नई दिल्ली:jagannath temple: ओडिशा सरकार जगन्नाथ मंदिर के खजाने यानी रत्न भंडार को आज 46 साल बाद एक बार फिर जांच पड़ताल के लिए खोला गया है. ओडिशा CMO की ओर से बताया गया है कि पुरी में 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित खजाना रत्न भंडार खोल दिया गया है. वहीं कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि दुनियाभर में रह रहे भगवान जगन्नाथ के भक्तों को सालों से इस पल का इंतजार था. भंडार में मौजूद हर चीज की क्वालटी की बारीकी से जांच की जाएगी. 


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खुल गए रत्न भंडार के कपाट


46 साल बाद जगन्नाथ मंदिर के कपाट को खोल दिया गया है. जैसा कि कहा जाता है कि इस खाजेने की रक्षा सांप करते हैं. इसके तहत कपाट खोलते वक्त मंदिर में  मेडिकल टीम और स्नेक हेल्पलाइन मौजूद रही. बता दें कि इस खजाने में मौजूद जेवरात और अन्य कीमती सामानों की सूची तैयार होगी. आभूषणों की क्वालिटी की जांच की जाएगी. इतना ही नहीं कीमती सामानों का वजन किया जाएगा. जगन्नाथ मंदिर की वार्षिक आय लगभग 50 करोड़ है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वहीं मंदिर की संपत्ति लगभग 250 करोड़ मानी जा रही है.


भंडार की चाबी कहां हुई गायब?


ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश के बाद ‘रत्न भंडार’ में 4 अप्रैल को कड़ी सुरक्षा के साथ 16 सदस्यों वाली एक टीम ने 34 साल के जांच की थी. इस जांच के करीब दो महीने बाद चाबी के गायब होने की बात सामने आई.  4 अप्रैल को खजाना देखकर लौटी टीम को रत्न भंडार के रक्षक लोकनाथ की मूर्ति के पास शपथ भी दिलाई गई थी कि वे रत्न भंडार से जुड़ी कोई भी बात बाहर नहीं बताएंगे. वहीं उन्हें खजाने वाले संदूक और रत्नों को छूने की इजाजत भी नहीं दी गई थी.


किसके पास खजाने की चाबी?


दो भागों बाहरी और भीतरी में बंटे इस रत्न भंडार की चाबियां खो चुकी हैं. पिछले 6 साल से खजाने से जुड़ी चाबियों के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है. बता दें कि 1985 में भीतरी भाग के दरवाजों को खोला गया था. उसके बाद से कभी भीतरी भाग के कपाट नहीं खोले गए.  बता दें कि खजाने की चाबी पुजारियों के पास नहीं बल्कि कलेक्टर के पास रखी जाती है. लेकिन अब चाबियां कहां हैं किसी को नहीं पता.


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