Israel-Hamas War Ground Report: नमस्कार दोस्तों, मैं विशाल पाण्डेय हूं. इजरायल-हमास के बीच भीषण युद्ध जारी है. ये युद्ध कब तक चलेगा, इसका जवाब शायद ही किसी के पास हो. लेकिन आज मैं आपको सीधे युद्ध के मैदान से आंखों देखी बताऊंगा, जो मैंने बीते 18 दिनों में देखा और महसूस किया, उसे शब्दों में पिरोने का प्रयास करूंगा. मेरे लिए वॉर जोन के दर्द और तस्वीरों को शब्दों में बयां करने थोड़ा मुश्किल है लेकिन फिर भी मैं आप तक प्रथम दृष्टया वृंतात बता रहा हूं. मेरी डायरी के पार्ट-2 में मैं आपको इजरायल के हालात और पीड़ित इजरायलियों की दास्तान के बारे में बताता हूं.


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जब सड़क पर दिखा खून ही खून


मैं यहां से गाजा बॉर्डर की तरफ और आगे बढ़ने लगा. इसी दौरान एयर सायरन बजा. गाड़ी को अचानक रोक मेरे ड्राइवर ने कहा कि Run…Run. फिर हम शेल्टर की तरफ भागने लगे. हमास की तरफ से 8-10 रॉकेट एक साथ दागे गए थे. बहुत देर तक धमाकों की आवाज आती रही. लगभग आधे घंटे बाद हम बंकर से निकलकर गाजा बॉर्डर के जीरो प्वाइंट पर पहुंच गए. यहां से गाजा पट्टी मैं अपनी आंखों से देख पा रहा था. इस पूरे इलाके में इजरायली सेना का कंट्रोल था. गाजा पट्टी में हमास के आतंकी ठिकानों को इजरायली सेना निशाना बना रही थी. आसमान में धुआं नजर आ रहा था. इस जगह से मैं 500 मीटर आगे बढ़ा तो मैंने जो कुछ देखा वो बहुत विचलित करने वाला था. यहां पर लोगों की गाड़ियां जली हुई थीं. गाड़ियों पर सिर्फ गोलियों के निशान थे. सड़क पर बुलेट्स बिछी पड़ी थीं. हमास के आतंकी इसी रास्ते से अंदर आए थे. इसके आगे हमें नहीं जाने दिया गया. लेकिन सड़क पर खून ही खून दिखाई दे रहा था. कुछ सेना के जवानों ने नाम ना बताने की शर्त पर जानकारी दी कि यहां पर सैकड़ों की संख्या में हमास के आतंकी आए थे और रास्ता रोककर गाड़ियों पर गोलियां चला रहे थे.


हर वक्त 15 KG का बुलेटप्रूफ जैकेट पहने रहने की चुनौती


यहां शाम होने वाली थी और हम तेल अवीव के लिए रवाना हो गए. हाईवे पर एक बार फिर सायरन की आवाज सुनाई पड़ी. मैंने देखा कि इजरायली सेना के जवान अपनी बस से उतरकर सड़क पर लेट गए ताकि खुद को सुरक्षित रख सकें. हम भी अपनी कार से उतरकर सड़क पर लेट गए. पूरे दिन भर हमें बुलेट प्रूफ जैकेट और हेलमेट पहने रखना होता था. इसके बिना एक सेकंड भी खतरनाक साबित हो सकता था. लगभग 15 किलो का बुलेटप्रूफ जैकेट और 1 किलो के आसपास का हेलमेट पहनना हमारे खुद की सुरक्षा के लिए बेहद अनिवार्य था. इस दौरान मेरे ऑफिस से कई बार फोन आया और मेरा हाल चाल पूछा क्योंकि उन्हें लगातार चिंता इस बात की थी कि हम युद्ध क्षेत्र में सुरक्षित रहें.


