Job Crisis: भयानक बेरोजगारी फिर भी हर चौथा कर्मचारी छोड़ना चाहता है नौकरी, चौंकाने वाला खुलासा
Employment News: एक ओर दुनिया में भीषण महंगाई के बीच बेरोजगारी दर बढ़ रही है तो दूसरी ओर इसी की वजह से लाखों युवा अपनी शानदार नौकरी छोड़ रहे हैं. आखिर क्या है इस ट्रेंड की वजह आइए जानते हैं.
Why youths quits job: एक-दो सीईओ और एमडी टाइप की जॉब छोड़ दी जाए तो आमतौर पर दुनियाभर में नौकरीपेशा आदमी परेशान ही रहता है. सबकी अलग-अलग समस्या है. किसी को काम के हिसाब से पर्याप्त सैलरी नहीं मिलती तो किसी को उसके करियर के हिसाब से पद या प्रोफाइल नहीं मिलती है. इन अघोषित सच्चाइयों के बीच भीषण महंगाई और दो-दो युद्ध के बीच में झूल रही दुनिया पर मंदी का संकट मंडरा रहा है. ऐसे में मिडिल क्लास और लोवर मिडिल क्लास का प्रतिनिधित्व करने वाले करोड़ों नौकरीपेशा लोग भी अपने जीवन में बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. दरअसल जिस रफ्तार से महंगाई बढ़ी है, सैलरी से खर्च चलाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में कर्मचारियों की बचत खत्म हो रही है और वे नौकरी छोड़ रहे हैं या फिर अगले साल तक नौकरी छोड़ने की सोच रहे हैं.
सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा
'पीडब्ल्यूसी' की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 26% लोग यानी हर चौथा नौकरीपेशा कर्मचारी अगले साल तक नौकरी छोड़कर कुछ और करना चाहता है. इसमें वेल सेटल्ड टीम लीडर्स से लेकर सामान्य प्रोफाइल पर काम करने वाले कर्मचारी भी शामिल हैं. दरअसल हाल ही में कई देशों में हुए एक सर्वे से पता चलता है कि बढ़ती महंगाई की वजह से कर्मचारियों को लगने लगा है कि अब वे नौकरी से मिलने वाले वेतन से घर खर्च और EMI नहीं दे सकते. इसलिए वे नौकरी की बजाय अपना खुद का काम करना चाहते हैं.
खुद को एक और मौका देने की चाहत
रिपोर्ट के मुताबिक भले ही दुनिया के हर देश में बेरोजगारी एक सबसे बड़ी समस्या हो, एक आदमी अपनी नौकरी छोड़े तो उसकी जगह 4 लोग नौकरी करने के लिए तैयार बैठे हैं, इसके बावजूद सही दरवाजा न खुलने या रास्ता न निकलने की वजह से लोग धड़ाधड़ नौकरी छोड़ रहे हैं. हालांकि ये अलग बात है कि उनके द्वारा छोड़े गए पद को भरने में उस कंपनी को काफी वक्त लग रहा है. इस सर्वे में शामिल युवाओं का ये भी मानना है कि वो खुद का फ्यूचर संवारने के लिए अपने आप को एक मौका और देना चाहते हैं.
अमेरिका और यूरोप में हाल बेहाल
रिसर्च के मुताबिक इंग्लैंड यानी अकेले यूके (UK) में ही 47% कर्मचारियों का मानना है कि महीने के आखिर में उनके पास एक धेला भी नहीं बचता. उनके खातों में आखिरी दिन में बस उतने पाउंड ही मजबूरी में बचते हैं, जिन्हें न रखने पर बैंक पेनाल्टी लगा देते हैं. सर्वे में शामिल 15% लोगों का ये कहना है कि अपनी इत्तू सी सैलरी में वो अपने घर के सारे बिल भी नहीं भर पा रहे हैं. किसी को बेटे या बेटी को अच्छे स्कूल में न पढ़ा पाने की चिंता है तो कोई और किसी और समस्या से परेशान है. ऐसे में आज के टेकसेवी युवा नौकरी छोड़कर कुछ और करना चाहते हैं.
जरूरत या मजबूरी?
न्यूयॉर्क स्थित आर्थिक मामलों के थिंक टैंक द कॉन्फ्रेंस बोर्ड की मुख्य अर्थशास्त्री डाना पीटर्सन का कहना है कि जब तनाव और आर्थिक अनिश्चतता का दौर होता है तो लोग न चाहते हुए भी अपनी जानी-पहचानी चीजों से चिपके रहते हैं, जैसे की नौकरी. यही वजह है कि सैलरी से खर्च न चल पाने पर भी कर्मचारी नौकरी छोड़ने से डर रहे हैं. वे चाहते हुए भी अपनी जॉब छोड़ नहीं पा रहे हैं. उन्होंने 2008 की मंदी का उदाहरण देते हुए कहा कि उस दौर में अमेरिका में 26 लाख लोगों की नौकरी गई, लेकिन इसी दौर में नौकरी बदलने वालों की संख्या अमेरिका के इतिहास में सबसे कम थी. पीडब्ल्यूसी ने दुनिया भर में 53,912 कर्मचारियों पर सर्वे किया, जिसके अध्य्यन के बाद ये चौंकाने वाला ट्रेंड देखने को मिला है.