Magh Pradosh Vrat 2024: आज है बुध प्रदोष व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
Magh Pradosh Vrat 2024: माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. हर महीने दो प्रदोष व्रत होते हैं. आज यानी 21 फरवरी दिन बुधवार को प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है. आइए जानते हैं, बुध प्रदोष व्रत की शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व के बारे में:
नई दिल्ली: Magh Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित है. माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. इस तिथि पर शिव भक्तों द्वारा पूजा और व्रत किया जाता है. कहते हैं इससे महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख शांति का आगमन होता है. आज यानी 21 फरवरी दिन बुधवार को प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है.
हर महीने दो प्रदोष व्रत
हर महीने दो प्रदोष व्रत होते हैं. माघ माह में पहला प्रदोष 7 फरवरी को था और दूसरा व्रत 21 फरवरी यानी आज बुधवार को है. प्रदोष व्रत भी अलग-अलग तरह के होते हैं, सोमवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहते हैं. मंगलवार को जो प्रदोष व्रत पड़ता है उसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं, इसी तरह बुध प्रदोष व्रत, गुरु प्रदोष व्रत, शुक्र प्रदोष व्रत, शनि प्रदोष व्रत और रवि प्रदोष व्रत रखे जाते हैं.
बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
त्रयोदशी तिथि 21 फरवरी सुबह 11 बजकर 27 मिनट से पूर्णिमा शुरू होगी और अगले दिन 22 फरवरी दोपहर 1 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी. यानी आज प्रदोष व्रत 21 फरवरी को मनाया जा रहा है. इस दिन पूजा मुहूर्त शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 8 बजकर 47 मिनट तक है.
बुध प्रदोष व्रत पूजा विधि:
सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा के दौरान शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराएं. घर में भगवान शिव जी के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. भगवान शिव को पंचामृत, फल, फूल, मिठाई, और अन्य सामग्री अर्पित करें. इसके शिवलिंग पर कनेर के फूल, बेलपत्र और भांग अर्पित करें. 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें.
बुध प्रदोष व्रत के महत्व
बुध प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है. यह व्रत पापों का नाश करता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है. प्रदोष व्रत से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मान्यता यह भी है इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवनकाल में किये गए सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. पुराणों के अनुसार एक प्रदोष व्रत रखने का पुण्य दो गाय दान करने जितना होता है. इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर व्रत रखना होता है. प्रातः काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल अक्षत धूप दीप सहित पूजा करें. संध्या काल में पुन: स्नान करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए. इस प्रकार प्रदोषम व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.)