Bangladesh Democracy: क्यों लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर है बांग्लादेश का लोकतंत्र? हैरान कर देंगी वजह
Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश में 2014 और 2018 के चुनाव विवादों से भरे रहे. 2014 के चुनाव का विपक्ष ने बहिष्कार किया. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित प्रमुख उदार लोकतंत्रों ने नए चुनाव का आह्वान किया, लेकिन भारत, रूस और चीन ने नतीजों को लेकर कोई दिक्कत नहीं जताई.
Bangaldesh News: बांग्लादेश में अगले साल होने वाले संसदीय चुनाव की तारीख तय होने से पहले ही देश पर संभावित रूप से लंबे समय तक चलने वाले राजनीतिक संकट का खतरा मंडराता नजर आ रहा है. एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप 1971 में जन्म के बाद बांग्लादेश में लोकतंत्र और कानून का शासन मुश्किलों में रहा, क्योंकि इसके पहले दशकों में संस्थापक राष्ट्रपति की हत्या के बाद तख्तापलट और जवाबी तख्ता पलट का दौर रहा.
बांग्लादेश में पॉलिटिकल सिनैरियो गवर्नेंस सिस्टम के जरिए हमेशा बदलता रहा है. यह एक दल के शासन, मिलिट्री कंट्रोल, चुनावी लोकतंत्र और एक नागरिक सरकार के तहत एक निरंकुश शासन के बीच ट्रांसफर हुआ. देश की राजनीतिक व्यवस्था अब काफी हद तक रूस से मिलती-जुलती है, जिसमें कुलीन वर्गों का एक समूह बहुत आर्थिक फायदा उठा रहा है और वर्तमान शासन को सत्ता में बनाए रखने के लिए भारी निवेश किया है.
विपक्ष बढ़ा रहा सरकार पर दबाव
देश में जनवरी 2024 में चुनाव होने हैं और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी एक तटस्थ कार्यवाहक सरकार के तहत चुनाव कराने की मांग को लेकर बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतर रैलियां कर, (सरकार पर) दबाव बढ़ा रही है.
हालांकि, देश में सत्तारूढ़ बांग्लादेश आवामी लीग इस बात अड़ी हुई है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में ही देश में चुनाव कराए जाएंगे . बांग्लादेश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष माना जाने वाला पिछला चुनाव 2008 में हुआ था और उसके अगले साल हसीना सत्ता में आईं.
देश में 2014 और 2018 के चुनाव विवादों से भरे रहे. 2014 के चुनाव का विपक्ष ने बहिष्कार किया. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित प्रमुख उदार लोकतंत्रों ने नए चुनाव का आह्वान किया, लेकिन भारत, रूस और चीन ने नतीजों को लेकर कोई दिक्कत नहीं जताई.
लोकतंत्र में गिरावट पर US ने जताई चिंता
अमेरिका ने बांग्लादेश में लोकतांत्रिक गिरावट के बारे में चिंता जताई है, जबकि चीन और रूस वर्तमान शासन को समर्थन देना जारी रखे हुए हैं. हसीना पर अमेरिकी दबाव को साफ तौर से खारिज करते हुए बांग्लादेश में चीन के राजदूत ने हाल ही में कहा कि उनका देश बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा, और रूस ने बांग्लादेश में अमेरिकी दूत के हस्तक्षेप की निंदा की.
एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव शायद बांग्लादेश के तानाशाही ढलान को रोकेगा और अधिक जवाबदेही का रास्ता खोलेगा. देश की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है और वहां बेरोजगारी बढ़ रही है.
सऊदी अरब, मिस्र और ईरान की तुलना में बड़ी मुस्लिम आबादी वाले युवा लोगों से भरे देश के लिए, एक कामकाजी लोकतंत्र आशावाद की भावना को वापस लाने का एकमात्र मौका दे सकता है.
2018 में विपक्ष ने लिया था चुनाव में भाग
हालांकि, कार्यवाहक सरकार के अधीन देश में चुनाव कराने की मांग पूरा नहीं किए जाने पर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी आगामी चुनाव का बहिष्कार कर सकती है. इसके बावजूद पार्टी शायद देशव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखेगी . विपक्ष ने 2018 के चुनाव में भाग लिया था, लेकिन डराने-धमकाने, विपक्ष के दमन और बड़े पैमाने पर वोट में धांधली के आरोपों से मतदान प्रभावित हुआ था, इसमें सत्ताधारी दल के लिये बूथों पर कब्जा भी शामिल था .
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश ने मतदान की निष्पक्षता के लिए सर्वेक्षण किया था जिसमें 50 में से 47 सीटों पर कई तरह की विसंगतियां पाई गई थीं. मानवाधिकार संगठनों ने शेख हसीना सरकार पर क्रूर नीति के तहत काम करने का आरोप लगाया है, जिसमें लोगों को जबरन गायब करना, एक्स्ट्राजूडिशल किलिंग्स और आलोचकों और विपक्षी हस्तियों को कैद करना शामिल है .
ह्यूमन राइट्स वॉच के आंकड़ों के अनुसार 2009 से अब तक करीब 600 लोग गायब हुए हैं . देश में 2018 के बाद से सुरक्षा बलों पर 600 एक्स्ट्राजूडिशल किलिंग्स के आरोप लगे हैं . स्वीडन की खोजी पत्रकारिता साइट नेत्र न्यूज को ढाका में एक गुप्त कारागार मिला जिसका नाम आइनाघर है जहां गायब लोगों को कथित रूप से रखा गया है .
दिसंबर 2021 में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन प्रशासन ने घोषणा की कि अमेरिका विशिष्ट अर्द्धसैनिक बल रैपिड एक्शन बटालियन और उसके छह पूर्व अधिकारियों, साथ ही बांग्लादेश पुलिस के वर्तमान और हाल के प्रमुखों के खिलाफ प्रतिबंध लगाएगा.
अमेरिका ने लगाए हैं वीजा प्रतिबंध
अमेरिकी विदेश विभाग ने घोर मानवाधिकार उल्लंघन के लिए दो पूर्व पुलिस अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों पर वीज़ा प्रतिबंध भी लगाया है. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस 198 मुकदमों का सामना कर रहे हैं और यूनुस के न्यायिक उत्पीड़न का शिकार होने की बात कहने वाले एक उप अटॉर्नी जनरल को बर्खास्त कर दिया गया. इस बीच, वर्तमान सरकार के साथ गहरे संबंध रखने वाले राजनेताओं और व्यापारियों ने कथित तौर पर अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर और अन्य जगहों पर घर खरीदे हैं और कंपनियां स्थापित की हैं.
(इनपुट-पीटीआई)