नई दिल्ली. Kaal Bhairav Jayanti 2022 आज 16 नवंबर, 2022 बुधवार को भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की जयंती है. धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा पापियों को दंड देते हैं इसलिए इसे भैरव बाबा की दंडापानी भी कहा जाता है. कालभैरव की सवारी श्वान अर्थात् कुत्ता है इसलिए इस दिन कुत्ते को दूध पिलाना चाहिए, इससे भगवान प्रसन्न होते हैं. वर्तमान में भैरव की उपासना बटुक भैरव और काल भैरव के रूप में प्रचलित है लेकिन तंत्र साधना में भैरव के आठ स्वरूपों के बारे में बताया है.


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यह दिन भगवान भैरव और उनके सभी रूपों के समर्पित होता है. भगवान भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है, इनकी पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा उपासन करने से भय और अवसाद का अंत होता है और किसी भी कार्य में आ रही बाधा समाप्त होती है.


इन उपायों से प्रसन्न होते हैं भैरव बाबा


भगवान शिव की करें पूजा
मान्यता है कि भक्तों के लिए काल भैरव दयालु, कल्याण करने वाले और अतिशीर्घ प्रसन्न होने वाले देवता हैं. लेकिन अनैतिक कार्य करने वालों के लिए ये दंडनायक है. इतना ही नहीं, ऐसा भी माना जाता है कि अगर इनके भक्तों का कोई अहित करता है तो उसे तीनों लोकों में कहीं भी शरण नहीं मिलती. भगवान शिव का स्वरूप होने के कारण इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भी भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.


इस उपाय से पूरी होगी मनोकामना
मनोकामना पूर्ति के लिए आज के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ॐ नमः शिवाय लिखें. और शिवलिंग पर अर्पित करें. इसके बाद मन में अपनी मनोकामना कहें. मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं.


जलेबी का लगाएं भोग
काल भैरव जयंती के दिन ऐसे मंदिर में जाकर पूजन करें जहां कम लोग जाते हो या कई दिनों से किसी ने वहां पूजा न की हो. मान्यता है कि जो भैरव कम पूजे जाते हैं उनका पूजन करने से भगवान भैरव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. काल भैरव जंयती के दिन मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें और भगवान भैरव को नारियल और जलेबी का भोग लगाएं.


जरूर करें बाबा भैरव के दर्शन
कहते हैं कि भगवान शिव के किसी भी मंदिर में पूजा करने के बाद भैरव मंदिर में जाना अनिवार्य होता है. वरना भगवान शिव का दर्शन अधूरा माना जाता है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शिव ने काल भैरव का रौद्र अवतार लिया था. इसलिए इस दिन को काल भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है.


काली कस्तुओं का करें दान
इस दिन पीपल के पेड़ के तले सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाएं. कहते हैं ऐसा करने आपके ऊपर से ग्रह बाधा भी समाप्त होती है और साथ ही काल भैरव भी प्रसन्न होते हैं. इस दिन काली वस्तुओं का दान करना भी शुभ माना गया है. किसी जरूरमंद को काले जूते या काले वस्त्र दान कर सकते हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)


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