संयुक्त राष्ट्र: उत्तर कोरिया संकट के बड़ा आकार लेने की पृष्ठभूमि में यहां 51 देश परमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने वाली एक नयी संधि पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. अमेरिका और दूसरी परमाणु शक्तियां इस कदम का विरोध कर रही हैं. परमाणु हथियारों पर रोक लगाने वाली इस संधि से जुड़े प्रस्ताव को जुलाई में 122 देशों ने संयुक्त राष्ट्र में पारित किया था. ऑस्ट्रिया, ब्राजील, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड की अगुवाई में इस प्रस्ताव को लेकर बातचीत की गई थी. परमाणु हथियार रखने वाले नौ देशों अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्राइल में से कोई भी इस बातचीत में शामिल नहीं हुआ.


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नाटो ने संधि की निंदा करते हुए कहा है कि इस तरह के कदम के विपरीत परिणाम हो सकते हैं. नेताओं की ओर से हस्ताक्षर किए जाने के लिए आगे आने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इसे दो दशक से अधिक समय में पहली ऐतिहासिक बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण संधि बताया है. इसके साथ ही गुतारेस ने यह भी कहा कि दुनिया को 1,500 से अधिक परमाणु हथियरों से निजात दिलाने के लिए और कार्य किए जाने की जरूरत है. यह संधि तभी प्रभावी होगी जब 50 देश इसका अनुमोदन करेंगे. ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमर ने संयुक्त राष्ट्र महसभा की बैठक में सबसे पहले इस संधि पर हस्ताक्षर किए.


डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनी, अमेरिका को उत्तर कोरिया को तबाह करना पड़ सकता है


राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त महासभा मे मौजूद नेताओं के समक्ष मंगलवार (19 सितंबर) को चेतावनी दी कि अगर किम जोंग उन का परमाणु हथियारों से लैस शासन अपने पड़ोसियों के लिए खतरा बना रहता है तो अमेरिका को उत्तर कोरिया को तबाह करना पड़ सकता है. उन्होंने कहा, 'अमेरिका में बहुत ताकत और धैर्य है लेकिन वह अपना और अपने सहयोगियों का बचाव करने को मजबूर है. ऐसे में हमारे पास उत्तर कोरिया को पूरी तरह नष्ट कर देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा.' 


ट्रंप ने किम जोंग के लिए नए विशेषण का इस्तेमाल करते हुए कहा, 'रॉकेट मैन खुद अपने लिए और अपने शासन के लिए आत्मघाती बन रहा है. अमेरिका तैयार है, उसमें इच्छाशक्ति है और वह सक्षम है लेकिन मैं उम्मीद करता हूं की इसकी जरूरत ही ना पड़े.'