Amalaka Ekadashi 2023 Date: हिंदू कैलेंडर के हिसाब से अभी फाल्गुन का महीना चल रहा है और इस महीने के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अमालका एकादशी कहते हैं. इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं. इस बार अमालका एकादशी 3 मार्च 20223 दिन शुक्रवार को है. अमालकी एकादशी पर व्रत रखने वाले लोग इस व्रत का पारण शनिवार 3 मार्च 2023 सुबह 6:44 से सुबह 9:03 मिनट के बीच कर सकते हैं.


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ऐसा करने से मिलेगा धन औोर स्वास्थ्य का लाभ


अमालकी एकादशी को उत्तर भारत के बिहार, यूपी और राजस्थान जैसे राज्यों में काफी महत्ता दी जाती है और इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं. अमालका एकादशी को भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है और इस दिन उन्हीं की पूजा होती है. अमालका एकादशी के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और भगवान विष्णु का पाठ करने के साथ ही व्रत भी रखते हैं.


भगवान विष्णु के पूजन के दौरान आंवला का फल चढ़ाया जाता है ताकि परिवार को हेल्दी रहने का वर मिले. इसके साथ ही आंवले को सुख और समृद्धि का भी प्रतीक माना जाता है और पूजन के दौरान यह फल चढ़ाने से घर में उसकी बढ़ोतरी होने की बात कही जाती है. व्रत का पारण अगले दिन किया जाता है और पारण के दौरान गरीब-जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और अन्य जरूरी चीजों का दान करने का विधान है. 


जानें क्या है अमालकी एकादशी का महत्व


हिंदू धर्म के अनुसार अमालकी एकादशी का व्रत रखने वाले लोगों को इसके चलते सौभाग्य, समृद्धि और खुशी की प्राप्ति होती है. इस व्रत को करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कर्मलेख में शामिल सभी पाप धुल जाते हैं. इस दिन का दान करने के लिये अत्यधिक शुभ माना जाता है और इससे घर में खुशहाली आती है.


जानें कब है अमालकी एकादशी


अमालकी एकादशी 3 मार्च 2023 शुक्रवार को पड़ रही है, जिसका प्रारंभ 2 मार्च 2023 को सुबह 6:39 बजे से होगा तो वहीं पर समापन 3 मार्च 2023 को सुबह 9:11 बजे पर होगा. एकादशी व्रत के पारण के लिये शनिवार 4 मार्च 2023 को 6:44 से सुबह 9:03 बजे तक समय उचित रहने वाला है.


कब से शुरू करें रंगभरी एकादशी का व्रत


गौरतलब है कि अमालकी एकादशी तिथि के शुरू होने पर व्रत का पालन नहीं शुरू करना चाहिए क्योंकि इसकी शुरुआत के लिये तिथि के प्रारम्भ समय की आवश्यकता नहीं होती है. एकादशी का व्रत हमेशा सूर्योदय पर प्रारंभ होता है और अगले दिन सूर्योदय होने के बाद ही समाप्त होता है. 


इस व्रत का पालन 24 घंटे तक किया जाता है और व्रत रखने से पहले वाली शाम से ही अनाज का सेवन बंद कर दिया जाता है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भगवान विष्णु के कुछ भक्त एकादशी के एक दिन पहले ही सूर्यास्त से व्रत प्रारंभ कर देते हैं.