नई दिल्ली. गणेश चतुर्थी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है. यह त्योहर हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. इस साल गणेश चतुर्थी 31 अगस्त से शुरू होकर 09 सितंबर 2022 को समाप्त होगी. 10 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के आखिरी दिन यानी अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है.


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गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है. मान्यता के अनुसार, भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी के दिन आकाश में चांद को नहीं देखना चाहिए. इस दिन चंद्रमा देखने से कलंक लगता है. कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखता है, तो उस पर चोरी का आरोप लगता है और समाज में उसका अपमान होता है.


चंद्रमा को मिला श्राप
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी अपने मूषक पर सवार होकर जा रहे थे. तभी सांप को देखकर मूषक उछल पड़े जिससे भगवान गणेश संतुलन खोकर नीचे जमीन पर गिर पड़े. इस घटन को देखकर चंद्रदेव हंसने लगे, जिससे क्रोधित होकर उन्होंने चंद्रमा को क्षय होने का श्राप दिया कि अगर इस दिन कोई तुम्हें देखेगा तो उसपर कलंक लगेगा.


भगवान कृष्ण पर लगा चोरी का आरोप
वहीं, एक बार भगवान कृष्ण पर स्यमंतक नाम का एक कीमती रत्न चोरी करने का झूठा आरोप लगाया गया था. ऋषि नारद ने बताया कि भगवान कृष्ण ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखा था, जिसकी वजह से उन्हें मिथ्या दोष का श्राप मिला. नारद ने भगवान कृष्ण को मिथ्या दोष से छुटकारा पाने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत रखने की सलाह दी थी.


चांद दिखने पर क्या करें?
यदि गणेश चतुर्थी पर आपने गलती से चन्द्रमा को देख लिया है, तो श्राप से मुक्ति पाने के लिए 'सिंहः प्रसेनमवधित्सिम्हो जाम्बवत हठ, सुकुमारका मरोदिस्तव ह्यशा स्यामंतकाह' मंत्र का जाप करना चाहिए.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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