नई दिल्ली. रत्न शास्त्र में अलग-अलग ग्रहों के लिए अलग-अलग रत्न बताए गए हैं. रत्न की शक्तियां बहुत अधिक होती है, यह कार्यों की पूर्ति के लिए धारण किया जा सकता है रत्न की शक्तियां लम्बे समय तक रहती है, जबकि उपरत्न की शक्तियों का क्षरण जल्द ही हो जाता है. इसलिए उपरत्न को बार-बार बदलना पड़ता है, जबकि रत्न को यदि एक बार धारण कर लिया जाए तो उसे सालों साल चला सकते हैं. 


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उपरत्न में भी यह शक्तियां विद्यमान होती है, जब किसी प्रकार का संकट हमारे ऊपर आने वाला रहता है, तो उपरत्न में कोई ना कोई त्रुटि उत्पन्न होने लगती है, या फिर वह पूरी तरह से टूट जाता है, जिससे हमें क्षति ना हो एवं आकस्मिक दुर्घटना से हमें अधिक क्षति ना पहुंचे और हम खुद को संभालने में सक्षम हो प्रकृति द्वारा दिए गए अनमोल संसाधनों का उपयोग कर लोग अपने जीवन के विभिन्न आयामों में इन उप रत्नों का उपयोग करते हैं, जिससे उनका जीवन सफल एवं सार्थक हो सके.


आइये, जानते हैं विभिन्न ग्रहों के रत्न एवं उपरत्नों के बारे में


सूर्य देव
- माणिक्य रत्न सूर्य देव से संबंधित रत्न होता है, इसका रंग देखने में गुलाबी होता है, तथा इसके संयोजक एल्युमिनियम ऑक्साइड लौह तत्व एवं क्रोमियम होते हैं.
- मानिक के रत्न को रविवार के दिन धारण किया जाता है.
- माणिक्य रत्न के उपरत्न है- रक्तमणि ,लालतुरमली ,तामड़ा सिंगली आदि हैं.


चंद्र देव
- मोती रत्न चंद्रदेव से संबंधित रत्न होता है. यह रत्न देखने में बिल्कुल वह स्वर्ण का होता है, इसके और भी किस में पाई जाती है, जो सफेद होने के साथ-साथ और भी रंगों का मिश्रण होती है इसे सोमवार के दिन धारण किया जाता है.
- मोती रत्न का उपरत्न है- चंद्रकांत, मुक्ताशुक्ति, उप्पल आदि.


मंगल ग्रह
- मूंगा रत्न मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल ग्रह का राशि रत्न मूंगा को माना जाता है, जो देखने में रक्त के समान लाल होता है, इसके साथ ही इस रत्न को मंगलवार के दिन धारण किया जाता है.
- मूंगा का उपरत्न- विदरूम

बुध ग्रह
- बुध ग्रह का प्रतिनिधित्व पन्ना रत्न करता है, जिसका रंग देखने में हरा होता है, बुध ग्रह जो हमारे बुद्धि का विवेक का एवं संचार तंत्र का कारक होता है, यह हमारे चेहरे के तेज का कारक होता है। इस रत्न को बुधवार के दिन धारण किया जाता है.
- पन्ना रत्न के उपरत्न है- हरा भेरूज, ओनेक्स मरगज आदि.


गुरु/ बृहस्पति
- गुरु बृहस्पति से संबंधित रत्न पुखराज होता है. इस रत्न का रंग पीला होता है, जिसे तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है, इसे धारण करने का शुभ दिन गुरुवार का होता है.
- पुखराज रत्न का उपरत्न होता है. पीला बैरोंज, सुनहला या पीला हकीक ,टाइगर आदि.


शुक्र ग्रह
- शुक्र ग्रह जिसे विलासिता का स्वामी कहा जाता है, तथा हमारे भौतिक सुख- संसाधनों का मुख्य स्रोत भी शुक्र ग्रह को माना जाता है, तथा विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण भी इसका प्रमुख गुण होता है सइस ग्रह का राशि रत्न हीरा होता है, जिसे शुक्रवार के दिन धारण किया जाता है.
- हीरे के उपरत्न जरकन ,फिरोजा, कुरंगी आदि है.


शनि ग्रह
- शनि ग्रह से संबंधित रत्न नीलम रत्न है शनि ग्रह का राशि रत्न बताया जाता है, तथा यह देखने में नीले वर्ण का होता है, और इसे धारण करने का शुभ दिन शनिवार माना जाता है.
- नीलम रत्न का उपरत्न है -नीलम ,लिलिया ,जमुनिया, लाजवर्त ,नीली, नीला टोपाज आदिस


राहु
- राहु ग्रह की भौतिक ऊर्जाओं का समावेशन प्राप्त करने वाला दिव्य रत्न है- गोमेद, जिसे शनिवार के दिन धारण किया जाता है, ऐसा माना जाता है, कि मां सरस्वती की आराधना कर राहु की कृपा प्राप्त की जा सकती है या राहु के द्वारा रचे भ्रम जाल से हम खुद को मुक्त कर सकते हैं.
- इस रत्न का उपरत्न है- फिरोजा.


केतु
- केतु से संबंधित रत्न लहसुनिया होता है, केतु हमारे आध्यात्मिक स्तर, गुप्त शत्रु, मोक्ष की प्राप्ति आदि को निरूपित करता है.
- इस रत्न का उपरत्न लाजवर्त होता है.


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