Kaliyug Story: कलियुग क्यों है मनुष्यों के लिए सतयुग से बेहतर, जानें पौराणिक कहानी
Kaliyug Story: महर्षि व्यास ने ऋषियों की बात सुनकर उन्हें बताया कि कलियुग चारों युगों में सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि सतयुग में जो पुण्य एक दशक की पूजा, जप, तप और व्रत से प्राप्त होता है. वह कलियुग में मात्र एक दिन में ही प्राप्त हो जाता है.
नई दिल्ली: Kaliyug Story: वेदों के अनुसार हिंदू धर्म में चार युग माने गए हैं. पहला सतयुग (राजा हरिश्चंद्र का काल), दूसरा त्रेतायुग जिसमें भगवान विष्णु ने राम के रूप में अवतार लिया था. इसके बाद तीसरा द्वापरयुग जिसमें भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में अवतार लिया और चौथा और अंतिम युग कलियुग माना जाता है. माना जाता है कि इस वक्त कलियुग चल रहा है. चारों युगों में कलियुग सबसे छोटा युग माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग में सबसे ज्यादा अन्याय, अन्याय, हिंसा और पाप होते हैं. लेकिन फिर कलियुग को चारों युगों में सर्वश्रेष्ठ क्यों माना गया? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है, आइए जानें.
कलियुगशी संबंधित कथा?
विष्णु पुराण के अनुसार, एक बार ऋषि-मुनि आपस में चर्चा कर रहे थे कि चारों युगों में से कौन सा युग सर्वोत्तम है. इस मुद्दे पर सभी की अलग-अलग राय थी, इसलिए चर्चा बहस का विषय बन गई और कोई समाधान नहीं निकल सका. सभी ऋषि विवाद को सुलझाने के लिए महर्षि व्यास के पास गए. महर्षि व्यास को वेदों का जनक माना जाता है.
क्या बोले व्यास
महर्षि व्यास ने ऋषियों की बात सुनकर उन्हें बताया कि कलियुग चारों युगों में सर्वश्रेष्ठ है, क्योंकि सत्ययुग में जो पुण्य 10 वर्षों की पूजा, जप, तप और व्रत से प्राप्त होता है, वह त्रेता युग में एक साल में प्राप्त हो जाता है. द्वापर युग में वही पुण्य केवल एक महीने के जप और तप से प्राप्त हो जाता है, जबकि कलियुग में वही पुण्य एक दिन के जप और तप से प्राप्त हो जाता है. इसीलिए महर्षि व्यास कहते हैं कि कलियुग चारों युगों में सर्वश्रेष्ठ है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)