`किसी की जान दांव पर है`, किसान नेता डल्लेवाल को नहीं मिली मेडिकल हेल्प, सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को भेजा नोटिस
Supreme Court notice to Punjab govt on medical aid to Dallewal: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस भेजा था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अनशन कर रहे किसान नेता डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करने के बाद बेहतर इलाज के लिए पंजाब सरकार को हिदायत दी थी, लेकिन पंजाब सरकार ने कोर्ट का कहना ही नहीं माना. जिसके बाद नोटिस भेजा गया है.
Jagjit Singh Dallewal health critical: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के स्वास्थ्य और सुरक्षा को लेकर चिंता जताई, जो अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार को उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाश पीठ ने डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के पिछले अदालती आदेश का कथित रूप से पालन करने में विफल रहने के लिए अपने मुख्य सचिव के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है.
किसी की जान दांव पर, आपको इसे गंभीरता से लेने की जरूरत
पीठ ने कहा, "अगर कानून-व्यवस्था की स्थिति है, तो आपको उससे सख्ती से निपटना होगा. किसी की जान दांव पर लगी है. आपको इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है. चिकित्सा सहायता दी जानी चाहिए और ऐसा लगता है कि आप इसका पालन नहीं कर रहे हैं." न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "हमें उन किसानों पर गंभीर संदेह है जो उन्हें सहायता प्रदान करने में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय करने चाहिए कि उन्हें सहायता दी जाए." अदालत ने राज्य सरकार को शनिवार तक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया, जब मामले की फिर से सुनवाई होगी.
कौन हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल?
डल्लेवाल 26 नवंबर से खनौरी सीमा पर अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं, उनकी मांग है कि केंद्र किसानों के मुद्दों का समाधान करे, जिसमें फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी शामिल है. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस भेजा था. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अनशन कर रहे किसान नेता डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करने के बाद बेहतर इलाज के लिए पंजाब सरकार को हिदायत दी थी, लेकिन पंजाब सरकार ने कोर्ट का कहना ही नहीं माना. जिसके बाद नोटिस भेजा गया है.