Kaal Bhairav Jayanti 2022: आज के दिन भूल से भी न करें ये काम, वरना बनेंगे पाप के भोगी
Kaal Bhairav Jayanti 2022: शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव के अंश से ही कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए अष्टमी तिथि को आने वाली कालाष्टमी को काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और अमोघ फल की प्राप्ति होती है.
नई दिल्ली: शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव के अंश से ही कालभैरव की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए अष्टमी तिथि को आने वाली कालाष्टमी को काल भैरवाष्टमी या भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और अमोघ फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक कथाओं के अनुसार, मार्गशीष अष्टमी को भगवान शिव ने काल भैरव के रूप में अवतार लिया था. काल भैरव भगवान शिव के रौद्र, विकराल एवं प्रचण्ड स्वरूप हैं. इस दिन भैरव जी के साथ शिव और मां पार्वती की भी पूजा की जाती है. काल भैरव की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के दुख- दर्द दूर हो जाते हैं.
जानिए काल भैरव जयंती की धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि भगवान काल भैरव की पूजा करने से भय से मुक्ति प्राप्त होती है. कहते हैं कि अच्छे कर्म करने वालों पर काल भैरव मेहरबान रहते हैं, लेकिन जो अनैतिक कार्य करता है, वह उनके प्रकोप से बच नहीं पाता है. साथ ही कहा जाता है कि जो भी भगवान भैरव के भक्तों का अहित करता है. उसे तीनो लोक में कहीं भी शरण प्राप्त नहीं होती है.
काल भैरव के हैं आठ स्वरूप
ये रूप भीषण भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, रुद्र भैरव, असितांग भैरव, संहार भैरव, कपाली भैरव, उन्मत्त भैरव हैं. इस दिन कालभैरव की पूजा करने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं और काल भय भी खत्म हो जाता है.
भैरव बाबा को ऐसे करें प्रसन्न
प्रात कालः स्नान आदि के बाद भैरव जी के मन्दिर में जाकर उनकी पूजा करनी चाहिए और भैरव के वाहन कुत्ते को पुए खिलाना चाहिए. भगवान भैरव को इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल का भोग लगाएं. भैरव जी को काशी का कोतवाल माना जाता है. भैरव के पूजा से राहु ग्रह भी शान्त हो जाते है और बुरे प्रभाव शत्रु भय का नाश होता है.
आज के दिन बिल्कुल न करें ये काम
काल भैरव जयंती के दिन झूठ ना बोलें और ना ही किसी को दुख, कष्ट और परेशानियां दें.
गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा का विधान बताया गया है.
भगवान भैरव के बटुक भैरव स्वरूप की पूजा करें क्योंकि यह भगवान भैरव का सौम्य स्वरूप होते हैं.
विशेष तौर पर इस दिन किसी भी कुत्ते, गाय, आदि जानवर के साथ गलत व्यवहार और हिंसक व्यवहार ना करें.
कभी भी भगवान काल भैरव की पूजा किसी का अहित कराने के लिए ना करें.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)
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