नई दिल्ली. नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है. मां के इस रूप की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं. इनकी आराधना से मनुष्य त्रिविध ताप से मुक्त होता है. मां कुष्मांडा सदैव अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि रखती है. इनकी पूजा आराधना से हृदय को शांति एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती हैं. इस दिन भक्त का मन ‘अनाहत’ चक्र में स्थित होता है, अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और शांत मन से कुष्मांडा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए.


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संस्कृत भाषा में कुष्मांडा कूम्हडे को कहा जाता है, कूम्हडे की बलि इन्हें प्रिय है, इस कारण भी इन्हें कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है. मां भगवती का चौथा स्वरूप यानी कि देवी कुष्मांडा भक्तों पर अत्यंत शीघ्र प्रसन्न होती है. यदि सच्चे मन से देवी का स्मरण किया जाए और स्वयं को पूर्ण रूप से उन्हें समर्पित कर दिया जाए तो माता कुष्मांडा भक्त पर अतिशीघ्र कृपा करती हैं.


माता कुष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं
जीवन में लगातार आ रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कुष्मांडा के नामावली मंत्र का जाप अवश्य करें. ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा. बौद्धिक क्षमता में वृद्धि और परीक्षा में अच्छे रिजल्ट की इच्छा रखने वाले जातक विद्या प्राप्ति मंत्र का 5 बार जप करें. ‘या देवी सर्वभूतेषु बिद्धि-रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः'.


मनोकामना पूर्ति के लिए करें इस मंत्र का जाप
किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए मां को मालपुओं का भोग लगाएं और इस मंत्र का 11 बार जप करें. घर में सुख-शांति और समृद्धि बनाए रखने के लिए शांति मंत्र का 21 बार जाप अवश्य करें. 'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः'.


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