सावन में शिव जी आते हैं अपनी ससुराल, धरती पर आकर शिव भक्तों का करते हैं कल्याण, जानें पूरी कथा
Sawan Katha: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है. 2023 का सावन बेहद खास है, क्योंकि ये दो महीने तक चलने वाला है. सावन में भगवान शिव से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. इस पावन महीने में ब्रह्मांड की बागडोर भोलेनाथ के हाथ में होती है, वहीं विष्णु भगवान विश्राम करने चले जाते हैं.
नई दिल्ली:Sawan Katha: सावन का महीना शुरू हो गया है. इस पावन महीने में भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, वहीं संसार की बागडोर भोलेनाथ के हाथों में रहती है. यही वजह है कि सावन में शिव पूजा महात्व अधिक होता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन (Sawan 2023) में शिव जी कैलाश को छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं . यहीं से ब्रह्मांड का संचालन करते हैं. तो आइए जानते है की सावन में भगवान भोलेनाथ धरती पर कहां निवास करते हैं.
कहां है भोलेनाथ की ससुराल?
पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के पावन महीने में शिव भगवान अपने परिवार के साथ भारत में अपने ससुराल में निवास करते हैं. ग्रंथों और वेदों के अनुसार शिव जी की ससुराल हरिद्वार के कनखल में स्थित है. कहा जाता है कि यहीं के दक्ष मंदिर में माता सती और महादेव का विवाह हुआ था. शिव जी कनखल में पूरे सावन दक्षेश्वर रूप में विराजमान रहकर भक्तों का कल्याण करते हैं. शिव जी के ससुराल आने को लेकर बेहद रोचक कथा कही जाती है.
देवी सती के अग्निदाह की हुई थी घटना
शिव पुराण में कहा गया है कि कनखल में ही देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने बड़े यज्ञ का आयोजन किया था. इस यज्ञ में दक्ष ने भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन फिर भी देवी सती यज्ञ में शामिल हुईं थी. जिसके बाद पिता दक्ष ने देवों के देव महादेव को लेकर काफी भला बुरा कहा. देवी सती अपने पति का अपमान सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ में अपने प्राणों को त्याग दिया. माता सती के अग्निदाह के बाद शिव जी के गण वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग कर दिया था.
धरती पर आने का क्या है कारण?
पौराणिक कहानियों के अनुसार महादेव ने सभी देवताओं की विनती को सुनने के बाद राजा दक्ष को बकरे का सिर लगाकर दोबारा जीवनदान दे दिया था. राजा दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ से अपने इस कृत्य पर माफी मांगी और शिव जी से वचन लिया था कि वह हर साल सावन में कनखल निवास करेंगे, ताकि वह उनकी सेवा कर सकें. जिसके बाद से ऐसा माना जाता है कि सावन में भगवान शिव धरती पर आते हैं और यहीं से सृष्टि का कार्यभाल संभालते हैं.
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