Prahlad Iyengar Indian student suspended by MIT: अमेरिका स्थित ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ (एमआईटी) में पीएचडी कर रहे भारतीय मूल के एक छात्र को निलंबित कर दिया गया है. ‘एमआईटी कोलिशन अगेंस्ट अपार्थेड’ नामक एक संगठन ने ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ शेयर करके बताया कि नेशनल साइंस फाउंडेशन के फेलो प्रह्लाद अयंगर को ‘‘जनवरी 2026 तक निलंबित’’ कर दिया गया है. संगठन ने कहा कि इस निलंबन से अयंगर की पांच वर्षीय एनएसएफ फेलोशिप समाप्त हो जाएगी तथा उनका शैक्षणिक कैरियर बुरी तरह प्रभावित होगा.


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सबसे पहले जानें कौन हैं  प्रहलाद अयंगर
प्रहलाद अयंगर अमेरिका स्थित ‘मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ (एमआईटी) में पीएचडी कर रहे हैं. अयंगर कथित तौर पर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान विभाग से पीएचडी कर रहे हैं.


प्रहलाद अयंगर को क्‍यों किया गया निलंबि‍त
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने पिछले महीने कॉलेज पत्रिका में लिखे गए फिलिस्तीन के पक्ष में लिखे निबंध के कारण भारतीय मूल के पीएचडी स्कॉलर को निलंबित कर दिया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, प्रहलाद अयंगर, जिन्हें अपने कॉलेज परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया है, जनवरी 2026 तक निलंबित रहेंगे. इससे उनकी पांच वर्षीय नेशनल साइंस फाउंडेशन ग्रेजुएट रिसर्च फेलोशिप समाप्त हो जाएगी.


प्रहलाद अयंगर ने लिखा था फिलिस्तीन समर्थक आंदोलन पर एक निबंध लिखा था, जिसे बहु-विषयक छात्र पत्रिका रिटेन रिवोल्यूशन में प्रकाशित किया गया था. एमआईटी का मानना ​​है कि उन्होंने जो लिखा, उससे परिसर में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए और पत्रिका पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.


छात्र का क्‍या है बयान
अयंगर ने निलंबन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि इसने पूरे अमेरिका में परिसरों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बड़े मुद्दे को उजागर किया है. अयंगर के निलंबन के बाद, रंगभेद के खिलाफ एमआईटी गठबंधन ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया. समूह ने एक एक्स पोस्ट में लिखा, "फिलिस्तीन समर्थक आंदोलन के बारे में एक लेख के कारण प्रह्लाद के परिसर प्रतिबंध के खिलाफ सार्वजनिक प्रतिक्रिया के बाद, एमआईटी ने ऐसे आरोपों पर प्रह्लाद को निलंबित करने का फैसला किया, जिन्हें समान परिदृश्यों में अनौपचारिक चेतावनी के रूप में हल किया गया है."


कॉलेज ने क्‍या बताया सच
कॉलेज ने कहा कि आयंगर के लेख 'ऑन पैसिफ़िज़्म' में ऐसी भाषा थी जिसे "MIT में विरोध के अधिक हिंसक या विनाशकारी रूपों के आह्वान के रूप में समझा जा सकता है," MIT के छात्र जीवन के डीन डेविड वॉरेन रैंडल द्वारा पत्रिका के संपादकों को भेजे गए एक ईमेल के अनुसार. ईमेल में यह भी कहा गया कि लेख में ऐसी तस्वीरें थीं जिनमें फिलिस्तीन की मुक्ति के लिए लोकप्रिय मोर्चा का लोगो था, जो अमेरिकी विदेश विभाग के अनुसार एक आतंकवादी संगठन है.


अब क्‍या करेंगे प्रहलाद
प्रहलाद अब अपने खिलाफ लगाए गए अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों को कम करने के लिए चांसलर के समक्ष अपना मामला दायर कर रहे हैं. हमने एमआईटी के प्रशासन पर दबाव डालने के लिए एक अभियान शुरू किया है ताकि इतिहास के सही पक्ष पर खड़े छात्रों को अपराधी बनाना बंद किया जा सके. एमआईटी गठबंधन ने रंगभेद के खिलाफ एक बयान में कहा, "हम सभी संगठनों और विवेकपूर्ण संस्थाओं से अपील करते हैं कि वे इसमें शामिल हों और एमआईटी के दमन के खिलाफ खड़े हों."