New Zealand News: पंख होने के बावजूद जो उड़ नहीं सकता, उस पक्षी को न्यूजीलैंड ने क्यों बनाया `बर्ड ऑफ द ईयर`
New Zealand Bird of the Year: एक ऐसा पक्षी, जिसके पंख तो हैं लेकिन वह उड़ नहीं सकता. ठंडे पानी से उसकी गहरी दोस्ती है. ऐसे दुर्लभ पक्षी को न्यूजीलैंड ने अपना बर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया है.
New Zealand News in Hindi: पेंगुइन एक ऐसा पक्षी है, जिसके पंख तो होते हैं लेकिन अपने भारी वजन से वह उड़ नहीं पाता. शर्मीले स्वभाव वाला पेंगुइन इंसानों की तरह ही दो पैरों पर चलता है. इसके शरीर से अजीब सी गंध निकलती है. यह पक्षी आमतौर पर ठंडे समुद्रों के किनारे पाया जाता है. अब न्यूजीलैंड में पेंगुइन को बर्ड ऑफ द ईयर घोषित किया गया है.
होइहो बना बर्ड ऑफ द ईयर
रिपोर्ट के मुताबिक पीली आंखों वाले पेंगुइन, जिसे वहां होइहो कहा जाता है, वह दुनिया के दुर्लभ जीवों में से एक है. हालांकि न्यूजीलैंड में इसी दुर्लभ प्रजाति के पेंगुइन सबसे ज्यादा मिलते हैं. सहयोगी वेबसाइट WION के मुताबिक बर्ड ऑफ द ईयर चुनने के लिए न्यूजीलैंड में ऑनलाइन वोटिंग करवाई गई. इसमें 50 हजार से ज्यादा लोगों ने अपने वोट दिए.
दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे ये पक्षी
इस वोटिंग में 6,328 वोट हासिल करके पेंगुइन ने बर्ड ऑफ द ईयर की लड़ाई जीत ली. दूसरे स्थान पर छोटे साइज वाले 'गॉथ ब्लैक रॉबिन' नाम के पक्षी को मिला, जो केवल न्यूजीलैंड के चैथम द्वीप में पाया जाता है. वहीं तीसरा स्थान उल्लू के चेहरे वाले तोते काकापो को मिला. उस तोते ने यह प्रतियोगिता वर्ष 2008 और 2020 में भी जीती थीं.
पीली चोंच वाला पेंगुइन पक्षी
न्यूजीलैंड में पाए जाने वाले पेंगुइन को होइहो नाम उसकी तीखी शोर मचाने वाली आवाज की वजह से दिया गया है. यह न्यूजीलैंड के मूल निवासियों की भाषा माओरी का एक शब्द है. पीली चोंच वाला पेंगुइन तटीय जंगलों, घने सन या झाड़ियों में रहता है. न्यूजीलैंड में यह प्रजाति दक्षिण द्वीप के पूर्वी तट और उप-अंटार्कटिक ऑकलैंड द्वीप समूह पर पाई जाती है.
तेजी से घटती जा रही है संख्या
पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक दुनिया में दुर्लभ होइहो पेंगुइन की आबादी लगभग 4,000-5,000 होने का अनुमान है. पिछले 15 वर्षों में, मुख्य भूमि में प्रजनन करने वाले इन पक्षियों की संख्या में 78 प्रतिशत की उल्लेखनीय गिरावट आई है. पिछले साल ही इस जन्म दर में 18 प्रतिशत की गिरावट आई. बताते चलें कि न्यूजीलैंड में देशी पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ष 2005 में बर्ड ऑफ द ईयर प्रतियोगिता शुरू की गई थी.