कमांड क्षेत्र का सबसे खतरनाक बिंदु है? इसके जवाब में एक्विलिनो ने सिडनी स्थित लोवी इंस्टीट्यूट थिंक टैंक में कहा कि सेकंड थॉमस शोल में जो भी हो रहा है उसे लेकर मैं बेहद चिंतित हूं.


अब क्या बोला अमेरिका..
इतना ही नहीं एक्विलिनो ने कहा कि जिस दिशा में चीजें आगे बढ़ रही हैं, उसे लेकर मैं बेहद चिंतित हूं. ऐसी घटनाएं खतरनाक, अवैध हैं और यह क्षेत्र को अस्थिर कर रही हैं. मालूम हो कि अमेरिका, जापान, फिलीपीन और ऑस्ट्रेलिया ने रविवार को दक्षिण चीन सागर में फिलीपीन जल क्षेत्र में अपना पहला चौतरफा संयुक्त अभ्यास किया है. 


सैन्य उपस्थिति भी बढ़ाई..
फिलहाल चीन लगातार उस क्षेत्र में आक्रामक तरीके से आगे बढ़ रहा है. उधर अमेरिका और उसके सहयोगी चीन के दावों को नकारते हैं और साउथ चाइना सागर में स्वतंत्र नौवहन और उड़ान के अधिकारों का समर्थन करते हैं. हाल के समय में अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति भी बढ़ाई है. अमेरिका का मानना है कि इस तनाव को कम करने के लिए, चीन को अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करना चाहिए और दक्षिण चीन सागर पर अपना अतिरिक्त दावा छोड़ देना चाहिए.


वहीं चीन का मानना है कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को भी इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति कम करनी चाहिए. क्योंकि यह बात सही है कि चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव से यहां क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता पर खतरा पैदा हो गया है. दोनों देशों के बीच टकराव बड़ा रूप ले सकता है. 


चीन का दावा..
चीन दक्षिण चीन सागर के लगभग 90% हिस्से पर अपना दावा करता है, जिसे "नौ-डैश लाइन" के रूप में जाना जाता है. यह दावा अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत खारिज कर दिया गया है, लेकिन चीन ने इस क्षेत्र में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण करके और सैन्य बुनियादी ढांचे को स्थापित करके अपना दावा मजबूत करने की कोशिश की है.


अमेरिका और सहयोगी..
अमेरिका और उसके सहयोगी, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत, चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं. वे नियमित रूप से नौसेना अभ्यास करते हैं और दक्षिण चीन सागर में "स्वतंत्रता के नेविगेशन" अभियान चलाते हैं.