नहीं मिली किबुत्ज बेरी जाने की इजाजत


अगले दिन हम तेल अवीव से किबुत्ज बेरी जाने के लिए रवाना हुए. नेटिवोट क्रासिंग पार कर हम किबुत्ज बेरी के चौराहे तक तो पहुंच गए लेकिन उसके आगे हमें इजरायल डिफेंस फोर्स ने नहीं जाने दिया. क्योंकि इस इलाके में अभी भी आतंकी मौजूद थे. किबुत्ज बेरी में हमास ने नरसंहार किया था. लगभग 150 लोगों को इस गांव में अकेले मारा था और सैकड़ों लोगों को किडनैप किया था. मेरे ड्राइवर ने मुझे बताया कि वो एक रास्ता जानते हैं जिससे युद्ध के मैदान से बेहद नजदीक पहुंच सकते हैं. हम उनके साथ आगे बढ़ गए. कुछ बेहद खतरनाक और सुनसान रास्तों से होते हुए हमारे चालक ने हमें युद्ध के मैदान तक पहुंचा दिया. यहां से मात्र 500 मीटर की दूरी पर गाजा पट्टी की Fencing दिखाई दे रही थी. इजरायल सेना के सैंकड़ों टैंक यहां पोजीशन लिए तैनात थे. हजारों की संख्या में इजरायली आर्मी यहां पर तैनात थी. रुक-रुककर टैंक से गाजा पट्टी की तरफ यहां से फायर किया जा रहा था. हमास की ओर से भी रॉकेट इस तरफ दागे जा रहे थे. मैं Live Reporting कर रहा था और इस दौरान कम से कम 100 बार धमाकों की आवाज सुनाई दी. यहां पहुंचकर लगा कि इजरायल की सेना की इस बार बहुत बड़ी तैनाती है. इजरायली सेना इस बार हमास का नामोंनिशान मिटा देगी. यहां पर हमें एक बड़े चट्टान के पास से रिपोर्टिंग करनी पड़ रही थी क्योंकि हमले बहुत तेज थे. मैं शाम 4 बजे Zee News पर शोभना यादव के साथ LIVE चैट कर रहा था कि इसी बीच तेज सायरन की आवाज आई और हमें बंकर की तरफ भागना पड़ा. जब मैं बंकर में पहुंचा तो बहुत तेज बदबू आ रही थी, शायद यहां पर लाशें पड़ी होंगी. जिन्हें अब हटा दिया गया था.


होटल पहुंचते ही हो गया मिसाइल हमला


यहां से निकलकर हम जिकिम बीच की तरफ आगे बढ़ने का प्रयास करने लगे लेकिन सुरक्षाबलों ने हमें रोक दिया. हम वहां से वापस तेल अवीव के लिए बढ़ने लगे. इतनी देर में खबर आई कि इजरायली सुरक्षाबलों ने जिकिम बीच के पास 4 आतंकियों को मार गिराया है. हम तेल अवीव में होटल के लॉबी में पहुंचे ही थे कि तेल अवीव में रॉकेट हमले का सायरन बजने लगा. हम तुरंत होटल के माइनस 2 की तरफ भागे. छोटे-छोटे बच्चे डरे हुए थे, उनके चेहरों पर खौफ साफ नजर आ रहा था. मानो कि बंकर और सायरन इज़रायल की जिंदगी का एक हिस्सा सा बन चुका था.


अगले दिन हम फिर Sderot पहुंचे. इस बार कुछ अस्पतालों का दौरा किया. यहां बीती रात ही एक रॉकेट से हमला किया गया था. एंबुलेंस पर रॉकेट हमले का असर साफ नजर आ रहा था. लेकिन ये मेडिकल टीम सेना के जवानों के लिए First Responder के तौर पर काम कर रही थी. यहां से हम एक बार फिर युद्ध के मैदान की तरफ आगे बढ़े. हमें आज यहां पर हजारों की संख्या में टैंक गाजा बॉर्डर की तरफ तैनात होते हुए दिखाई दिए. पूरे इलाके में सिर्फ धूल ही धूल नजर आ रही थी. हम भी धूल से नहा चुके थे. इजरायल के तरफ से गाजा पट्टी में यह ग्राउंड ऑपरेशन लॉन्च करने की सबसे बड़ी तैयारी लग रही थी. इजरायल के टैंकों पर इजरायल के झंडे लगे हुए थे और सैनिक विजय चिन्ह दिखाकर आगे बढ़ रहे थे. सैनिकों का जोश हाई था और ऐसा लग रहा था कि बस उन्हें आदेश का इंतजार है और ये गाजा पट्टी के अंदर घुसकर हमास के आतंकियों का अंत कर देंगे.


