Tiger of Mysore: मैसूर के 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) के ऐतिहासिक मूल्यांकन को लेकर दक्षिणपंथी और वामपंथी इतिहासकारों के बीच लगातार बहस होती रहती है. वह एक इतिहास के एक ऐसे किरदार हैं जो आज की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बने हुए हैं विशेषतौर पर कर्नाटक में उन्हें लेकर राजनीतिक पार्टियां आमने सामने आ जाती हैं.  लेकिन ऐसा लगता है कि तमाम बहसों, विवादों के बीच टीपू सुल्तान में लोगों की दिलचस्पी बनी हुई है. इसका एक नजारा तब देखने को मिला जब टीपू सुल्तान जिन्हें 'टाइगर ऑफ मैसूर' भी कहा जाता है के निजी कक्ष से मिली तलवार ने लंदन में बोनहम्स के लिए भारतीय वस्तुओं की नीलामी के सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिए.


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पीटीआई भाषा के मुताबिक इस सप्ताह हुई इस्लामी एवं भारतीय कला बिक्री में यह तलवार 1.4 करोड़ पौंड (GBP) (लगभग 140 करोड़ भारतीय रुपये) में बिकी है. टीपू सुल्तान की तलवार को ‘सुखेला’- सत्ता का प्रतीक कहा जाता है. मैसूर पर वर्ष 1782 से 1799 तक शासन करने वाले टीपू सुल्तान की तलवार मूल्य GBP 1,500,000 और 2,000,000 के बीच था लेकिन इसे अनुमानित तौर पर 14,080,900 में बेचा गया.


'तलवार का असाधारण इतिहास और बेजोड़ शिल्प कौशल'
पीटीआई भाषा के अनुसार इस्लामी एवं भारतीय कला की ग्रुप हेड नीमा सागरची ने कहा कि तलवार का असाधारण इतिहास और बेजोड़ शिल्प कौशल है. उन्होंने कहा कि फोन के जरिए दो लोगों ने जबकि कक्ष में मौजूद एक व्यक्ति ने बोली लगाई और उनके बीच गर्मजोशी से मुकाबला हुआ. हम नतीजे से बहुत खुश हैं.’


तलवार का इतिहास
यह तलवार टीपू सुल्तान के निजी कक्ष में मिली थी और ईस्ट इंडिया कंपनी ने हमले में उनके साहस और आचरण के प्रति अपने उच्च सम्मान के प्रतीक के तौर पर जनरल डेविड बेयर्ड को भेंट की गई थी. इस हमले में टीपू सुल्तान की मौत हो गई थी. 


मई 1799 में टीपू सुल्तान का शाही गढ़ श्रीरंगपट्ट्नम तबाह होने के बाद उनके महल से कई हथियारों को हटाया गया था. इसमें कुछ हथियार उनके बेहद करीब थे. यह तलवार स्टील की है और इस पर सोने से बेहतरीन नक्काशी की गई है.


(इनपुट - एजेंसी)