नई दिल्ली: कालाष्टमी की महानता आदित्य पुराण में बताई गई है. कालाष्टमी पर पूजा का मुख्य देवता भगवान काल भैरव हैं, जिन्हें भगवान शिव जी का ही एक रूप माना जाता है. काल का हिंदी में अर्थ है समय जबकि भैरव का अर्थ है शिव की अभिव्यक्ति. इसलिए काल भैरव को समय का देवता भी कहा जाता है और भगवान शिव के अनुयायियों द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ उनकी पूजा की जाती है. कालाष्टमी को काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है.


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भक्तों को मिलता है मनचाहा वरदान


कालाष्टमी के दिन भक्त शाम को भगवान काल भैरव के मंदिर भी जाते हैं और वहां विशेष पूजा अर्चना करते हैं. ऐसा करने से भगवान भैरव के खुश होते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान भी मिल जाता है. यह माना जाता है कि कालाष्टमी भगवान शिव जी का एक ही उग्र रूप है इसलिए यह त्यौहार भगवान शिव और काल भैरव के भक्तों के बीच समान रूप से प्रचलित है. वह भगवान ब्रह्मा के जलते क्रोध और गुस्से का अंत करने के लिए पैदा हुए थे.


कुत्ते को खिलाना माना जाता है काफी शुभ


कालाष्टमी पर कुत्तों को खिलाने की भी प्रथा है क्योंकि काले कुत्ते को भगवान भैरव का वाहन माना जाता है और इसलिए इन्हें खिलाना काफी शुभ माना जाता है. कुत्तों को इस शुभ दिन पर दूध, दही और मिठाई दी जाती है. काशी जैसे हिंदू तीर्थ स्थानों पर ब्राह्मणों को भोजन खिलाना भी काफी शुभ व अत्यधिक फायदेमंद माना जाता है.


कालाष्टमी से मिलती है कष्ट और पीड़ा से मुक्ति


ऐसा माना जाता है कि जो लोग कालाष्टमी पर भगवान शिव की पूजा करते हैं, वे भगवान शिव का आशीर्वाद मांगते हैं. भगवान शिव काफी दयावान माने जाते है और अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते है . यह भी प्रचलित धारणा है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट, पीड़ा और नकारात्मक प्रभाव दूर हो जाते हैं.


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