बात करते-करते रोने लगी इजरायली महिला


युद्ध के मैदान से हम वापस Sderot की तरफ आ गए. Sderot हमारे लिए भारत का विजय चौक बन गया था. दुनिया भर की मीडिया इस प्वाइंट पर एक साथ इकट्ठा होती थी. यहां से एक रास्ता कफर अजा के लिए जाता है. लेकिन उस रास्ते पर हमें सुरक्षाबलों ने जाने की इजाजत नहीं दी. इस दौरान मैंने एक इजरायली महिला को देखा, जो कि एक वैन में राहत सामग्री लेकर बॉर्डर एरिया में पहुंची थी. मैंने उनसे बातचीत शुरू की, पहले वो काफी भावुक हो गईं. फिर उन्होंने कहा कि मेरा बेटा बॉर्डर पर तैनात है. वो एक सैनिक है और मैं उसके लिए खाना और पानी लेकर आई हूं. इस महिला ने बेहद गुस्से में पूछा कि बच्चों का क्या दोष है? मां के हाथ से बच्चों को छीनकर हमास ने हत्या की है? महिलाओं के साथ रेप कर उन्हें मार दिया. अपने साथ अपहरण कर गाजा पट्टी ले गए? हमास को अब खत्म कर देना चाहिए.


मुझे भी महसूस हुआ इजरायलियों का दर्द


मैंने देखा कि इसी रास्ते में झाड़ियों के पास एक कार खड़ी है. इस कार पर चारों तरफ गोलियों के निशान हैं. कार के अंदर खून ही खून है. मैंने पता किया तो जानकारी मिली कि आतंकियों ने इस कार पर 100 मीटर तक गोलियां चलाई. इस कार में जो लोग सवार थे, उनकी मौत हो गई है. कार के पास ही बच्चे का Stroller दिखाई दिया, शायद इसमें कोई बच्चा मौजूद रहा होगा. बगल में उसके खिलौने पड़े थे. मुझे नहीं पता कि वो बच्चा जिंदा है कि नहीं लेकिन उस वक्त हमास के आतंकियों ने जो नरसंहार किया, उसके दर्द को मैं यहां पर महसूस कर पा रहा था.


आयरन डोम ने बचाई मेरी जान


अंधेरा हो चुका था और मैं तेल अवीव के लिए रवाना हो रहा था. इसी बीच मेरी मम्मी ने मुझे फोन किया और बहुत परेशान थीं. उन्हें चिंता थी कि मैं सुरक्षित हूं कि नहीं? क्योंकि टीवी पर लगातार युद्ध की तस्वीरें आ रही थीं. वो रोने लगी थीं, मैंने उन्हें बताया कि मैं बिलकुल ठीक हूं और चिंता की कोई बात नहीं है. बातचीत करते-करते मैं तेल अवीव पहुंच गया. धूल से सना हुआ था. होटल पहुंचते ही शॉवर लेने लगा लेकिन इसी बीच एक बार फिर एयर सायरन बजा और हमें तुरंत अपने फ्लोर के बंकर की तरफ भागना पड़ा. हमारे पास मात्र 10 सेकंड का समय था लेकिन मैं काफी लेट हो गया था. शुक्र ये था कि आयरन डोम ने हमास के रॉकेट को असफल कर दिया था.


एक हाथ में किताब तो दूसरे में खिलौना लेकर निकले बच्चे


तेल अवीव से अगले दिन मैं फिर इजरायल में युद्ध के मैदान वाले विजय चौक के लिए निकला. Sderot में गाजा बॉर्डर के पास युद्ध के मैदान में कल से ज्यादा टैंकों की तैनाती दिखाई दे रही थी. आज सैनिकों की संख्या भी बहुत ज्यादा थी. Live Report करने के बाद मैं Sderot के एक कम्युनिटी सेंटर में पहुंचा. जहां कुछ स्थानीय परिवार के लोग अपने घरों को छोड़कर दूर जा रहे थे. क्योंकि सरकार ने पूरे Sderot शहर को खाली कराने का निर्देश दिया था. छोटे-छोटे बच्चे एक हाथ में किताब और एक में खिलौने लेकर बसों में बैठ रहे थे. एक छोटी सी मासूम बच्ची जिसकी उम्र शायद 10 साल रही होगी, वो मुझे देख रही थी. मैं उसकी आंखों में उसका दर्द महसूस कर पा रहा था. उसके चेहरे का डर मैं पढ़ पा रहा था. वो बार-बार अपनी मां से लिपट जा रही थी. शहर खाली हो रहा था लेकिन इसी बीच फिर सायरन बजा और लोगों को बंकर में भागना पड़ा.


