नई दिल्लीः सोशल मीडिया पर संत और कथावाचक प्रेमानंद महाराज का वीडियो खूब वायरल होता है. खासकर युवाओं में उनका खास क्रेज देखा जाता है. उनकी बातों को फॉलो करने वालों की संख्या भी खूब है. कई हस्तियां भी उनके दर्शन के लिए आती हैं. प्रेमानंद महाराज सामाजिक कुरीतियों और परिवार पर अक्सर संदेश देते रहते हैं. इसी बीच प्रेमानंद महाराज ने आपसी रिश्ते में दरार की वजह पर भी प्रकाश डाला है.


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युवाओं को लेकर चिंतित रहते हैं प्रेमानंद महाराज                                                                                                                          प्रेमानंद महाराज युवाओं में बढ़ते तनाव, नकारात्मक सोच और व्यक्तिगत व पारिवारिक रिश्तों में बढ़ती दरार आदि विषयों को लेकर काफी चिंता व्यक्त करते हैं. उनके अनुसार,'पश्चिमी संस्कृति से आया ये विवाहेतर संबंध, लिव-इन-रिलेशनशिप सभी रिश्तों को अंदर से खोखला करता जा रहा है. महाराज के अनुसार, आज की युवा पीढ़ी जिसे नया आधुनिक समाज कहती है. असल में वह केवल चरित्रहीनता का लक्षण है. उनके अनुसार यह कल्चर हमारे समाज का अंग नहीं हो सकता है. 
                                                                                                                                                                                                                                          आधुनिकता का मतलब नैतिक मूल्यों का त्याग नहीं 
प्रेमानंद कहते हैं कि पाश्चात्य संस्कृति में भी जो अच्छी बातें हैं उनको ग्रहण करने में कोई बुराई नहीं है पर अंधा अनुकरण करना यह हमारे समाज के लिए बहुत हानिकारक है. महाराज कहते हैं कि यदि आप मनमाना आचरण करके अपने शरीर, मन और इंद्रियों को दूषित करेंगे तो आप कभी लौकिक या पारलौकिक प्रगति नहीं कर पाएंगे. 


वैवाहिक संबंध पर क्या बोले प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद कहते हैं कि यदि इंसान की वृत्ति दूषित हो गई तो वह किसी व्यक्ति को अपने जीवनसाथी के रूप में कैसे स्वीकार कर पाएगा? अगर आपका चरित्र अच्छा नहीं है तो आप कुछ दिनों के लिए भले ही चमकते दिखेंगे पर परिणामस्वरूप आपकी बड़ी दुर्दशा होगी. लेकिन आपके आचरण अच्छे हैं तो आप परिणाम में सदैव सुख और समृद्धि से सम्पन्न होकर आनंदित रहेंगे. 
    
भारतीय संस्कृति में चरित्र प्रधान है                                                                                                                                                               महाराज कहते हैं कि भारतीय सनातन संस्कृति चरित्र प्रधान है. जिनका चरित्र दूषित रहा उन्हें असुर या राक्षस की संज्ञा हमारी संस्कृति द्वारा दी गई. उत्तम चरित्र ही उत्तम गृहस्थ जीवन का आधार है. अच्छा चरित्र, अच्छा निजी जीवन! आज कल के युवा चाहे वह स्त्री हो या पुरुष, रिश्ते कपड़ो की तरह बदलते हैं. उसमें कोई स्थिरता नहीं है.
                                                                                                                                                                                                                                        महाराज ने जोर देते हुए कहा कि अध्यात्म ही सबके चरित्र के विकास की कुंजी है. यदि आप अध्यात्मिक सूक्ष्मताओं को नहीं जानोगे तो खुशहाल जिंदगी कैसे जी पाओगे? हमारा देश अपनी आध्यात्मिकता के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है और हम अपनी संस्कृति को भूलकर पश्चिमी संस्कृति को महत्व दे रहे हैं. 


पूरी दुनिया में मशहूर हैं प्रेमानंद                                             
प्रेमानंद महाराज का वीडियो पूरी दुनिया में मशहूर है. देश-विदेश में करोड़ों भक्त हैं, जो यूट्यूब पर उनका दैनिक सत्संग सुनते हैं. बहुत दूर-दूर से आम व विशिष्ट लोग उनसे एकांतिक वार्तालाप के माध्यम से अपने प्रश्नों का समाधान कराने के लिए आते हैं. 


वे नई पीड़ी को हमेशा यह संदेश देते हैं कि यह अत्यधिक आवश्यक है कि आपका जीवन हमारे शास्त्रों व गुरुजनों के द्वारा निर्धारित मूल्यों के अनुसार हो.मनमाने ढंग से आहार-विहार करना यह मनुष्य जीवन के लिए बहुत घातक है, इसका परिणाम केवल दुख, क्लेश और अशान्ति है.


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