नई दिल्लीः kalashtami: हिंदू धर्म में कालाष्टमी पर्व का विशेष महत्व है. कालाष्टमी का व्रत साल के हर महीने में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा और व्रत करने से जीवन के सभी कष्टों और कष्टों से मुक्ति मिलती है. साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कालाष्टमी व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मार्च महीने में मनाया जाता है.  आइए जानते हैं, कालाष्टमी तारीख, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में:


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को  कालाष्टमी मनाया जाता है. कालाष्टमी  तिथि प्रारंभ 03 मार्च सुबह 08 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और कालाष्टमी  तिथि समाप्त 4 मार्च  सुबह 8 बजकर 49  मिनट पर खत्म हो जाएगी. उदय तिथि के अनुसार, कालाष्टमी 3 मार्च 2024 को मनाई जाएगी.


कालाष्टमी पूजा विधि 
कालाष्टमी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. भगवान कालभैरव का ध्यान करते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए. साफ कपड़े पहनें. मंदिर को साफ करके गंगाजल छिड़कना चाहिए. कालभैरव की मूर्ति को लाल चौराहे पर लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करना चाहिए. इसके बाद दीपक जलाएं. इतना ही नहीं इस दिन कालभैरव अष्टक का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में सुख और शांति आती है.


कालाष्टमी व्रत का महत्व 
कालाष्टमी तिथि के दिन भगवान शिव के रुद्रावतार काल भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करने का विधान है. हिंदू धर्म में काल भैरव को तंत्र-मत्र का देवता माना गया है. इस विशेष दिन पर पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु के भय नहीं सताता. इस दिन कुछ विशेष उपयों द्वारा शनि और राहु की बाधा से मुक्ति पाई जा सकती है. कालाष्टमी के दिन निशिता मुहूर्त में काल भैरव की पूजा की जाती है.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)