हमले के बाद से गायब दोस्त को ढूंढती लड़की से मुलाकात


इसी दौरान गाजा बॉर्डर की तरफ आगे बढ़ने पर मुझे एक 25 साल की लड़की दिखाई पड़ी जो अपने दोस्त को ढूंढ रही है. उसने मुझे बताया कि उसकी दोस्त Reim Music पार्टी में शामिल थी और वो 7 अक्टूबर से ही गायब है. उसे नहीं पता कि उसकी दोस्त जिंदा भी है या नहीं! बहुत ही पीड़ादायक पल था. यहां से मैं एक बार फिर Ashkelon पहुंचा, जहां मैंने Riki Shai को फोन किया. वो हमें Ashkelon बीच की तरफ लेकर आगे बढ़ीं. हम समंदर के रास्ते में थे लेकिन हमें फिर एयर सायरन सुनाई पड़ा और कार रोक कर सुरक्षित स्थान पर जाना था. हमें आस-पास कोई बंकर दिखाई नहीं दिया तो एक बस स्टैंड के पीछे छिपे और खुद को सुरक्षित करने का प्रयास किया. इसके बाद जब मैं Ashkelon बीच पर पहुंचा तो यहां सब कुछ खाली था. कोई इंसान दिखाई तक नहीं दे रहा था. रिकी शाई ने बताया कि इसी रास्ते हमास के आतंकी आए थे. इन इलाकों में गोलीबारी की, यह जिकिम बीच का रास्ता है. उन्होंने हमें गोलियों के निशान दिखाए. हमारी आवाज सुनकर एक नाविक हमारे पास आया, वो समंदर के किनारे अपनी नाव में घर बनाकर रहता था. लेकिन 7 अक्टूबर से अपनी बूढ़ी मां के साथ एक शेल्टर में रह रहा है. उन्होंने बताया कि डर लगता है. बहुत डर लगता है, आतंकवादी फिर से ना आ जाएं. उन्होंने कहा कि अब ये पूरा इलाका खाली हो गया है.


इजरायली ड्राइवर ने सुनाया बॉलीवुड गाना


मेरे ड्राइवर Eli मेरे साथ एक कुर्सी पर बैठ गए. वो भारत को बहुत पसंद करते हैं. वो भारत के लोकतंत्र और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करने लगे और कहा कि वो पीएम मोदी को बहुत पसंद करते हैं. एली को हिंदी फिल्में बहुत पसंद हैं. उन्होंने राजकुमार का बोल राधा बोल गीत सुनाया और बताया कि वो इस फिल्म को 5 बार देख चुके हैं. वो इस गीत को सुना ही रहे थे कि हमले का सायरन बज गया. 72 साल के Eli हम लोगों को लेकर बंकर की तरफ दौड़ पड़े और कहा कि यहां रुको. वो हांफने लगे थे, उनकी सांसें चढ़ आई थीं.


अचानक कैंसिल हो गई मेरी वतन वापसी की फ्लाइट


फिर हम Ashkelon से तेल अवीव के लिए रवाना हो गए. मेरी 16 अक्टूबर को तेल अवीव से दिल्ली की वापसी की फ्लाइट बुक थी. लेकिन रास्ते में मेरे ट्रैवल अधिकारी वरुण का फोन आया कि आपकी फ्लाइट कैंसिल हो गई है. मौजूदा हालात के चलते उड़ान रद्द हो गई है. फिर ऑफिस से फोन आया और कहा गया कि सुरक्षित रहते हुए ही रिपोर्टिंग करना है, वो देख रहे हैं कि कब वापसी की फ्लाइट बुक हो पाती है.


बॉर्डर पार से देखा गाजा पर पलटवार


17 अक्टूबर को इजरायल की डिफेंस फ़ोर्स ने मुझे Kibbutz Be’eri चलने के लिए कहा. मैं तेल अवीव से निकलकर सबसे पहले Sderot पहुंचा. तुर्किए से आए एक फोटोग्राफर Metin ने मुझे फोन पर एक लोकेशन भेजी और कहा कि यहां से पूरी गाजा पट्टी दिखाई दे रही है. आप यहां पहुंच जाइए. मैं Metin के दिए हुए लोकेशन पर पहुंच गया. यहां पर गाजा बॉर्डर की Fencing नजर आ रही थी. सामने गाजा पट्टी दिखाई दे रही थी और उत्तरी गाजा पर इजरायल की सेना हवाई हमले कर हमास के आतंकियों को मार रही थी. हर 10 मिनट में उत्तरी गाजा की एक बिल्डिंग से धुआं उठता हुआ नजर आ रहा था. यह एक ऊंची चोटी पर मौजूद जगह थी. इस जगह को भी हमास निशाना बना रहा था. इजरायल की सेना के कुछ जवान हमारे पास आए और कहा कि मिट्टी के टीले के पीछे रहकर रिपोर्टिंग करें. यहां से हम लोग हमास के निशाने के दायरे में हैं. हमने सेना के आदेश का अक्षरशः पालन किया और खुद को छिपाते हुए दुनिया तक युद्ध की खबर पहुंचाई.


