Why US opposing to remove Titanic shipwreck: टाइटैनिक हादसे को लेकर कई तरह की बातें कही जाकी हैं. इस हादसे पर फिल्म बन चुकी है. इसका क्रेज ही कुछ ऐसा है कि टाइटैनिक हादसे से जुड़ा कोई लेटेस्ट अपडेट हो या टाइटेनिक से जुड़ी कोई अनसुनी कहानी उसके बारे में जानने के लिए लोग आज भी उत्सुक रहते हैं. इससे जुड़ी बड़ी खबर यह है कि एक ओर टाइटेनिक का मलबा निकालने की तैयारी हो रही है, तो दूसरी ओर अमेरिका पूरी ताकत से इस काम को रोकना चाहता है. एक सर्वशक्तिमान देश को टाइटेनिक का मलबा बाहर निकालने से भला क्या परेशानी है, इसे लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं.


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कानूनी लड़ाई तक पहुंची नौबत


'न्यूयार्क टाइम्स' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, जॉर्जिया की आरएमएस टाइटैनिक इंक नाम की कंपनी 2024 से टाइटैनिक का मलबा निकालने की तैयारियों में जुटी है. वहीं अमेरिका की सरकार संघीय कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौते का हवाला देते हुए इसके विरोध में है. दरअसल संघीय कानून और अंतरराष्ट्रीय समझौता जहाज के मलबे को कब्रगाह के रूप में मान्यता दी गई है. अमेरिका की ओर से यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया है जब कुछ समय पहले हुए टाइटन पनडुब्बी हादसे में 5 लोगों की मौत होने के बाद सवाल उठा था कि यह बात कौन तय करता है कि टाइटैनिक के अवशेष तक कौन जा सकता है यानी इस टूरिज्म से किसके और कितने हित जुड़े हैं? 


आपको यहां पर ये अपडेट भी दे दें कि RMST के पास ही टाइटैनिक जहाज के मलबे को बचाने का अधिकार है. यही कंपनी टाइटैनिक के मलबे को निकाल कर प्रदर्शित करती है, जिसमें बेशकीमती और एंटीक चीजें होती हैं. हालांकि यह कंपनी मलबा क्यों बाहर करना चाहती है? इसे लेकर भी लोग उसकी नई प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं.


अधिकारों की लड़ाई


रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी सरकार कंपनी का अभियान रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई कर रही है कि कौन जहाज से कलाकृतियों को रिकवर कर सकता है. ये कानूनी कार्रवाई इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि इसे लेकर कई पेंच फंसे हैं. अमेरिकी सरकार टाइटैनिक हादसा मामले में एक पार्टी बनकर इस अभियान को रोकना चाहती है. इसी सिलसिले में अमेरिकी सचिव और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) विभाग के अधिकारी का कहना है कि यह अधिकार उसके पास है कि वह किसी को टाइटैनिक तक पहुंचने की अनुमति देता है या नहीं.


टाइटैनिक जहाज का मलबा पहली बार सितंबर 1985 में समुद्रतल से 12500 फीट नीचे मिला था. तब अमेरिकी अधिकारियों ने टाइटैनिक जहाज के मलबे तक पहुंच और उसे विनियमित करने के लिए कानूनी अधिकार की मांग शुरू कर दी थी. तआगे 1994 में RMST को इससे जुड़े कई अधिकार दिए गए थे. तत्कालीन सरकार ने एक वैश्विक समझौते का आह्वान किया था. सरकार ने ये ऐलान भी किया था कि किसी को भी जहाज के मलबे से संबंधित किसी भी मामले में कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए. हालांकि बीते कुछ सालों में, जहाज के कई अवशेषों को बाहर लाया गया है. 


यहां पर्यटन के नाम पर जबरदस्त कमाई हो रही थी, यह बात सबको पता थी. लेकिन इस मामले ने तूल तब पकड़ा जब इसी साल जून के महीने में OceanGate कंपनी की टाइटन नाम की पनडुब्बी में सवार होकर टाइटैनिक जहाज का मलबा देखने हजारों फिट गहरे पानी में गए पांच लोगों की मौत हो गई थी. उसके बाद ऐसे ऑपरेशंस को लेकर कई तरह के सवाल उठे थे. तभी से इस मलबे को बाहर निकालने का मामला गर्माया हुआ है.