नई दिल्ली: Matri Navami 2022: मातृ नवमी के दिन परिवार की ऐसी दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान किया जाता है, जिनकी मृत्यु सुहागिन स्त्री के रूप में हुई. पितृपक्ष में इनका श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.


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पितृपक्ष में मातृ नवमी श्राद्ध का महत्व
ऐसी मान्यता है कि इस दिन दिवंगत माताओं, बहनों या बेटियों का श्राद्ध करने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है. इसके साथ ही यदि घर की महिला इस दिन पूजा पाठ या व्रत करती है तो उसे सौभाग्य की प्राप्ति होती है.


मातृ नवमी श्राद्ध विधि
1. श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
2. यदि आप यह विधि घर पर कर रहे हैं तो घर की दक्षिण दिशा में एक चौकी रखकर उस पर सफेद रंग का वस्त्र या आसन बिछाएं.


3. इसके बाद चौकी पर अपने परिवार के मृत परिजन (माता, दादी, बहन) की फोटो रखकर इस पर फूल माला चढ़ाएं.
4. इसके उपरांत उनके समक्ष तिल के तेल का दीपक जलाएं.


5. दीपक जलाने के बाद अपने पितृ की तस्वीर पर गंगाजल और तुलसी दल अर्पित करें. पिंड दान एवं तर्पण करें.
6. फिर श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें.


7. पूजा के बाद अपने पितरों के लिए भोजन निकालें.
8. पंचबलि यानी गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया और ब्राह्मण को भी के लिए भी भोजन निकालें.


श्राद्ध पक्ष में सबसे उत्तम भोजन है खीर
श्राद्ध पक्ष में सबसे उत्तम भोजन खीर है, क्योंकि खीर का भोजन देवताओं के लिए भी दुर्लभ माना गया है. पूर्वजों के निमित्त खीर का भोजन करना सबसे उत्तम बताया गया है.


आजकल प्रचलन में है कि लोग बड़ी संख्या में नातेदार और रिश्तेदारों और अन्य लोगों को भोजन के लिए बुलाते हैं, लेकिन शास्त्र में श्राद्धपक्ष के दिन पूर्व के निमित्त केवल एक ब्राह्मण को ही भोजन कराने की बात कही गई है और इससे ज्यादा आयोजन शास्त्र के विरुद्ध है.


सूर्योदय के साथ करें तर्पण
ब्रह्म काल में ही सूर्योदय के साथ ही तर्पण करना श्रेयस्कर है. श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों के निमित्त हवन पूजन और वस्त्र दान का महत्व शास्त्रों में बताया गया है. गया, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार और अयोध्या में सरयू नदी के तट पर पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध पक्ष पर हवन तर्पण पूजन का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है.



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