आखिरकार किबुत्ज बेरी में मिल गई एंट्री


यहां से निकलकर मैं सीधे Reim Junction के लिए रवाना हुआ. वैसे तो Sderot से Reim Junction बहुत दूर नहीं है लेकिन मौजूदा युद्ध की वजह से बॉर्डर के सभी रास्ते मिलिट्री ने बंद कर दिए थे. इस इलाके में गूगल मैप भी काम नहीं कर रहा था. हम लगभग 70 किलोमीटर घूम कर Reim Junction पहुंचे. जहां पर हमारी मुलाकात इजरायली डिफेंस फोर्स के अधिकारियों से हुई. वो हमें अपने एस्कॉर्ट में Kibbutz Be’eri के लिए लेकर रवाना हुए. हमारे बाईं तरफ गाजा पट्टी थी और दाहिने तरफ बेरी. सड़कों के दोनों तरफ तबाही की तस्वीरें थीं. कारें जली पड़ी हुई थीं. बेरी पहुंचते ही मैंने देखा कि इस गांव में सेना के टैंक तैनात कर दिए गए हैं. पूरे गांव को खाली करा लिया गया है. हमास के आतंकियों ने बॉर्डर पार कर इस किबुत्ज में हमला किया था. अकेले 150 लोगों को यहां मार दिया और लोगों को किडनैप कर अपने साथ ले गए. यहां पर अधितकर घर जले हुए थे. लोगों के घर राख बन चुके थे. आग की तपिश अभी भी महसूस की जा सकती थी. कोई ऐसा घर नहीं बचा था जहां पर गोलियों के निशान ना हों. बेरी के एक चौराहे पर हमें गोलियां का ढेर दिखाई पड़ा. थोड़ी ही दूरी पर हमास के आतंकियों के बुलेट प्रूफ जैकेट पड़े हुए थे. हमास के आतंकियों की मोटर साइकिल पड़ी हुई थी, जिसके माध्यम से इन आतंकियों ने किबुत्ज में घुसपैठ की. एक घर के बाहर हमास के आतंकियों के बंदूक की मैगजीन बड़ी संख्या में मौजूद थी. उनके चाकू भी मौजूद थे जिससे लोगों पर हमला किया था.


नरसंहार के निशानों ने मुझे इमोशनल कर दिया


किबुत्ज बेरी में ही स्कूल पर भी हमास के आतंकियों ने हमला कर दिया था. स्कूल को भी नहीं छोड़ा. एक घर में किचन में सिर्फ खून ही खून फैला दिखाई दिया. घर की दीवारें बुलेट से छलनी हुई पड़ी थीं. एक बच्चे की डॉल खिड़की पर रखी हुई थी, शायद कोई बच्चा इसके साथ खेल रहा होगा. जब हमास के आतंकियों ने हमला किया होगा, वो बच्चा अभी जिंदा है कि नहीं, मुझे नहीं मालूम. इस किबुत्ज का मैंने 2 घंटे तक दौरा किया और एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की. ताकि दुनिया हमास के आतंक का असली चेहरा Zee News के माध्यम से देख सके. मैं अंदर से बहुत भावुक हो गया था. मेरे शब्दों में गुस्सा था और दर्द भी. हमास के आतंकी मासूम बच्चों को गोली मार रहे थे, ये कैसी बहादुरी है? खैर…इस कहानी को बयां करते हुए मैं खुद इतना लीन हो गया था मुझे लग रहा था कि अगर मैं यहां पर होता तो मेरे ऊपर क्या बीतती? लोग बचने का प्रयास कर रहे थे लेकिन आतंकियों ने बर्बरता से नरसंहार किया.


