नई दिल्ली: चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रहे हैं और मां की आराधना के लिए इस बार भक्तों के पास पूरा वक्त होगा, क्योंकि अबकी बार नवरात्रि पूरे नौ दिनों का है. होली के बाद चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार चैत्र नवरात्रि के दिन मां आदिशक्ति प्रकट हुई थी और ब्रह्मा जी के आग्रह पर सृष्टि का निर्माण किया था.


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नवरात्रि में पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस बार चैत्र नवरात्रि 02 अप्रैल 2022, शनिवार से शुरू होकर 11 अप्रैल 2022, सोमवार तक है. प्रतिपदा तिथि 01 अप्रैल, शुक्रवार को सुबह 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 02 अप्रैल, शनिवार को सुबह 11:58 मिनट पर सम्पन्न होगी.


जो लोग नवरात्रि के पहले ही दिन कलश स्थापना करते है, उनके लिए कलश स्थापना का शुभ समय 02 अप्रैल सुबह 06:10 मिनट से 08:29 मिनट तक रहेगा.


चैत्र नवरात्रि में घोड़े से होगा मां का आगमन
साल में दो बार आने वाले नवरात्रि में हर बार मां नए वाहन पर धरती पर आगमन करती हैं और नए वाहन पर ही धरती से देवलोक को प्रस्थान लेती है. इन वाहनों का देश दुनिया और धरती पर बड़ा असर पड़ता है.


हिंदू धर्म में यूं तो देवी मां को हमेशा शेर पर ही सवार देखा गया है लेकिन नवरात्रि के मौके पर मां अलग अलग वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं. इन वहनों में डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य और हाथी शामिल है और दिन के आधार पर मां का वाहन तय होता है और क्योंकि इस बार नवरात्रि शनिवार या मंगलवार से शुरू हो रहे है. तो मां का वाहन घोड़ा होगा और इस बार के नवरात्रि में मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी. इसी तरह मां का प्रस्थान भी दिन के अनुसार अलग-अलग वाहन पर होता है.


इस बार बेहद खास संयोग
इस बार रविवार और सोमवार के दिन नवरात्रि समाप्त होने पर देवी भैंस पर सवार होकर जाएगी. जनकारों की मानें तो इस बार बेहद खास संयोग भी है क्योंकि इस बार मां अंबे घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं, जबकि भैंस पर सवार होकर जा रही हैं. देवी का आगमन और गमन दोनों ही प्रतिकूल फलदायी है.


ऐसे में अपने जीवन में सुख शांति और अनुकूलता को बनाए रखने के लिए नवरात्रि में देवी की श्रद्धा भाव से उपासना करें. नियमित कवच, कीलक और अर्गलास्तोत्र का पाठ करते रहें. देखा जाए तो हिंदू शास्त्र में मां दुर्गा के हर वाहन का अलग-अलग महत्व बताया गया है.


दो बार नवरात्रि मनाने की वजह
देखा जाए तो साल में दो बार नवरात्रि मनायी जाति है. शारदा नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि, लेकिन क्या आप जानते की दो बार नवरात्रि मनाए जाने के पीछे भी कुछ खास वजह है. दरअसल दोनों नवरात्रि तब मनाई जाती हैं जब मौसम बदल रहा होता है और अगर अपने कभी गौर किया हो, तो भारत में मार्च और अप्रैल तो सितंबर और अक्टूबर में दिन और रात की अवधि लगभग समान होती है और साल के  इन दोनों ही समय में मौसम में बदलाव और सूरज के प्रभाव में एक संतुलन बनता है.


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मतलब चाहें बात शरद नवरात्रि हो या चैत्र नवरात्रि की, दोनों ही वक्त पर मौसम न ज्यादा सर्द होता है ना गरम और अगर विशेषज्ञों की मानें तो दोनों ही मौसम में पूजा की जाती है, तो इससे हमारे भीतर संतुलित उर्जा का प्रवेश होता है जो हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है.


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