यूक्रेन संघर्ष पर मोदी के दिमाग में क्या चल रहा है? भारतीय PM के स्टैंड से कन्फ्यूज हुआ QUAD
भारत QUAD में भी हिस्सा ले रहा है और वो रशिया और यूक्रेन के मामले पर भी अपनी निष्पक्ष भूमिका साथ लेकर चल रहा है और इसी संतुलन ने अमेरिका जैसे देश को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर मोदी के दिमाग में चल क्या रहा है?
नई दिल्ली: ये बात तो सब जानते हैं कि दुनिया की बड़ी-बड़ी महाशक्तियां और उनके नेता अब तक पुतिन के दिमाग और उनकी कार्यशैली को समझने में पूरी तरह नाकाम रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इन देशों के नेताओं को असमंजस में डाल दिया है और ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर मोदी के दिमाग में क्या चल रहा है?
भारत का रूस को समर्थन!
भारत शायद दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जिसने संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रह कर एक तरह से रशिया का समर्थन किया. लेकिन दूसरी तरफ इसी वोटिंग के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री मोदी ने Quadrilateral Security Dialogue यानी QUAD की वर्चुअल बैठक में हिस्सा लिया, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति Joe Biden, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Scott Morrison और जापान के प्रधानमंत्री Fumio Kishida (फुमिओ किशिदा) शामिल हुए.
QUAD देशों में सबसे अलग भारत
यहां गौर करने वाली बात ये है कि QUAD में केवल यही चार देश हैं और इनमें से भारत को छोड़ कर बाकी सभी तीन देशों ने रशिया के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का ऐलान किया है. लेकिन भारत ने अब तक ऐसा कुछ नहीं किया है. लेकिन इसके बावजूद भारत QUAD में भी हिस्सा ले रहा है और वो रशिया और यूक्रेन के मामले पर भी अपनी निष्पक्ष भूमिका साथ लेकर चल रहा है और इसी संतुलन ने अमेरिका जैसे देश को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर मोदी के दिमाग में चल क्या रहा है?
सबसे पहले आपको ये जानना चाहिए कि इस बैठक में आज प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति ने क्या कहा और इसके बाद समझेंगे कि प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति आखिर है क्या?
इस उद्देश्य से हुआ QUAD का गठन
दरअसल QUAD का गठन वर्ष 2004 में हुआ था और इसका मुख्य उद्देश्य Indo Pacific इलाके की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. Indo Pacific हिंद और प्रशांत महासागर के एक बड़े इलाके को मिलाकर बना है और इसकी सीमाएं भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका को छूती है. अब क्योंकि नक्शे पर इसका आकार चतुर्भुत की तरह है. इसीलिए इसे Quad कहा जाता है. इसी इलाके में South China Sea भी आता है. जिसे लेकर चीन का 9 देशों के साथ विवाद है. संक्षेप में समझें तो QUAD, चीन के खिलाफ तैयार हुआ अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया का एक संगठन है. लेकिन अब अमेरिका चाहता है कि इसके उद्देश्यों का विस्तार हो और इसमें चीन की तरह रशिया को एजेंडे पर लाया जाए. जबकि भारत ऐसा कभी नहीं चाहेगा.
अब रूस पर फोकस कर रहा अमेरिका
आज से दो महीने पहले तक अमेरिका का पूरा ध्यान चीन पर था. लेकिन अब ये फोकस चीन से रशिया पर शिफ्ट हो रहा है. लेकिन भारत का हित इसमें है कि वो ये सुनिश्चित करे कि QUAD, चीन की विस्तारवादी नीतियों को रोकने के लिए काम करता रहे और प्रधानमंत्री मोदी इसी दिशा में कोशिशें कर रहे हैं. आज की बैठक का फोकस, हिंद और प्रशांत महासागर में भारत के हितों पर था. चीन के खतरे को लेकर था और भारत ने रशिया पर भी सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा. महाशक्तियों के बीच संतुलन कैसे बैठाया जाता है, ये आज दुनिया प्रधानमंत्री मोदी से सीख सकती है.
मोदी के मौन से दुनिया कन्फ्यूज!
आज भारत में और दूसरे देशों में जो लोग ये कह रहे हैं कि भारत को स्पष्ट करना चाहिए कि वो रशिया के साथ है या अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ है. ऐसे लोगों को हम बताना चाहते हैं कि कूटनीति के खेल में वही देश जीतता है, जो शुरुआत में अपने पत्ते नहीं दिखाता. भारत भी ये जाहिर नहीं करना चाहता कि वो किसके साथ है. वो संतुलन के साथ अमेरिका और पश्चिमी देशों से बातचीत कर रहा है और वो रशिया के साथ भी लगातार सम्पर्क में है और अब तक प्रधानमंत्री मोदी दो बार व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के मामले पर बात कर चुके हैं.
तेल की बढ़ती कीमतों से रूस को फायदा!
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े इस युद्ध का सबसे ज्यादा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ा है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में 11 साल बाद कच्चे तेल की कीमतें 113 Dollar प्रति बैरल पहुंची है और अनुमान है कि अगर ये युद्ध 15 दिन और चला तो ये कीमतें 130 Dollar प्रति बैरल भी पहुंच सकती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि जिस रशिया की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में ये ऐतिहासिक वृद्धि हुई है, उसी रशिया को इसका सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है.
कच्चे तेल का उत्पादन करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश रूस
अमेरिका के बाद रूस कच्चे तेल का उत्पादन करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. रशिया प्रति दिन 1 करोड़ 10 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करता है, जिनमें से 50 से 60 लाख बैरल कच्चा तेल वो हर रोज दुनिया के दूसरे देशों को निर्यात करता है. यानी दूसरे देशों को बेचता है और इन देशों में जर्मनी, इटली, Netherlands, Poland, Finland, Lithuania (लिथुआनिया), ग्रीस, Romania और Bulgaria जैसे पश्चिमी देश शामिल हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि रशिया जो कच्चा तेल बेचता है, उसका आधा हिस्सा इन्हीं देशों को मिलता है.