Paris Summer Olympics 2024: व्हाइट हाउस ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका रूस और बेलारूस के एथलीटों को 2024 ओलंपिक में न्यूट्रल एथलीटों के रूप में भाग लेने की अनुमति देने के कदम का समर्थन करता है, बशर्ते उन्हें अपने राष्ट्रीय ध्वज या प्रतीक प्रदर्शित करने से रोका जाए.  


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एएफपी के मुताबिक प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने कहा, ‘संयुक्त राज्य अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय खेल संघों से रूस और बेलारूस के खेल नेशनल गर्वनिंग बॉडी को निलंबित करने का समर्थन किया है.‘


पिछले साल रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला कर देने के बाद से मॉस्को के खिलाफ बेहद सख्त रुख अपनाए अमेरिका का यह स्टैंड  खासा चौंकाने वाला है और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के लिए बड़ा झटका है जो रूसी और बेलारूसी एथलीटों की भागीदारी के खिलाफ हैं.


हालांकि, जीन-पियरे ने कहा, ‘अगर एथलीटों को ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजन में आमंत्रित किया जाता है, तो यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए कि वे रूसी या बेलारूसी राज्यों का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हों.’ उन्होंने कहा, ‘आधिकारिक राज्य रूसी, बेलारूसी झंडे, प्रतीक और गान का उपयोग भी नहीं होना चाहिए.’


2024 पेरिस खेलों में रूस और बेलारूस के एथलीटों की मौजूदगी को लेकर जारी बहस को अमेरिका का यह स्टैंड और आगे बढ़ाता है.  


यूक्रेनी राष्ट्रपति ने जताया विरोध
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूसी और बेलारूसी एथलीटों की किसी भी तरह की भागीदारी का कड़ा विरोध किया और रूस पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है. वहीं दूसरी तरफ रूस सभी प्रतिबंधों को हटाने पर जोर दे रहा है, यह तर्क देते हुए कि ओलंपिक का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए.


गुरुवार को व्हाइट हाउस की टिप्पणी के तुरंत बाद ट्विटर पर लिखते हुए, ज़ेलेंस्की ने IOC के रुख को ‘यूक्रेन के खिलाफ आपराधिक आक्रामकता की वैधता’ के रूप में वर्णित किया. ज़ेलेंस्की ने ट्वीट किय,  ‘हम खेल को मानवता के खिलाफ और युद्ध प्रचार के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देंगे!’


IOC के रुख पर बंटी दुनिया
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ने कहा है कि वह ग्रीष्मकालीन खेलों में रूसियों के तटस्थ एथलीटों के रूप में भाग लेने की जांच कर रही है. पेरिस में रूसी और बेलारूसी एथलीटों को अनुमति देने की IOC की इच्छा ने खेल और कूटनीतिक दुनिया को विभाजित कर दिया है.


बुधवार को, संयुक्त राष्ट्र के दो अधिकार विशेषज्ञों ने दोनों देशों के एथलीटों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देने के आईओसी के कदमों की सराहना की, यह तर्क देते हुए कि किसी भी एथलीट के साथ "उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर भेदभाव" नहीं किया जाना चाहिए.


यूनाइटेड स्टेट्स ओलंपिक और पैरालंपिक कमेटी (USOPC) ने भी रूसी और बेलारूसी एथलीटों के लिए रास्ता बनाने के लिए IOC के कदमों का समर्थन किया है. दिसंबर में एक कॉन्फ्रेंस कॉल में, USOPC की अध्यक्ष सुसैन लियोन ने चेतावनी दी थी कि अगर एथलीटों को न्यूट्रल के रूप में प्रतिस्पर्धा करने का मौका नहीं दिया गया तो ओलंपिक आंदोलन का खतरे में पड़ जाएगा.


पेरिस के रूसी और बेलारूसी एथलीटों को बाहर कर देने से 1970 और 1980 के दशक के ओलंपिक बहिष्कारों के दौर के वापसी का खतरा पैदा हो सकता है. लियोन्स ने कहा, ‘हर दिन दुनिया भर में संघर्ष होते हैं,  और अगर लोग जैसे को तैसा पर चलते हुए चीजों का बहिष्कार करना तय करते हैं - आप हमारे खेल में नहीं आए, इसलिए हम नहीं आएंगे आपके खेल में – तो बहुत जल्दी ओलंपिक और पैरालंपिक आंदोलन का ताना-बाना बिखर सकता है.’


समर्थन के समान शब्द एशिया की ओलंपिक परिषद और पेरिस के मेयर ऐनी हिडाल्गो से आए हैं. लेकिन ब्रिटेन, पोलैंड और बाल्टिक देशों ने आईओसी के रुख की निंदा की है.


अमेरिकी ओलंपिक अधिकारी हालांकि इस बात पर अड़े हुए हैं कि एथलीट केवल ‘सख्ती से तटस्थ’ वर्दी में भाग लेने में सक्षम होंगे.


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