नई दिल्ली : एशिया में अपनी ताकत का डंका बजाने को बेकरार बैठे चीन को एक छोटे से देश ने उसकी औकात दिखा दी है. उसने चीन की आंख में आंख डालकर उसकी बात मानने से इनकार कर दिया है. एशिया पेसेफिक रीजन में मौजूद ये छोटा सा देश है पलाउ. कई लोग तो ये जानते भी नहीं होंगे कि ऐसा कोई देश दुनिया के मानचित्र पर है. ये देश मानचित्र पर छोटे बिंदुओं के रूप में दिखता है, जो इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के बीच आईलैंड के रूप में मौजूद है. इसकी आबादी महज 20 हजार है, लेकिन इन सबके बावजूद उसने दुनिया के उस ताकतवर मुल्क को न कहने की हिम्मत दिखाई है, जिसके सामने बड़े-बड़े देशों की घिग्घी बंधी रहती है.


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आइए अब हम आपको बताते हैं, वह मसला जिसके कारण ये छोटा सा देश चीन के सामने अड़ गया है. चीन अपनी दादागीरी दिखाते हुए दुनिया को ताइवान को मान्यता नहीं देने की बात कहता है. ज्यादातर बड़े देश उसकी इस बात के सामने आए दिन किसी न किसी रूप में झुकते रहते हैं, लेकिन पलाउ ने उसकी इस मांग को मानने से साफ इनकार कर दिया है. पूरी दुनिया में पलाउ सहित कुल 17  छोटे देश ही ऐसे हैं, जो चीन की हेंकड़ी के सामने नहीं झुके. उन्होंने साफ कर दिया है कि वह ताइवान को एक स्वतंत्र मुल्क मानकर उसके साथ अपने रिश्ते बनाए रखेंगे. चीन ताइवान को अपनी ही एक कॉलोनी के रूप में दिखाता है और दुनिया को ये कहता है कि उसे चीनी ताइपे के रूप में पहचाना जाए.



द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक पलाउ की एक न्यूजपेपर के संपाक केसोलेई कहते हैं कि चीन ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग वेन को कमजोर करना चाहता है. पलाउ इसीलिए इस पूरी लड़ाई के बीच आ गया है. उसने चीन की बात मानने से इनकार कर दिया है.


1994 तक अमेरिका का उपनिवेश रहा है ये मुल्क
1994 तक पलाउ अमेरिका का उपनिवेश रहा है. 1999 में इसने ताइवान के साथ अपने राजनीतिक रिश्ते कायम किए. पिछले 20 साल में दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे होते गए. केसोलोई कहते हैं कि दोनों देशों के बीच काफी गहरे संबंध हैं. दोनों एक दूसरे पर पर्यटन, मेडिकल और शिक्षा के लिए एक दूसरे पर निर्भर करते हैं. जैसे जैसे चीन का छोटे देशों पर दबाव बड़ा, उन्होंने ताइवान के साथ अपने रिश्ते कम कर दिए, लेकिन पलाउ के रिश्ते जस के तस बने रहे. अल सेल्वाडोर उन्हीं में से एक देश है, जिसने ताइवान के साथ अपने रिश्तों को खत्म कर दिया है.



पलाउ को डराने के लिए चीन अपना रहे हर हथकंडा
पलाउ किस कदर चीन के सामने अड़ा है, इसका अंदाजा वहां की स्थितियों को देखकर लगाया जा सकता है. इस छोटे से देश की पूरी की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर टिकी है. कुल जीडीपी का 42.3 फीसदी पर्यटन से आता है. इस छोटे से देश की राजधानी कोरोर है. चीन से भी कई पर्यटक यहां आते हैं, लेकिन चीन ने इस देश पर दबाव बढ़ाने के लिए अपने यहां के टूर ऑपरेटर्स से साफ कह दिया है कि वह पलाउ के  लिए कोई भी टूर पैकेज जारी न करें, अगर उन्होंने ऐसा किया तो उन पर फाइन लगाया जाएगा. पलाउ के स्थानीय लोग इसे चीन का बैन कहते हैं.


चीन में इंटरनेट पर नहीं खोज सकते पलाउ
चीन में बिजनेस करने वाले एक शख्स जो मूलत: पलाउ से ही हैं, कहते हैं कि चीन ने इस कदर रोक लगाई है कि आप चीन में पलाउ नाम से इंटरनेट पर कुछ नहीं खोज सकते. इस शब्द को ही वहां ब्लॉक कर दिया गया है. यही कारण है कि चीन और पलाउ के बीच चलने वाली चार्टर फ्लाइट को भी अगस्त से रोक दिया गया है. चीन की सरकार ने पलाउ को एक अवैध जगह के रूप में घोषित कर दिया है.



पर्यटन की कमर टूटी
पलाउ में चीन के पर्यटक काफी मात्रा में आते हैं. जुलाई तक यहां पर 9 हजार से ज्यादा पर्यटक आए थे, लेकिन अगस्त में जैसे ही ये बैन सामने आया, इस संख्या में भारी कमी आई. इस कारण यहां का पर्यटन उद्योग बुरी तरह से चरमरा गया.