दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी के तानाशाह हिटलर की नाज़ी सेनाओं ने 60 लाख से भी ज़्यादा यहूदियों यानी Jews की हत्याएं की.


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अत्याचार के दौर में यहूदियों की तरफ़ से अपने एक अलग देश की मांग होने लगी..जर्मनी में हिटलर से बचने के लिये यहूदी यूरोप के कई देशों में शरणार्थियों की तरह रहने पर मजबूर थे. दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी की हार के बाद 1947 में UN में एक नया Resolution पास किया गया जिसमें कहा गया कि यहूदियों को अपना एक देश मिलना चाहिए.


इस Resolution के बाद फिलिस्तीन को दो भागों में बांट दिया गया, एक हिस्सा यहूदी राज्य बना और दूसरा अरब राज्य. 
लेकिन बड़ी समस्या थी Jerusalem क्योंकि यहां आधी आबादी यहूदियों की थी और आधी आबादी मुसलमानों की.


1948 में इज़रायल के आस-पास के देशों जैसे सीरिया, इऱाक और जॉर्डन ने इज़रायल पर हमला कर दिया, 1948 से 1949 तक चले इस युद्ध को अरब-इज़रायल युद्ध के नाम से जाना जाता है 


इसके बाद 1967 में Egypt ने अपनी सेना इज़रायल की सीमा पर तैनात कर दी. और फिर कई देशों ने इज़रायल के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. इस लड़ाई में इज़रायल ने Egypt, जॉर्डन और सीरिया सहित कई देशों को एक साथ बुरी तरह से हराया और गाज़ा को अपने कब्ज़े में ले लिया. इस युद्ध को Six Day War भी कहा जाता है


इस दौरान फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच विवाद और बढ़ गया, इजरायल के खिलाफ़ PLO यानि  Palestine Liberation Organization  ने अपनी लड़ाई शुरू की, जिसके नेता यासिर अराफात बने.


1993 में Oslo Agreement के तहत इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच समझौता हुआ, इसके तहत पांच साल के लिए हिंसा रोकने पर सहमति बनी. लेकिन ये समझौता ज़्यादा समय तक टिक नहीं पाया.


आज भी फिलिस्तीन और इज़रायल के बीच का विवाद सुलझा नहीं है. लेकिन इज़रायल ने आधुनिक technology की मदद से अपने Border को सुरक्षित किया हुआ है. और भारत के लिए ये सीखने वाली बात है.