न्यूयॉर्क: वैज्ञानिकों के अनुसार विटामिन बी3 के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली थेरेपी संभवत: मेलेनोमा नामक घातक त्वचा कैंसर के खतरे को कम कर सकती है. इन वैज्ञानिकों में भारतीय मूल का एक वैज्ञानिक भी शामिल है. ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि निकोटिनामाइड, डीएनए में हुई क्षति, सूजन और पराबैंगनी विकिरण की वजह से कम हो रही रोग- प्रतिरोधक क्षमता घटाने और उसे उलटने में मदद कर सकता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

शोधकर्ताओं ने कहा कि डॉक्टर की सलाह पर हर दिन एक ग्राम निकोटिनामाइड लेने पर इसका प्रति माह खर्च 10 अमेरिकी डॉलर आता है. उन्होंने कहा कि मेलेनोमा की रोकथाम के लिए इसकी क्षमता तथा सुरक्षा को निर्धारित करने के लिए यादृच्छिक प्लेसबो नियंत्रित परीक्षण अब जरूरी है.


पराबैंगनी विकिरण (यूवीआर) मेलेनोसाइट्स में डीएनए को क्षति पहुंचाता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि निकोटीनमाइड (विटामिन बी 3) डीएनए की क्षति को ठीक करता है, यूवीआर द्वारा जो सूजन होती है उसे नियंत्रित करता है और यूवी किरणों से रोग-प्रतिरोधक क्षमता में आने वाली गिरावट को कम करता है.