संयुक्त राष्ट्र: दुनिया में फिर से ऑटोमन साम्राज्य स्थापित करने का ख्वाब देख रहे तुर्की को सीरिया (Syria) ने दुनिया और उसके देश में आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रायोजक बताया है. संयुक्त राष्ट्र संघ के 75वें सत्र में वार्षिक अधिवेशन में बोलते हुए सीरिया के विदेश मंत्री ने कहा कि तुर्की (Turkey) ने सीरिया के कई इलाकों में पानी की सप्लाई बाधित कर दी है. जिससे सीरिया के लोगों के लिए संकट पैदा हो गया है.


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अपने रिकॉर्डेड संदेश में सीरिया के विदेश मंत्री वालिद अल-मोआलेम ने कहा कि तुर्की उनके देश में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है. उसके पाले हुए आतंकियों ने सीरिया के कई शहरों में पानी की आपूर्ति बाधित कर दी है. पानी की सप्लाई रूकने से नागरिकों के जीवन पर खतरा पैदा हो गया है. वालिद अल-मोआलेम ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौर में यह सीरिया के लोगों का दूसरा सबसे बड़ा संकट है और इसका जिम्मेदार तुर्की है. 


सीरिया के विदेश मंत्री ने कहा कि तुर्की का यह कदम युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ है. संयुक्त राष्ट्र को इसके लिए तुर्की के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि तुर्की का वर्तमान शासन अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दुष्ट और गैर कानूनी है. उसकी नीतियां और कामकाज पूरे क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए खतरा बन गई हैं. लिहाजा उसे रोका जाना जाहिए.


बता दें कि सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से हटाने के लिए अमेरिका ने 9 साल पहले विरोधी सुन्नी विद्रोहियों को बढ़ावा दिया था. इसके बाद रूस अपने मित्र सीरिया के साथ खुलकर सामने आ गया. दोनों के बीच चल रहे गृह युद्ध के दौरान आतंकी संगठन ISIS ने सीरिया और इराक के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था. उसके सफाये के बाद अमेरिका सीरिया से निकल गया. जिसके बाद तुर्की को सीरिया में अपनी मौजूदगी मजबूत करने का मौका मिल गया.


उसके बाद से ये गृह युद्ध एक क्षेत्रीय लड़ाई में तब्दील हो गया. अब उत्तरी सीरिया के एक क्षेत्र पर तुर्की का नियंत्रण है और वह सीरिया के राष्ट्रपति बशर असद, सीरियाई कुर्द लड़ाकों और इस्लामिक स्टेट चरमपंथी समूह के खिलाफ विपक्षी लड़ाकों का समर्थन करता है.


बता दें कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन पाकिस्तान के बाद दुनिया में कश्मीरी अलगाववाद के सबसे बड़े हितैषी बने हुए हैं और विभिन्न मंचों पर भारत के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहे हैं. खुद को दोबारा से मुस्लिम दुनिया का खलीफा बनाने की चाहत में एर्दोगन एक ओर भारत से टकरा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर खाड़ी देशों के खिलाफ भी मोर्चा खोल रखा है. जिसके कारण सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात से भी उनकी ठनी हुई है.