Chanakya Niti: विष में अगर अमृत हो तो भी उसे ग्रहण कर लें, जानिए आचार्य चाणक्य ने क्यों दी सलाह
Chanakya Niti for Women: आचार्य चाणक्य के उपदेशों को जीवन में अपनाने से कठिन से कठिन लड़ाई जीतने में हमेशा मदद मिलती है. उनकी नीतियों का पालन करने व्यक्ति आसानी से जीनव में सफलता पा सकता है. चाणक्य नीति में बताया गया है कि विष में अगर अमृत हो तो भी उसे ग्रहण कर लेना चाहिए.
नई दिल्ली. आचार्य चाणक्य के उपदेशों को जीवन में अपनाने से कठिन से कठिन लड़ाई जीतने में हमेशा मदद मिलती है. उनकी नीतियों का पालन करने व्यक्ति आसानी से जीनव में सफलता पा सकता है. चाणक्य नीति में बताया गया है कि विष में अगर अमृत हो तो भी उसे ग्रहण कर लेना चाहिए.
विषादप्यमृतं ग्राह्माममेधयादपि कान्चनम्।
नीचादप्युत्तामा विद्या स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि।।
चाणक्य नीति कहती है कि अपवित्र व अशुद्ध वस्तुओं में भी यदि सोना अथवा मूल्यवान वस्तु पड़ी हो तो भी उसे उठा लेना चाहिए. आचार्य के अनुसार, अगर नीच व्यक्ति के पास कोई अच्छी विद्या, कला अथवा गुण है तो उसे सीखने में कोई हानि नहीं है. इसी प्रकार दुष्ट कुल में उत्पन्न अच्छे गुणों से युक्त स्त्री को ग्रहण कर लेना चाहिए.
इस श्लोक में आचार्च चाणक्य कहते हैं कि अगर किसी नीच व्यक्ति के पास कोई उत्तम गुण अथवा विद्या हो तो उसे सीख लेनी चाहिए. अर्थात व्यक्ति को सदा इस बात का प्रयत्न करना चाहिए कि जहां से उसे किसी अच्छी वस्तु की प्रप्ति हो, अच्छे गुणों और कला सीखने का अवसर मिल रहा हो तो उस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए.इसमें विष में अमृत और गंदगी में सोने से तात्पर्य नीच के पास गुण से है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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