लेबनान में नए सवेरे का प्रतीक बना ये `चमत्कारी` बच्चा, बम धमाकों के बीच हुआ था जन्म
जॉर्ज के जन्म की कहानी डरावनी भी है और राहत भरी भी. एडमंड और इम्मानुएल लतीफ अपने बेटे जॉर्ज के जन्म की कहानी याद कर सिहर उठते हैं.
बेरुत: 4 अगस्त को लेबनान (Lebanon) की राजधानी बेरुत (Beirut) इतिहास के सबसे बड़े धमाके से दहल उठी. इस हादसे में 170 से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि 6000 से ज्यादा लोग घायल हो गए. धमाका इतना खौफनाक था कि इसने आधे लेबनान को तबाह कर दिया. धमाके के बाद विरोध में घिरी लेबनान की सरकार को इस्तीफा तक देना पड़ा. लेकिन इस तबाही के बीच एक नई उम्मीद, एक नई किरण का जन्म हुआ. जिस वक्त ब्लास्ट हुआ उसी वक्त पास के एक अस्पताल में एक बच्चे का जन्म हो रहा था. वो वक्त था जब अस्पताल की छतें और दीवारें टूट रही थीं. अस्पातल में तबाही का मंजर था, ठीक उसी वक्त जॉर्ज का जन्म हुआ.
जॉर्ज के जन्म की कहानी डरावनी भी है और राहत भरी भी. एडमंड और इम्मानुएल लतीफ अपने बेटे जॉर्ज के जन्म की कहानी याद कर सिहर उठते हैं. 4 अगस्त की शाम को सेंट जॉर्ज अस्पताल में जॉर्ज के जन्म का वक्त आ चुका था. इम्मानुएल को डिलिवरी रूम में ले जाया गया. पति एडमंड भी डिलिवरी रूम में पहुंच गए. वो अपने बेटे की पहली तस्वीर कैमरे में रिकॉर्ड करना चाहते थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने कैमरा ऑन किया-लेबनान के इतिहास का सबसे बड़ा ब्लास्ट हुआ.
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तभी अस्पताल के अंदर का शीशा टूटकर गर्भवती पत्नी के बिस्तर पर आ गिरा. जॉर्ज की मां इम्मानुएल लतीफ ने कहा कि ''मैंने मौत को अपनी आखों से देखा था. मुझे लगने लगा कि सबकुछ खत्म हो गया है? मैं लगातार छत की तरफ देख रही थी और सोच रही थी नाजानें कब ये छत हमारे ऊपर आ गिरेगी. मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या करना है, मैंने कहा कि जॉर्ज को आना चाहिए, उसे इस दुनिया में आना है और मुझे बहुत मजबूत होना है, मुझे टूटना नहीं चाहिए.''
धमाके हो सकते हैं इस आशंका से डरकर अस्पताल का मेडिकल स्टाफ खून और टूटे शीशों को साफ करता हुआ इम्मानुएल को लेकर कॉरिडोर में पहुंच गया. इम्मानुएल कांप रही थी. वो बेहोश होने वाली थी, लेकिन उसने अपने मन में कहा मुझे मजबूत रहना है. मेरे बेटे को इस दुनिया में आना ही होगा. डॉक्टर स्टेफ्नी याकूब जिसने जॉर्ज की डिलिवरी कराई थी वो एक घायल नर्स की मदद करनें जुट गईं, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी. नर्स की मौत हो चुकी थी. मृत नर्स को वहीं छोड़कर डॉ याकूब तुरंत इम्मानुएल के पास लौटीं, लेकिन शाम ढल रही थी. अंधेरा हो रहा था. धमाके की वजह से बिजली चली गई थी. इमरजेंसी थी. वक्त बहुत कम था. अस्पताल के स्टाफ के मोबाइल फोन की रोशनी में जॉर्ज का जन्म हुआ.
जिस वक्त जॉर्ज का जन्म हो रहा था उस वक्त अस्पताल में मौजूद जॉर्ज के पिता एडमंड की मां धमाके से गंभीर रूप से घायल हो गईं थीं. जॉर्ज कभी अपनी मां के पास जाते तो कभी अपनी पत्नी के पास. जॉर्ज की डिलिवरी होते ही उसे बिना नहलाए मां और बच्चे को अस्पताल के बाहर ले जाया गया. एक अजनबी के कार से लिफ्ट मांगी गई. थोड़ी ही देर में मां और बच्चे को बेरुत से बाहर सुरक्षित एक दूसरे अस्पताल ले जाया गया. लेकिन इन सबके बीच एडमंड की घायल मां यानि जॉर्ज की दादी की मौत हो गई.
जॉर्ज के पिता एडमंड काहनीसेर ने कहा कि "हमने विस्फोट के बाद के 4 दिन हंसते और रोते बिताए. हमने सोचा कि हम पागल हो गए हैं, हम हंसे और रोए लेकिन उसी समय, हमारे आस-पास के लोग आहत थे. हम अपने आस-पास के लोगों के लिए डरते थे लेकिन उसी समय खुश थे. एडमंड और इम्मानुएल के लिए जॉर्ज बहुत खास हैं. जॉर्ज अंधेरे में रोशनी है. दोनों के लिए जॉर्ज का जन्म चमत्कार से कम नहीं है.
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