Churches turned into hotels: पूरे यूरोप में आस्था कमजोर हो रही है. कई रिपोर्ट्स के मुताबिक धर्म के प्रति लोगों की आस्था कम होने का जो ट्रेंड यूरोप में कई दशक पहले शुरू हुआ था उसमें कोई कमी नहीं आई है. यहां बात बेल्जियम की जहां सैकड़ों साल पहले से लोग क्रिश्चियानिटी में अपनी आस्था और विश्वास रखते थे. यही वजह है कि वहां सैकड़ों चर्च बनाए गए. लेकिन जब धार्मिक स्थलों में लोगों ने जाना कम कर दिया तब यहां पर जो फैसला लिया गया वो शायद किसी और देश में सोचा भी नहीं जा सकता है.


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जहां मांगी जाती थी मन्नतें वहां हो रही पार्टी


बेल्जियम में 50 सालों में चर्च जैसी पवित्र जगहों से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट आई तो इन धार्मिक जगहों को होटल, सुपर मार्केट और डिस्को में बदल दिया. इन आस्था स्थलों में बेल्जियम के लोगों ने कभी अपने पापों को स्वीकार करने के साथ अपनी खुशहाली की दुआ मांगी होगी, लेकिन आज यहां पार्टी, मौजमस्ती और सामान की खरीददारी हो रही है. ऐतिहासिक महत्व के एक चर्च में लोगों का आना जाना इतना कम हो गया था कि उसे 2 साल के लिए बंद करने का फैसला हुआ. फिर उसे नया स्वरूप देने के बारे में सोचा गया. इसी कड़ी में एक ऐतिहासिक चर्च अब होटल बन चुका है.



'एसोसिएटेड प्रेस' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक न सिर्फ एक देश बल्कि पूरे महाद्वीप के लोगों का धार्मिक गतिविधियों से दूरी बनाने का ट्रेंड समझ से परे है. यूरोप में करीब दो हजार साल से ईसाई धर्म का बोलबाला रहा है. लेकिन अब लोगों का रुझान धर्म से कम हुआ है. बेल्जियम के एंटवर्प के बिशप जोहान बोनी के मुताबिक लोगों का धर्म के प्रति आस्था कम होना दर्दनाक है. इन स्थलों के रखरखाव के लिए फंड की कमी हुई तो पूजाघरों का स्वरूप बदल दिया गया. बिशप का ये भी कहना है कि अतीत में वापसी संभव नहीं है. 


'आंकड़े हैरान कर देंगे'


उत्तरी बेल्जियम जहां यूरोप के कुछ महानतम कैथेड्रल और चर्च हैं. उनका स्वरूप बदल चुका है. एक सर्वे के मुताबिक बेल्जियम के 55% लोग खुद को ईसाई मानते हैं. बेल्जियम में बहुत कम लोग ही अब नियमित रूप से चर्च जाते हैं. करीब 300 कस्बों में कई चर्च हैं जहां लोग अब नहीं जाते हैं. इसलिए उनके रखरखाव का काम मुश्किल हो गया है. यहां का मशहूर मार्टिन पैटरशॉफ होटल भी कभी चर्च था.