नई दिल्लीः देश के दो राज्यों में चुनाव होने वाले हैं. वहीं, गांवों-कस्बों, दफ्तरों, सोसायटियों में चुनाव होते रहते हैं. कई लोग राजनेता बनने का सपना देखते हैं. लेकिन, ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के ग्रह भी तय करते हैं कि व्यक्ति सफल राजनेता बन पाएगा या नहीं, ऐसे में आचार्य विक्रमादित्य बता रहे हैं कि किन लोगों की कुंडली सफल राजनेता बनने के संकेत दे रही है.


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काफी महत्वपूर्ण है ग्रहों की स्थिति
सफल राजनेता बनना काफी हद तक जन्मकालिक ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है. अन्य व्यवसायों और करियर की भांति ही राजनीति में प्रवेश करने वालों की कुंडली में भी ज्योतिषीय योग होते हैं. कुंडली का दशम भाव राजनीति, सत्ता, अधिकार, सरकार से संबंधित भाव है. 


विशिष्ट ग्रहों का शक्तिशाली होना जरूरी
राजनीति में पूर्णतया सफल केवल वही जातक हो सकता है, जिसकी कुंडली में कुछ विशिष्ट धन योग, राजयोग और कुछ अति विशिष्ट ग्रह योग उपस्थित हों, क्योंकि एक सफल राजनेता को अधिकार, मान-सम्मान सफलता, रुतबा, धन शक्ति, ऐश्वर्य इत्यादि सभी कुछ अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं. अतः एक सफल राजनेता की कुंडली में विशिष्ट ग्रह योगों का पूर्ण बली होना अति आवश्यक है. 


कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में तभी सफल होगा जब कुंडली में उपस्थित ग्रह योग उसका पूर्ण समर्थन करेंगे. चौथा भाव जनता से संबंधित भाव है तो पांचवां घर जातक की बुद्धि विवेक का है. दूसरा भाव वाणी का है. राजनीति में भाषण देने की कला का अच्छा होने के लिए द्वितीय भाव अच्छा होना चाहिए.


इन ग्रहों का सकारात्मक प्रभाव आवश्यक
बुधः ये ग्रह बुद्धि, सोच-समझ और बोलने की शक्ति का कारक है. बुद्धि, सोच-समझकर बोलने की कला बुध ही देता है. ग्रहों और भावों का अनुकूल और मजबूत होना जातक को एक सफल राजनेता बनाता है. राजनीति एक बहुत ही बड़ा और उच्च अधिकारों और जनता के सहयोग का क्षेत्र होता है.


गुरुः गुरु यदि उच्च का होकर दशम से संबंध करें, या दशम को देखें तो व्यक्ति बुद्धि के बल पर अपना स्थान बनाता है. ये व्यक्ति जन साधारण के मन में अपना स्थान बनाते हैं. चालाकी की नहीं वरन तर्कशील, सत्य प्रधान राजनीति करते हैं.


सूर्यः सूर्य राजा, सफलता, सरकार का कारक होने से राजनीति में उच्च अधिकार और सफलता दिलाता है. मंगल बल और साहस का कारक है. यह जातक को हिम्मत देने का काम करता है. गुरु सही रास्ता दिखाने वाला है तो इसके इसी गुण के कारण राजनीति में सफल होने वाले जातक मंत्री आदि जैसे पद प्राप्त करते हैं. शनि की अनुकूल स्थिति जातक को जनता से सहयोग दिलाती है. शनि के अनुकूल होने से राजनीति में जातक लोकप्रियता प्राप्त करता है.


राहुः राहु को राजनीति का ग्रह माना जाता है. यदि इसका दशम भाव से संबंध हो या यह स्वयं दशम में हो तो व्यक्ति धूर्त राजनीति करता है. अनेक तिकड़मों और विवादों में फंसकर भी अपना वर्चस्व कायम रखता है. राहु यदि उच्च का होकर लग्न से संबंध रखता हो तब भी व्यक्ति चालाक होता है और उसे राजनीति में सफलता मिलती है.


गजकेसरी योगः दशम भाव या दशम भाव से बना गजकेसरी योग. दशम भाव में बैठा शुभ और बली राहु या शनि इन सभी का किसी अन्य योगकारक ग्रहों से संबंध होना राजनीति में सफलता के लिए शुभ होता है. जन्म कुण्डली के दशम घर को राजनीति का घर कहते हैं. सत्ता में भाग लेने के लिए दषमेष और दशम भाव का मजबूत स्थिति में होना जरूरी है. दशम भाव में उच्च, मूल त्रिकोण या स्वराशिस्थ ग्रह के बैठने से व्यक्ति को राजनीति के क्षेत्र में बल मिलता है.


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