वॉशिंगटन: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में कम से कम 40 जवानों के शहीद होने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया है और कहा है कि वह सभी आतंकवादी समूहों को समर्थन और पनाह देना तुरंत बंद करे. अमेरिका के कई सांसदों ने भी जघन्य आतंकवादी हमले को लेकर भारत के साथ एकजुटता प्रदर्शित की और कहा कि आतंकवाद की निंदा और उसे मात देने के लिए दोनों देश एकजुट हैं.


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पार्टी लाइन से परे जाकर 50 से ज्यादा कांग्रेस सदस्यों और सीनेटरों ने सोशल मीडिया पर भारत के लोगों के प्रति एकजुटता प्रदर्शित की है और जैश-ए-मोहम्मद एवं इसे प्रायोजित करने वाले सरकारी तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान किया है.  पाकिस्तान से गतिविधियां चलाने वाले आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) ने पुलवामा में गुरूवार को हुए फिदाई हमले की जिम्मेदारी ली है. इस हमले में सीआरपीएफ के कम से कम 40 जवान शहीद हुए हैं और पांच अन्य गंभीर रूप से घायल हैं.


व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने गुरुवार देर रात जारी एक बयान में कहा, ‘‘अमेरिका पाकिस्तान से अपील करता है कि वह अपनी जमीन से आतंकी गतिविधियां चलाने वाले ऐसे सभी आतंकवादी संगठनों को समर्थन और पनाह देना तुरंत बंद करे जिनका एकमात्र लक्ष्य क्षेत्र में अव्यवस्था, हिंसा और आतंक फैलाना है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘यह हमला आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका और भारत के सहयोग एवं साझेदारी को और बढ़ाने के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाता है.’’ सैंडर्स ने कहा कि अमेरिका पुलवामा हमले की कड़े शब्दों में निंदा करता है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रेस सचिव ने कहा, ‘‘इस जघन्य हमले में जान की नुकसान के लिए हम पीड़ितों के परिजन, भारत सरकार और भारतीय लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदनाएं प्रकट करते हैं.’’


इससे पहले, अमेरिकी विदेश विभाग ने एक बयान में कहा कि वह आतंकवाद के हर रूप से मुकाबले में भारत सरकार के साथ मिल कर काम करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. विदेश विभाग के उप-प्रवक्ता रॉबर्ट पालाडीनो ने कहा, ‘‘अमेरिका भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर में भारतीय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर आज हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा करता है.’’


उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस जघन्य कृत्य की जिम्मेदारी ली है. हम सभी देशों से अपील करते हैं कि वह आतंकवादियों को सुरक्षित ठिकाने और समर्थन मुहैया नहीं कराने 
से संबंधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के संदर्भ में अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं.’’