जान हथेली पर रख इजरायल में की रिपोर्टिंग


Zee News यहां पर पहुंचने वाला भारत का पहला न्यूज़ चैनल था. यहां पर हर कदम पर खतरा था, हमसे एक फॉर्म पर पहले ही हस्ताक्षर करा लिया गया था कि हम अपने खतरे पर इस किबुत्ज बेरी में प्रवेश कर रहे हैं. अगर कुछ होता है तो इजरायल सरकार का कोई लेना-देना नहीं होगा. हालांकि इजरायल की सुरक्षा जवान हमेशा हमारे साथ मौजूद थे. वो हमें अकेला नहीं छोड़ रहे थे. डर मुझे भी लग रहा था, चिंता मुझे भी हो रही थी लेकिन इस नरसंहार की तस्वीर दुनिया तक पहुंचाने का जज्बा हर डर पर भारी था. मेरे कैमरामैन एस जयदीप ने भी जबरदस्त दिलेरी दिखाई, वो एक कदम के लिए भी पीछे नहीं हटे. इस दौरान लगातार गोलाबारी भी हो रही थी.


म्यूजिक फेस्ट वाली टेंट सिटी में क्या देखा?


इस इलाके से निकलकर अब मैं गाजा बॉर्डर के और ज्यादा नजदीक पहुंच चुका था. इस जगह का नाम था- Reim Music Fest Area. यहां पर 7 अक्टूबर को म्यूजिक पार्टी चल रही थी. कैंप लगा दुनिया भर के पर्यटक यहां रुके हुए थे. यहां 3,000 की संख्या में पर्यटक हमले वाले दिन मौजूद थे. 7 अक्टूबर की सुबह 6:30 बजे यहां पर 200 की संख्या में हमास के आतंकी चारों तरफ से पहुंचते हैं. चारों तरफ से फायरिंग शुरू कर देते हैं और लगभग 300 लोगों को अकेले इस म्यूजिक फेस्ट की जगह पर मौत के घाट उतार देते हैं. हमास के आतंकी बड़ी संख्या में यहां से लोगों को किडनैप कर अपने साथ गाजा पट्टी ले जाते हैं. लोगों को नहीं पता रहा होगा कि उनी ख़ुशियां यहां मातम में तब्दील हो जाएंगी. जब मैं यहां ग्राउंड जीरो पर पहुंचा तो देखा कि चारों तरफ सामान फैला हुआ है. लोगों के सामान बिखरे हुए हैं. टेंट सिटी तबाह हो गई है, कैंपों पर फायरिंग हुई है. बार टेंडर पर गोलियों की वजह से कांच ही कांच पड़ा हुआ है. पेट्रोल बम से हमला कर कई जगह आग लगा दी गई थी. यह पूरा एक खुला रेगिस्तान जैसा मैदान का क्षेत्र था, जहां पर पार्टी चल रही थी. लोगों के पास भागने और छिपने की भी जगह नहीं थी. सड़क पर गाड़ियां पार्क थीं, जो लोग भाग पाए वो किसी तरह से भागे और वो बहुत खुशनसीब थे. लेकिन यहां मैंने सबसे ज्यादा तबाही और नरसंहार की तस्वीरें देखीं.


Reim Music Fest वाली जगह पर मेरी मुलाकात इजरायल डिफेंस फोर्स के एक कर्नल से हुई. उन्होंने बताया कि ये नरसंहार हुआ है. हमास ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी हैं. हम ग्राउंड ऑपरेशन के लिए तैयार हैं, हमें बस पॉलिटिकल क्लीयरेंस की आवश्यकता है. हम हमास के आतंकियों को छोड़ेंगे नहीं. यह बताते-बताते सेना का यह अधिकारी भी भावुक हो गया. इस जगह पर रिपोर्टिंग करते करते हमें शाम हो चली थी, अब यहां से पुलिस हमें तुरंत निकल जाने के लिए कह रही थी. क्योंकि यह डर तो बना हुआ है कि हमास के आतंकी कहीं छिपे ना हों और कहीं हम पर हमला ना कर दें.


हम Reim Music Fest की जगह से जब बाहर निकलें तो गाजा पट्टी से सटे हुए गाजा बॉर्डर के किनारे-किनारे हम आगे बढ़ रहे थे. मेरे ड्राइवर बार-बार कह रहे थे कि आपको इतनी देर नहीं करनी चाहिए थी. आप इस क्षेत्र में हमास के सीधे निशाने पर हैं. खैर, हम सकुशल इस खतरनाक क्षेत्र से तेल अवीव पहुंच गए.


(डिस्क्लेमर: Israel War डायरी- ग्राउंड ज़ीरो से Zee Media रिपोर्टर विशाल पाण्डेय और कैमरामैन एस जयदीप की आंखों देखी. भाग-2. इसकी अगली कड़ी कल प्रकाशित की जाएगी.)