मॉस्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के जहन में क्या चल रहा है. हम ये सवाल इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि रूस का अचानक बहुत बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास करना हैरान करता है. रूस ने एक ऐसा शक्ति प्रदर्शन किया जिसमें एक लाख से ज्यादा सैनिकों के अलावा बड़ी संख्या में जंगी युद्धपोत, फाइटर जेट, टैंक और तोपों ने हिस्सा लिया. रूस और पश्चिमी देशों में टकराव बढ़ सकता है.


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रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन (Vladimir Putin) के आदेश पर देश की दक्षिण पश्चिमी सीमा पर वृहद सैन्य अभ्यास किया गया. इस अभ्यास में डेढ़ लाख सैनिक और वायु सेना के 414 लड़ाकू विमानों समेत नौसेना की नौकाओं व विमानों ने भाग लिया. अमेरिका (America) और पश्चिमी देशों ने इस पर आपत्ति जताई है. वहीं रूस के रक्षा मंत्रालय ने इसे दक्षिण-पश्चिम में सुरक्षा सुनिश्चित करने की एक सामान्य ड्रिल बताया है.


रक्षा विशेषज्ञ इस वृहद सैन्य अभ्यास को अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच पनप रहे तनाव से निपटने की क्षमता के रूप में देख रहे हैं. माना जा रहा है कि इस सैन्य अभ्यास के जरिए रूस ने साफ संकेत दिया है कि यदि दोनों देशों में तनाव बढ़ा तो वह मामले में हस्तक्षेप कर सकता है. इस आशंका को बल उस वक्त मिला जब शनिवार सुबह अजरबैजान के रक्षा मंत्री जाकिर हसनोव ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगू को फोन किया. इस बातचीत में रूस के वृहद सैन्य अभ्यास और अर्मेनियाई-अजरबैजानी सीमा की स्थिति पर चर्चा की गई. 


क्षमता परखने का तरीका
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक इस तरह के सैन्य अभ्यास किसी भी देश की प्रशिक्षण प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा होते हैं. इसके जरिए सैनिकों और हथियारों की तुरंत तैनाती की क्षमता परखी जाती है. इसके लिए सैनिकों को बार- बार अभ्यास करवाया जाता है, जिससे युद्ध की स्थिति में वे तुरंत ऑपरेशन के लिए तैनात हो सकें. यह स्थिति मीडिया में दिखाई जाने उन तस्वीरों से उलट होती है, जिसमें दिखाया जाता है कि सायरन बजते ही सैनिक भागने लगते हैं और घातक हथियार हमले के लिए तैयार हो जाते हैं. बाकी देशों की तरह इस प्रकार के सैन्य अभ्यासों की तस्वीरें रूसी टीवी पर दिखाई गईं. 


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उच्च स्तर पर बनती है योजना
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, इस प्रकार के वृहद सैन्य अभ्यासों का प्लान ऊपरी स्तर पर तय किया जाता है. इसमें तय होता है कि सशस्त्र बलों की कौन सी सेवाएं,  शाखाएं, इकाइयां और संरचनाएं सैन्य अभ्यास में भाग लेंगी. इसके बाद अभ्यास की जगह और उसमें शामिल होने वाले हथियारों के बारे में तय किया जाता है. अभ्यास शुरू होने से पहले एक पैमाना तय किया जाता है. जिसे हासिल करना सभी सैनिकों और हथियारों के लिए जरूरी होता है. इन अभ्यासों का नेतृत्व करने वाले मिलिट्री अफसरों के लिए न केवल उच्च स्तर की क्षमता बल्कि अपने सैनिकों को ट्रेंड करने के कौशल से भी युक्त होना पड़ता है. इस प्रकार के सैन्य अभ्यास न केवल सेना को सजग रहने में मदद करते हैं बल्कि बदलते वक्त के साथ उन्हें अपना युद्ध कौशल लगातार निखारते रहने में मददगार साबित होते हैं.